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30.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " छुअन सिहराती नहीं "

 यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " एक नदी कोलाहल " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -












छुअन सिहराती नहीं 


मैं यहाँ हूँ 

आज 

सबसे परे !


छुअन 

सिहराती नहीं 

मुझको ,

सिसक 

बिखराती नहीं 

मुझको ;


सहज स्वर 

संवेदना के मरे !


हो गया क्या ?

जो हवा चुप है ,

धूप - दिन का मन 

तिमिर - घुप है ;


पर तुम्हारे साथ के 

वे दृश्य ,

अब कुछ और भी निखरे !    **


                          - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

28.7.21

कवि मुकेश गोगडे की कविता - " गुरू समर्पण " ( विडियो में )








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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


27.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - " लाड़ - लढैती बेटियाँ ” ( भाग - 7 )

 यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -




25.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - " लाड़ - लढैती बेटियाँ ” ( भाग - 6 )

 यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -




कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " तुम गये तो "

 यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " एक नदी कोलाहल " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -















तुम गये तो 


बन्धु मेरे ,

तुम बिना पिघले नहीं 

मेरे अँधेरे !


तुम गये तो 

गया दिन भी ,

ज्योति रह पायी नहीं 

फिर एक छिन भी ;


किन्हीं तहखानों हुए 

बन्दी उजेरे ,

बन्धु मेरे !


ढले काँधे ,

विन्ध्य - जैसा बोझ लादे ,

मर गये संघर्ष में 

पुख्ता इरादे ;


छिने मौरूसी हक़ों वाले 

हमारे स्वर्ण डेरे ,

बन्धु मेरे !   **


                    - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


24.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - “ लाड़ - लढैती बेटियाँ ” ( भाग - 5 )

 यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी  ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -




23.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - “ लाड़ - लढैती बेटियाँ ” ( भाग - 4 )

 यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -




22.7.21

डॉ० अनिल चड्डा 'समर्थ' की कविता - “किसी से नफरत करना तो ठीक नहीं”

 






प्रिय बंधुवर,
            
       कृपया मेरी नई रचना “किसी से नफरत करना तो ठीक नहीं” का निम्नलिखित लिंक पर जा कर अवलोकन करें एवं अपनी टिप्पणी अवश्य दें ।

       https://youtu.be/8otaPe8KXHM
 
       आशा है आपको मेरे विडियो पसंद आयेंगी ।
 
       आपसे निवेदन है कि मेरे चैनल Chadah’s Videos” को सबस्क्राइब करके घंटी अवश्य बजाएँ ताकि आगे आने वाली कृतियों की सूचना आपको स्वयंमेव प्राप्त हो जाये।
 
       धन्यवाद!
 
डॉ० अनिल चड्डा
संपादक, साहित्यसुधा


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

कवि सुन्दर लाल मेहरानियाँ 'देव' की कविता - " पी ओ के की आजादी "

 










पी ओ के की आजादी


कहने   को   तो   बहुत   ही,   मासूम   सा   दिखता   हूँ। 
खरीदोगे   'जहाँ  ए  नफरत',  मोहब्बत  में   बिकता  हूँ।
गुजर गया वक्त 'इजहार ए इश्क' ,बेवफाई के जिक्र का, 
आजकल  'देव'  दुश्मनों  की,  मैं  बर्बादियाँ  लिखता  हूँ।

अब बस एक ही जतन करें ,पी ओ के की आजादी का 
एक नया इतिहास लिखें हम, दुश्मन की बर्बादी का।।

तीन सौ सत्तर हटा दई, माहौल  घाटी का   शान्त  हुआ, 
रास न आया दुश्मन को,मन उसका बहुत क्लान्त हुआ, 
जीते जी प्राणान्त हुआ, मोह  छूट  सका  ना  वादी  का। 
एक नया इतिहास लिखें,हम दुश्मन  की  बर्बादी  का।।

आतंकी अड्डा बना हुआ,मिल रहा है साथ  पड़ोसी  का, 
अब की बार जो करी हिमाकत,काट देंगे सर दोषी का,
करें लहू से तिलक आज, नर मुंडों  की  शहजादी  का।
एक नया इतिहास लिखें हम, दुश्मन की बर्बादी  का।।

