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14.7.22
पवन शर्मा की लघुकथाओं पर बनी दो लघु फ़िल्में
5.7.22
श्री पवन शर्मा ( जुन्नारदेव, जिला- छिन्दवाड़ा ) को प्रदेश स्तरीय '' क्षितिज लघुकथा समग्र सम्मान 2022 ''
क्षितिज संस्था द्वारा वर्ष 2022 के सम्मान घोषित
वर्ष 1983 से लघुकथा विद्या के संवर्धन के लिए कार्यरत साहित्यिक संस्था "क्षितिज" के द्वारा वर्ष 2022 के लिए सम्मान घोषित कर दिए गए हैं -
1- श्री भागीरथ परिहार ( रावतभाटा ) को क्षितिज लघुकथा शिखर
सम्मान 2022.
2- श्री जीतेन्द्र जीतू ( बिजनौर - उत्तरप्रदेश ) को क्षितिज लघुकथा
समालोचना सम्मान 2022.
3- श्री पवन शर्मा ( जुन्नारदेव, जिला- छिन्दवाड़ा ) को प्रदेश स्तरीय
क्षितिज लघुकथा समग्र सम्मान 2022.
4- सुश्री रश्मि चौधरी ( इंदौर ) को क्षितिज लघुकथा नवलेखन
सम्मान 2022.
इन सभी को 9 अक्टूबर 2022 को इंदौर में होने वाले वार्षिक कार्यक्रम में ये सम्मान प्रदान किए जाएंगे |
आप सभी को ब्लॉग- " कवि श्रीकृष्ण शर्मा " एवं " विश्व कवि मंच "
की ओर से बहुत-बहुत बधाई व शुभ कामनाएँ |
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा
सम्पर्क- 9414771867.
25.5.22
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " इससे तो था भला "
यह गीत श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत-संग्रह ) से लिया गया है -
इससे तो था भला
इससे तो था भला मौन ही मैं रहता !!
सुनी-अनसुनी जब तुमने बातें कर दिन,
तब भी तो मैं गया सिर्फ़ अपनी कहता !
इससे तो था भला मौन ही मैं रहता !!
सच है, मैं अपनी पीड़ा में खोया था ,
तुम डूबे थे अपने सुख की यादों में,
चाह रहा था व्यथा-कथा अपनी कहता,
पर तुम फागुन थे, था सावन-भादों मैं ;
कैसे भला बात फिर बननी थी बोलो ?
सम्मुख रहकर भी गर होंठ न तुम खोलो,
ऐसी निर्ममता ? आँसू क्या, मन टूटा
कब्र सरीखा मौन और कब तक सहता ?
इससे तो था भला मौन ही मैं रहता !! **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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सम्पर्क - सुनील कुमार शर्मा
फोन नंबर- 9414771867
15.4.22
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " ये बदरा "
यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " फागुन के हस्ताक्षर " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -
ये बदरा
ये बदरा !
अटका रह गया
किसी नागफनी काँटे में ,
बिजुरी का ज्यों अँचरा !
ये बदरा !!
जल की चल झीलें ये ,
उड़ती हैं चीलों - सी ,
झर-झर-झर झरती हैं ,
जलफुहियाँ खीलों-सी ;
पानी की सतह-सतह
बूंद के बतासें ये
फैंक दिये मेघों ने
खिसिया कर पाँसे ये;
पीपल जो बेहद खुश
था अपनी बाजी पर,
उसके ही सिर पर अब
गाज गिरी है अररा !
ये बदरा !!
व्योम की ढलानों पर
बरखा के बेटे ये,
दौड़-दौड़ हार गये,
हार-हार बैठे ये;
लेटे-अधलेटे ये
नक्षत्र नैन मूँद ,
चंदा के अँजुरी भर
स्वप्न सँजो बूंद-बूंद;
अर्पित हो बिखर गये
भावुक समर्पण में,
टूट गया जादू औ'
टोनों का हर पहरा !
ये बदरा !!
बिना रीढ़ वाले ये
जामुनी अँधेरे-से ,
आर-पार घिरे हुए
सम्भ्रम के घेरे-से;
धरती की साँसों की
गुँजलक में बंधे हुए,
आते हैं सागर की
सुधियों से लदे-फंदे ;
आँखों में अंकित हैं
काया के इन्द्रधनुष ,
प्राणों में बीते का
सम्मोहन है गहरा !
ये बदरा !!
ये बदरा !
अटका रह गया
किसी नागफनी काँटे में,
बिजुरी का ज्यों अँचरा !
ये बदरा !! **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा
सम्पर्क - 9414771867
3.4.22
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " बादल "
यह नवगीत, श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " एक अक्षर और " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
बादल
दिनभर
पश्चिम - दांड़े लटके
मधुमक्खी - छत्ते - से बादल |
इधर - उधर
मुँह मार रहीं अब
बकरी औ' भेड़ सी घटाएँ ,
बिखरा रेबड़
हाँक ला रहीं
साँटे से गोड़नी हवाएँ ,
देखो ,
जुड़कर एक हो गये
मेले से जत्थे - से बादल |
धमा चौकड़ी
मची गगन में
धूसर काले गज यूथों की ,
ऐसी बाढ़
कि धूप बह गयी ,
डूब गयी बस्ती तारों की ,
पर
दहाड़ते , आँख दिखाते
ये उखड़े हत्थे से बादल | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा
सम्पर्क - फोन नंबर - 9414771867
27.3.22
कवि श्रीकृष्ण शर्मा की कविता - " पत्नी के प्रति "
यह कविता, श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अक्षरों के सेतु " ( कविता - संग्रह ) से लिया गया है -
पत्नी के प्रति
पहले पहल
जब तुम्हें देखा था ,
तुम एक गुलमोहर थीं !
