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10.5.20

पवन शर्मा की लघुकथा - '' बूढ़ी आँखें ''






                       ( प्रस्तुत लघुकथा – पवन शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई है ) 


                                बूढ़ी आँखें 

' आँख ज्यादा दर्द कर रही है अम्मा ? '
          ' हाँ बुढ़ापे की आँखें हैं न | '
          ' दो - तीन दिन से आँखों में पानी भी अधिक आ रहा है | '
          ' ठीक हो जाएँगी | '
          ' अब तनख्वाह मिलने दे , आँखें चैक करवा दूँगा ... चश्मा बनवा दूँगा | '
          ' रहने दे पहली तनख्वाह मिलेगी , बहू के लिए साड़ी-वाड़ी ले लेना | '
         '  बिना साड़ी के वो क्या नंगी घूम रही है ! पहले आँखें चैक हो जाएँ ... चश्मा बन जाए ... फिर उसके लिए साड़ी भी ले लूँगा | '
          अचानक अम्मा ने पानी झरती आँखों से उसकी ओर देखा , फिर झुर्रीदार चेहरे पर स्नेहमयी मुस्कान तिर आई | **

                                                                   - पवन शर्मा 

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पवन शर्मा
लघुकथाकार , कहानीकार , कवि 















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पता
श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट  विद्यालय ,
जुन्नारदेव  , जिला - छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com


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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

10 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (04 मई 2020) को 'ममता की मूरत माता' (चर्चा अंक-3698) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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    1. चर्चा किया जाना भी रचनाकार को प्रोत्साहित करती है. धन्यवाद 🙏

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  2. बहुत सुन्दर सृजन ।

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  3. बहुत सुन्दर लघुकथा ! भाव सम्प्रेषण में सक्षम लघुकथा ! --ब्रजेंद्र नाथ

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    1. आभार आपका और बहुत बहुत धन्यवाद 🙏

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  4. विचारणीय एवं प्रेरक लघुकथा जिसमें प्राथमिकताओं और मानव व्यवहार की कमज़ोरी की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया गया है.
    सादर

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपको 🙏

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  5. विचारणीय ,हृदयस्पर्शी सृजन सर ,सादर नमन

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    1. धन्यवाद और आभार आपका 🙏

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