पिछ्ली मार भी भूल गया,फन फिर से नाग तू उठा रहा
अमन चैन तुझे रास न  आता , आतंकी  सब  बुला  रहा
मौत की नींद तू सुला रहा,  साथी  बनता हर  वादी  का 
एक नया इतिहास लिखें हम, दुश्मन की  बर्बादी  का।।

भारत माता के दामन, पर अब जो भी दाग  लगायेगा,
सौगन्ध हमें माँ काली की, वो नहीं कभी  बच  पायेगा, 
बना उसे फिर हम मेहमाँ दें,मरघट की  आबादी  का। 
एक नया इतिहास लिखें हम, दुश्मन की बर्बादी का।।

बहुत सह लिये   जुल्मों  सितम, अब  तो  प्रतिकार  करो
ओ! महलों के सिंहासन जादो, खुला अब  यलगार  करो 
थर्राएँ दुश्मन देख जिगर, कैसे बना ये 'देव' फौलादी का
एक नया इतिहास  लिखें  हम,  दुश्मन  की  बर्बादी  का

अब बस एक ही जतन करें ,पी ओ  के  की  आजादी।
एक नया इतिहास लिखें हम, दुश्मन की बर्बादी का।।  **

                                         - सुन्दर लाल मेहरानियाँ 'देव' 


   अलवर,राजस्थान
  (शायर, कवि व गीतकार)
                                                                 slmehraniya@gmail.com 











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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

21.7.21

कवि सुन्दर लाल मेहरानियाँ 'देव' की कविता - " कश्मीर का दर्द "

 














कश्मीर का दर्द
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जन्नत का चैन सुकून लगे,अब फिर से लौट के आयेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे,इतिहास भुला ना पायेगा।।


कितनी सूनी हुई  गोद, राखी  की  मिटि  कलाइयाँ  थी।
सिन्दूर तरसता रहा माँग,मातम की बस परछाइयाँ थी।।
नन्ही सी जान यूँ बिलखे ,माँ का प्यार सुला  ना  पायेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे,इतिहास भुला  ना  पायेगा।।


अब तक तो खेली थी होली, खून  भरी  पिचकारी  से।
गद्दारों  ने  बहुत  डराया, पत्थर  की   बम   बारी   से ।
अब की बार जो करी,हिमाकत कोई छुड़ा ना  पायेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे,इतिहास भुला ना पायेगा।।

बहुत हो गई आँख-मिचौनी,अब तो दुश्मन को देख लिया।
करता चिकनी  चुपड़ी  बातें, ढोंगी  का  तूने  भेष  लिया।।
ऐसी    आग    देंगे     हम,    कोई    बुझा    ना     पायेगा।
अब तक हैं  कितने  दर्द  सहे , इतिहास भुला ना पायेगा।।


घाटी में अब ना रण होगा ,खिलती यूँ ही रहेंगीं वादियाँ।
ना   कोई   गद्दार   बनेगा    गूँजेंगी  फिर  शहनाईयाँ ।।
लहराएगा   सदा   तिरंगा,  कोई    झुका   ना    पायेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे ,इतिहास भुला ना पायेगा।।


जन्नत का चैन सुकून लगे,अब फिर से लौट के आयेगा।
अब तक हैं कितने दर्द सहे, इतिहास भुला ना पायेगा।।


                                -सुन्दर लाल मेहरानियाँ 'देव '


                                                        अलवर,राजस्थान
                                             (शायर, कवि व गीतकार)
                                             7891640945
                                            slmehraniya@gmail.com


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


20.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - “ लाड़ - लढैती बेटियाँ ” ( भाग - 3 )

 यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -




19.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - “ लाड़ - लढैती बेटियाँ ” ( भाग - 2 )

 यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -




18.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " दर्द एक है "

 यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " फगुन के हस्ताक्षर " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -
















दर्द एक है 


गीत दर्द से है उपजाना ||


टूटे दिल की कसक - पीर का ,

बुना हुआ ये ताना - बाना |

गीत दर्द से है उपजाना ||


          दर्द , आग की लपट कि जिससे ,

          अक्षर - अक्षर है दहकाना |

          गीत दर्द से है उपजाना ||


चाहे मेरा या हो तेरा ,

दर्द एक है , नहीं बिराना |

गीत दर्द से है उपजाना ||


          जैसा देखा , भाखा हमने ,

          भोगा है ये , ना अनुमाना |

          गीत दर्द से है उपजाना ||  **


                                   - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर 9414771867.