फिर -
तुम पलास हो गयीं !
और अब -
सिर्फ़ एक सुगंध हो तुम ,
मेरे भीतर | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा
फोन नम्बर - 9414771867
21.3.22
कवि मुकेश गोगडे की कविता - " मतदान "
6.3.22
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " हतभागी एक शिखर "
यह गीत, श्रीकृष्ण शर्मा के गीत-संग्रह - " बोल मेरे मौन से लिया गया है -
हतभागी एक शिखर
तुम क्यों इस तरह मुझे,
देख रहे भाई ?
मैं भी तो तुम - सा हूँ
एक आम आदमी,
एक क्या हजारों हैं
मुझमें भी तो कमी,
लेकिन मैं बाहर जो
हूँ वैसा ही भीतर,
अभिशापित बस्ती का
हतभागी एक शिखर,
जिसको दिन ने मारा,
रातों ने पर जिसकी
आरती सजाई !
तुम क्यों इस तरह मुझे,
देख रहे भाई ? **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा
मोबाईल नम्बर - 9414771867
1.3.22
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत -" अँधेरे में हम "
यह गीत, श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत-संग्रह ) से लिया गया है -
अँधेरे में हम
सच है, आज अँधेरे में हम !!
रचा कभी उजियारा हमने,
आज मानसी घेरे में हम !
सच है, आज अँधेरे में हम !!
जुगनू अब अम्बर हथियाए,
अंधों ने सूरज लतियाए,
बौने शीर्ष शिखर कब्जाए,
किन्तु जीत कर भी हम हारे,
उफ़, गूँगों-बहरों के द्वारे,
इस दुनियाबी खेरे में हम !
सच है, आज अँधेरे में हम !! **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन: सुनील कुमार शर्मा
फोन नम्बर - 9414771867
21.2.22
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " स्वर्ग की खातिर "
यह गीत, श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत-संग्रह ) से लिया गया है -
स्वर्ग की खातिर
इस ऊँचे आसमाँ की बुलंदी को क्या करूँ ?
मैं हूँ पखेरू, गर न उडूँ भी तो क्या करूँ ?
सूरज की आग मुझको राख तो न कर सकी,
पर मेरे इन परों को नई आब दे गई,
मेरा वजूद भी है कुछ इस दौरे वक्त में,
धरती को ये तहरीर मेरी छाँव दे गई,
ताउम्र मैं हवा के इर्द-गिर्द ही रहा,
झिंझोड़ा बगूलों ने, कहर मौत का सहा,
ये ज़िन्दगी * अजीयतों * का नर्क ही सही,
पर स्वर्ग की ख़ातिर न लडूँ भी तो क्या करूँ ?
इस ऊँचे आसमाँ की बुलंदी को क्या करूँ ?
मैं हूँ पखेरू, गर न उडूँ भी तो क्या करूँ ? **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन : सुनील कुमार शर्मा
फोन नम्बर - 9414771867
13.2.22
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " वक्त की बात "
यह गीत, श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत-संग्रह ) से लिया गया है -
वक्त की बात
बंधु, यह तो वक्त की है बात !!
सत्य को समझा गया जब झूठ ,
स्वत्व को माना गया जब लूट ,
उफ़, मनाने पर नहीं माना
सिरफ़िरा अपना गया जब रूठ ;
चाँदनी के घर कुहासा है ,
सिंधु जब नभ में रुआँसा है ,
बर्फ़ की तह है जमी मन पर ,
तप्त आतप का कि जब उत्पात !
बंधु यह तो वक्त की है बात !! **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा
फोन नम्बर - 9414771867
9.2.22
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " वह मैं हूँ ! "
यह गीत कवि श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -
वह मैं हूँ !
हर तबाही से बचा जो शेष, वह मैं हूँ !!
सुखों की ख़ातिर सहे मैंने सभी संताप,
प्यार पाने के लिए करता रहा हर पाप,
ग़ैर मनमाफ़िक नहीं जब कर सका व्यवहार,
जो मिले थे, ढो रहा हूँ मैं सभी वे शाप;
जो खुशी आई, गई वो दर्द को वो कर,
यदि मिला भी कुछ, मिला वह उफ़ सभी खो कर,
देख लो, जो देखने की चाह है तुमको,
यदि भविष्यत् का स्वयं का वेश, वह मैं हूँ!
हर तबाही से बचा जो शेष, वह मैं हूँ!! **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा ,
फोन नम्बर - 9414771867.
9.1.22
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " फ़ेहरिस्त लम्बी अभावों की : आदमी "
यह नवगीत, श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " एक नदी कोलाहल " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
फ़ेहरिस्त लम्बी अभावों की : आदमी
सिर्फ़ एक फ़ेहरिस्त लम्बी
अब अभावों की ,
बन गया ज्यों बद्ददुआ है
- आदमी |
अब पहाड़ों - सा खड़ा है
दर्द सीने पर ,
कर्ज बढ़ता जा रहा
हर दिन पसीने पर ;
जी रहा है ज़िन्दगी
अब बस दबावों की ,
रखा काँधे पर जुआ है |
- आदमी |
जानता है
किन्तु जो मजबूरियाँ ओढ़े ,
यदि न हो
तो हर जरुरत को सहज छोड़े ;
किन्तु मन - बहलाव को
गाथा भुलावों की ,
सिर्फ दुहराता सुआ है
- आदमी | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा , फोन नम्बर - 9414771867