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28.6.20

कमलेश शर्मा "कमल" की कविता - '' धोखेबाज चीन ''












धोखेबाज चीन

सारे पड़ोसी नाम के हैं, अच्छा न एक से नाता है ।
कितने घाव दिए हैं सब ने, अब सहा  न जाता है।।
अपने पैसों से ही  तो, इसका  घर  चल  पाता  है ।
चूजे का बच्चा देखो, शेर को  आँख  दिखाता  है ।।

अब तो आग उगल दी तूने, कर ली हमसे गद्दारी ।
वीर जवानों का बलिदान, पड़ेगा तुझ  पर  भारी ।।
हद में रहो चीनी पिद्दों, औकात  नहीं  है  तुम्हारी ।
पाक से बाद में निपटेंगे,  अब  पहले  तेरी  बारी ।।

चालबाज चीन तूने,  शुरू  किया  नया  बखेड़ा  है ।
सन बासठ वाला समझ के, तूने हमको  छेड़ा  है ।।
शेर शहीद  हुए  हमारे,  पर  गीदड़ों  नहीं  छोड़ा है ।
जय हिंद के वीरो तुमने,चीनियों को बहुत खदेड़ा है।। **


   कमलेश शर्मा "कमल"

      मु. पो. अरनोद, जिला:- प्रतापगढ़ (राज.)312615











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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

कवि योगेन्द्र सिंहकी कविता - '' आप की खातिर ''





  










आप की खातिर

आप की खातिर. खुद को समझाया है. 
कुछ अपने सपने थे. कुछ अरमा को जगाया है.. 

मदहोशी के सागर में. प्रेम कश्ती को उतारा है.. 
इस मोह के बंधन को पतवार बनाया है... 

तुम्हें आना है. साथ मेरे. बहारों ने बुलाया है.. 
राहों में आने को फूलों को बिछाया है.. 

बादल को तुमने अपनी आँखों के शुरमे में लगाया है. 
सावन के झरोखों को. जुल्फों में बसाया है.. 

तुम अनन्य प्रेम मूरत. सुर अधरों पे सजया है.. 
साजो की मस्ती को. मधुर ताल बनाया है.. **



  - योगेन्द्र सिंह 
           jnv swm



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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

26.6.20

कवि रामचन्दर '' आजाद '' की कविता - '' आज के नेता ''





       आज के नेता

ये चुनावी गीत है जी आप भी तो गाइए |
वोट हमें दीजिए और हमीं को जिताइए ||
¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯
हम तुम्हारे हमदर्द व हम तुम्हारे सिरदर्द |
दर्द की दवा तो तुम  हमीं से ले जाइए ||
¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯
रूपये ले लीजिये या कम्बल वसन लीजिये |
वोट देकर ये हिसाब जल्दी  से चुकाइए  ||
¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯
घर तो हम बनायेंगे ही सड़क भी बनायेंगे |
टोल टेक्स देकर मोटर खूब तुम चलाइये ||
¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯
सतयुग, द्वापर व् त्रेता में तो हमीं रहे |
कलयुग में अब हमसे नज़र ना चुराइए ||
¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯
सपा में भी हमीं हैं और बसपा में हमीं हैं |
 भाजपा में  हमीं  फिर जनि  सकुचाइये ||
¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯¯
तुम तो ‘आजाद’ जी हो हमरी बिरादरी के |
कुछ तो बिरादरी का फ़र्ज़ अब निभाइए || **



- रामचन्दर  '' आजाद ''





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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान 

),फोन नम्बर– 09414771867


25.6.20

पवन शर्मा की लघुकथा - '' प्रतीक्षा ''