17.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा की कविता - " चन्द्रमा पूर्णमासी का "

 यह कविता , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अक्षरों के सेतु से ली गई है -
















चन्द्रमा पूर्णमासी का 


फूल 

सूरजमुखी का 

खिल उठा है |


लगता है 

सूरज है कहीं 

अँधेरे में भी |


            - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर 9414771867.


15.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - " लाड़ - लाढैती बेटियाँ " ( भाग - 1 )

 यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -




14.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - " स्याह हाशिये में घिरा " ( भाग - 12 )

 यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -




13.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा की कविता - " अँधेरे में "

 यह कविता , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अक्षरों के सेतु " ( कविता - संग्रह ) से लिया गया है -
















अँधेरे में 


रात है ,

चाँद है ,

तारे हैं ,

- अँधेरे में 

डूबे हुए |


रात है ,

चाँद है ,

तारे हैं ,

- अँधेरे में 

ऊबे हुए |  **


         - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


12.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - " स्याह हाशिये में घिरा " ( भाग - 11 )

 यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -




11.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " साँस - साँस चलना भी दूभर अब ! "

 यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " फागुन के हस्ताक्षर ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -












साँस - साँस चलना भी दूभर अब !


गीत तुम्हें गा - गाकर हार गये !!

               तुमको तो नहीं , किन्तु मधुवन को ,

               भौरे ये रह - रह गुंजार गये !

गीत तुम्हें गा - गाकर हार गये !!


विरल - विरल बिरवे ये , दूरी पर 

एक पाँति हुए , एक भाँती हुए ;

नदिया के ऊपर उस दिशि में वह 

बना रहे नदी और भाप - धुँए ;

               इसी तरह मिले विवश होकर तुम ,

               जब - जब भी निंदिया के पार गये !

गीत - तुम्हें गा - गाकर हार गये !!


तरुण बतख संभल - संभल पग धरती ,

अंग - अंग में थिरकन - लचकन है ;

बगुला वह सेवारों पर बैठा ,

देने निज सपनों को जीवन है ;

               कुछ कपोल फोनों के खम्भों पर 

               बैठे , जो पिया - देश तार गये !

गीत तुम्हें गा - गाकर हार गये !!


ढेरों ये स्वान - बैंजनी रंग के 

आकों के फूल व्यर्थ खिलते हैं 

झरबेरी के काँटों में उलझे ,

साड़ी के सूत व्यर्थ मिलते हैं ;

               मधुऋतु बन खिला , सजा चन्दा बन ,

               व्यर्थ सभी लेकिन सिंगार गये !

गीत तुम्हें गा - गाकर हार गये !!


अनजाने भ्रम की इन लहरों ने 

आ - आकर मुझको भरमाया है ;

पेड़ों की बाँसुरियों ने बजकर 

बरबस ही मन को भटकाया है ;

               साँस - साँस चलना भी दूभर अब ,

               प्राणों पर रख इतना भार गये !

गीत तुम्हें गा - गाकर हार गये !!  **


                        - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867. 

10.7.21

डॉ० अनिल चड्डा ‘समर्थ’ , संपादक - " साहित्यसुधा " की कविता - “दर्द मन में लिए डोलता हूँ”

 



प्रिय बंधुवर,
            
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       https://youtu.be/MgmAPAgj_rA

 
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       धन्यवाद!
 
डॉ० अनिल चड्डा ‘समर्थ
संपादक, साहित्यसुधा


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - " स्याह हाशिये में घिरा " ( भाग - 10 )

 यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -




9.7.21

पवन शर्मा की लघुकथा - " सहारे "

 यह लघुकथा , पवन शर्मा की पुस्तक - " हम जहाँ हैं " ( लघुकथा - संग्रह ) से ली गई है -










सहारे 


रिटायर्ड बाप ने फिर हम दोनों भाइयों को बुला लिया है | होता है | ऐसा ही होता है अक्सर ! पिताजी की जब - तब चिटठी आती है , जिसमें लिखा होता है -  ' तुम मुझे अपने पास बुला लो | वहाँ बच्चों के साथ मन लग जाएगा | यहाँ अकेलापन काटने को दौड़ता है | '  माँ के जाने के बाद पिताजी सचमुच अकेले रह गए हैं | जब तक माँ थीं , कभी भी पिताजी को अकेलापन महसूस नहीं हुआ और न ही चिटठी में कभी ऐसी बात लिखी | भैया हर माह बंधी रकम खर्चा - पानी के लिए पहुँचा देते थे |

          ' देख प्रकाश , तू ऐसा कर , पिताजी को अपने साथ ले जा | वहीं रख |जैसे मैं पिताजी को हर माह यहाँ पैसा भेजता था , तेरे भी यहाँ भेज दिया करूँगा | '  भैया कहते हैं | 

          भाभी बच्चों के लिए बिस्तर बिछा रही है | बाहर बरामदे में पिताजी तख्त पर बैठे हैं | मैं जानता हूँ कि निश्चित ही हमारी बातें सुन रहे होंगे |

          ' और अगर अपने पास ही रहने दो तो ? '  ... बंगला है ... नौकर - चाकर हैं ... सभी तरह की सुविधाएँ हैं आपके पास | पिताजी की देखभाल अच्छी तरह होगी यहाँ ... जबकि मेरे पास ... एक मास्टर क्या करेगा ! '  मैं कहता हूँ |

          ' देखो , तुम दोनों परेशान मत होओ | मैं यहीं ठीक हूँ |  कहीं , किसी के पास नहीं रहूँगा | पिताजी दरवाज़े पर हाथ टिकाकर खड़े हुए कह रहे हैं |

          भैया चौंक जाते हैं ... मैं भी |

          न जाने क्यों भैया भाभी की ओर देखते हैं ... मुझे देखते हैं ... पिताजी की ओर देखते हैं |

          अच्छा , ठीक है ... पिताजी मेरे पास ही रहेंगे | '  भैया कहते हैं |

          पिताजी फिर बरामदे में जाकर तख्त पर बैठ जाते हैं | थोड़ी देर बाद मैं भी खड़ा हो जाता हूँ और बाहर निकलने लगता हूँ ... कमरे से |

          तुम भी ... !  भाभी भैया से फुसफुसाती हुई कह रही हैं ,  ' पिताजी को वहाँ ले जाकर क्या अपनी हँसी करवानी है ! बड़े - बड़े लोग आते रहते हैं अपने घर में ! ' 

          एकाएक मैं ठिठक जाता हूँ |

          बड़े - बड़े लोग ! अब भैया बड़े हो गए हैं ! भैया को इतना बड़ा करने में पिताजी ने कैसी - कैसी कठिनाइयाँ झेली हैं , शायद यह तो भैया ही जानते हैं |

          दूसरे दिन सुबह मैं पिताजी को अपने साथ , अपने घर ले आया |  ** 


                                                                - पवन शर्मा 


पता - 

श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय

जुन्नारदेव , जिला – छिंदवाड़ा ( मध्यप्रदेश )

फोन नम्बर –   9425837079

Email –    pawansharma7079@gmail.com  


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867. 


  





8.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - " स्याह हाशिये में घिरा " ( भाग - 9 )

 यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -




7.7.21

डॉ० अनिल चड्डा , संपादक, साहित्यसुधा की कविता - " कभी यूँ ही उदास होना चाहिये "

 


प्रिय बंधुवर,
            
       कृपया मेरी नई रचना “कभी यूँ ही उदास होना चाहिये” का निम्नलिखित लिंक पर जा कर अवलोकन करें एवं अपनी टिप्पणी अवश्य दें ।

       https://youtu.be/cPaHGHT1o1A
 
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       धन्यवाद!
 
डॉ० अनिल चड्डा
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6.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - " स्याह हाशिये में घिरा " ( भाग - 8 )

 यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -




5.7.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - " स्याह हाशिये में घिरा " ( भाग - 7 )

 यह दोहा श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -




4.7.21

पवन शर्मा की कविता - " रहमान मियाँ "

 यह कविता , पवन शर्मा की पुस्तक - " किसी भी वारदात के बाद " से ली गई है -














रहमान मियाँ 


( 1 )

तुम निरे भोले हो 

अब भी भाग रहे हो 

मोह - ममता के पीछे 


रहमान मियाँ 

तुम्हारे वो दिन 

कितने कष्टों भरे दिन थे 

हारकर माँग की थी 

ख़त में तुमने 

अख्तर से कि

पाँच सौ भेज दो

जरुरत है 

टका - सा जबाब दिया था अख्तर ने 

हाथ तंग है - कैसे भेजूँ ?


और - तो - और

सलीम तो अख्तर से 

दो हाथ आगे निकल गया 

देखा था न रहमान मियाँ 

उस दिन 

तुमने 

किस कदर बेशर्म बन कहा था उसने 

खेत बेच दो और 

मेरा हिस्सा मुझे दे दो 


रहमान मियाँ 

मैं जानता हूँ 

बहुत रोये थे तुम 

उस दिन 

चटक गया था तुम्हारा दिल 

भीतर कहीं 

कोसा था अपने को बार - बार 

ऐसी औलाद होने से तो 

बेऔलाद रहना ठीक था 


रह गया अनवर 

तुम्हारे पास 

तुम्हारे ग़मों को बाँटने

जैसा भी है - दोनों बड़ों से 

अनवर ठीक है 

रुखी - सूखी खाता है 

तुम्हें भी खिलाता है 


फिर भी रहमान मियाँ 

ये सत्य है कि

तुम अभी तक 

विस्मृत नहीं कर पाये 

उन दोनों को 

अब भी बड़बड़ाते रहते हो 

अपने सपनों में 

उन दोनों के नाम !


( 2 ) 

मुर्गे की बाँग के साथ ही 

नित्य खुलती हैं आँखें 

रहमान मियाँ की 

लगाते हैं फ़जर की अजान 

मज्जिद में जा कर 


उठ जाता है गाँव 

उनकी अजान से 

शुरू हो जाता है 

दैनिक कार्यों का सिलसिला 

जाता है अनवर भी 

दिहाड़ी पर 

बिना नागा किये 


( 3 )

आज नहीं उठाया बुढ़ऊ ने 

हो जायगा नागा 

कट जायेगी दिहाड़ी 

बड़बड़ाता और झल्लता है अनवर 

बड़बड़ाते और झल्लाते हैं 

गाँव के लोग आज 


रहमान मियाँ की 

मज्जिद में फ़जर की अजान 

अब नहीं होगी कभी भी  **


                                      - पवन शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

 

    

2.7.21

डॉ० अनिल चड्डा (संपादक -"साहित्यसुधा") की कविता - " सभी को प्यार की चाह होती है "

 डॉ. अनिल चड्डा की कविता विडिओ में  -


  " सभी को प्यार की चाह होती है " -


प्रिय बंधुवर,
            
      

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        https://youtu.be/dRwG-ZttWKs
 
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       धन्यवाद!
 
डॉ० अनिल चड्डा
संपादक, साहित्यसुधा


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " मधुवन में उर्वशी उतर आयी "

 यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " फागुन के हस्ताक्षर " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -















मधुवन में उर्वशी उतर आयी 


नये - नये पातों की अरुणाई ,

नये - नये फूलों की तरुणाई ,

जगा अब नया भोर बहारों का |


          अब सरसों के फूलों का जादू ,

          हरियाली के सिर चढ़ बोल रहा ,

          यौवन अपनी बाँह बढ़ाकर अब , 

          कलियों का छवि - घूँघट खोल रहा ;

मधुवन में उर्वशी उतर आयी ,

ब्रह्मचर्य डोला पतझरों का |

जगा अब नया भोर बहारों का |


          ढाकवनी के अब हर तरुवर का 

          पात - पात तक फूल बना जाता ,

          महुओं की मादकता में डूबा 

वन का एकाकी मन घबराता ;

नैतिकता बदनाम हुई जाती ,

सृजन हुआ मीना बाजारों का |

जगा अब नया भोर बहारों का |


          फूलों की रेशमी निगाहों ने 

          भौरों को पागल कर डाला है ,

          किन्तु तितलियों ने अपने मुख पर 

          जाने क्यों यह ताला डाला है ;


पर कोयल अभियोग लगाती है ,

दुरुपयोग करके अधिकारों का |

जगा अब नया भोर बहारों का |  **


                                   - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.