                     प्रतीक्षा

पीते – पीते मैंने महसूस किया कि अब नशा चढ़ने लगा है | मेज के सामने वाली कुर्सी पर बैठे रवि की ओर देखा तो वह चुप था | लगा , उसे भी नशा चढ़ता जा रहा है | मुझे कभी – कभी पीना अच्छा लगता है , पर मैंने शराब को कभी भी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया |
          ‘ पहले दोनों छोटे भाई दूकान के लालच में आते रहते थे , पर अब जब दूकान नहीं रही तो दोनों का आना बिल्कुल बंद हो गया | कोई खबर नहीं ली कि बाबा कैसे हैं ? ... बड़ा भाई कैसा है ? ... उनके बच्चे कैसे हैं ? ... किस हाल में हैं ? ... दोनों अपनी – अपनी जिम्मेदारियों से भाग निकले | ’
          ‘ पर तुम तो अपनी जिम्मेदारियों से नहीं भागे ! ’ कहकर मैंने शराब का घूँट भरा |
          ‘ कैसे भागता – बड़ा जो हूँ | ’
          ‘ सत्य कहते हो साथी | ’
          थोड़ी देर तक दोनों के बीच शांति छाई रही | धीरे – धीरे शराब पीते रहे |
          ‘ अब बाबा की हालत कैसी है ? ’ मैंने पूछा |
          ‘ बेबस और लाचार ... महीनों से बिस्तर पकड़े हुए हैं | लकवा से शरीर का बाईं ओर का हिस्सा बेकार हो चुका है | टट्टी ... पेशाब ... सब बिस्तर पर ही ... ’ , वह थोड़ी देर के लिए रुका ,  ‘ तुम बोर तो नहीं हो रहे ? ’
          ‘ नहीं साथी ... बिल्कुल नहीं | ’  मैं कहता हूँ | जानता हूँ की वह अपने मन के भीतर की पीड़ा की परतें उधेड़ रहा है | हरेक के सामने कह भी नहीं सकता | मैं उसके बचपन का मित्र हूँ  - इस वजह से |
          ‘ सब कुछ अपने आप ही करती है | कोई शिकायत नहीं | मैं उसके लिए कुछ नहीं कर सका | ’  शायद उसे अपनी पत्नी की याद आई , इसलिए कहा उसने ,  ‘ तीन – चार सौ तो हर माह बाबा की दवा – दारु में खर्च हो जाते हैं ... क्या करूँ उसके लिए ! ’ 
          ‘ जीवन जीना दूभर हो रहा है ... महँगाई है कि सिर चढ़कर बोल रही है | ’  मैंने कहा , फिर प्लेट में रखा नमकीन खाने लगा |
          थोड़ी देर बाद मैंने पूछा,‘ पिछले संडे भाभी से झगड़ा क्यों हो गया ?’
          ‘ किसने कहा ? ’  वह आश्चर्यचकित होकर मुझे देख रहा था |
          ‘ बबलू मिला था चौक पे | ’  मैंने बताया |
          ‘ कह रही थी कि बुढऊ सुटक भी तो नहीं रहे , ताकि उन्हें दुख – दर्द से मुक्ति मिल जाए | मैं आपे से बाहर हो गया और ... ’ ,  वह एकदम धीमी आवाज में बोला , ‘ शायद बाबा ने सुन लिया था | उस दिन से उन्हें आभास हो गया कि बे जीवन की उस अवस्था में पहुँच गए हैं , जहाँ यह तय होता है कि अब मौत निश्चित है ! तभी तो सब से बिछुड़ने और सब – कुछ खो देने की गहरी पीड़ा वे अनुभव करने लगे हैं ! ’
          ‘ ओह ! ’  मैंने गहरी लम्बी साँस भरी | काफी देर तक भयग्रस्त उसे देखता रहा |
          रवि ने गिलास की सारी शराब एक ही बार में गले में ऊँड़ेल ली और बोला , ‘ जानते हो तुम – उस दिन से बाबा हमेशा दरवाजे की ओर टकटकी लगाए रहते हैं , जैसे उन्हें किसी की प्रतीक्षा हो ! ’ **

    
       - पवन शर्मा 












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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन 

नम्बर– 09414771867

24.6.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का मुक्तक - '' नज़र लगी थी ''



      ( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक - संग्रह - '’ चाँद झील में '' से लिया गया है )


   


23.6.20

कवि रामचन्दर '' आजाद '' की कुंडलिया - '' नेता और अभिनेता ''






                                                  नेता और अभिनेता

नेता अभिनेता  बने , मंचन  करते  रोज 
आज यहाँ तो कल वहां ,नाटक रचते रोज |
नाटक रचते रोज , रोज  की माया शातिर ,
       जनता को गुमराह करें बस वोट के खातिर |
कहता है ‘आजाद’ लोभ  लालच  भी  देता ,
       हो  गया है  बेशर्म  आज  नेता अभिनेता ||

नहिं विकास नहिं काज कुछ पंचवर्ष का खेल ,
       इस दल से उस दल चले कर लेते हैं मेल |
कर लेते हैं मेल मात्र कुर्सी के खातिर ,
      जनता को बहकाते कह उस दल को शातिर |
कहता है ‘ आजाद ’ स्वार्थ के ये सरताज ,
      कुर्सी आगे दीखता नहिं विकास नहिं काज ||

किसको जनता वोट दे यह है कठिन सवाल ,
      खड़गसिंह सम है कोई तो कोई अंगुलिमाल |
कोई अंगुलिमाल बनी राह लेत है रोक ,
      कब कोई बुध आइ हैं ,उनको सके जो रोक |
कहता है ‘अजाद’ देश की फिकर हो जिसको ,
     चुन ले नेता भला आज यह जनता किसको ? **

  -  रामचन्दर  '' आजाद ''








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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

22.6.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा की कविता - '' सम्भावनाओं के नागपाश ''










सम्भावनाओं के नागपाश

दिन की देहरी पर बैठी
धूप के पास आये थे कभी
स्वर्ण – हंस |


और
क्रान्तिधर्मा चेहरे
चमकाये थे सूरज ने
रोशनी से |


लेकिन
भर दोपहर
बड़ी ही चालाकी से
खुदगर्ज सुविधा – भोगियों ने
काट दिये उनके डैने |


और जकड़ कर
रूपहली सम्भावनाओं के नागपाश में
छोड़ दिया है उन्हें
रात से घिरे
अन्धे यातना – शिवरों में
सिर्फ़ अंधकार बटोरने के लिए | **

 - श्रीकृष्ण शर्मा 






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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

21.6.20

कवि संगीत कुमार बर्णवाल की कविता - '' चीन तू अब सम्भल जा ''












चीन तू अब सम्भल जा


चीन   तू   अब   सम्भल   जा
खुद न सर्वशक्तिमान  समझ
ये       तुम       जान       लो
अन्त   तेरा   हो   के    रहेगा 

अब    नहीं   चलेगी     धूर्तता 
हर हिन्दुस्तानी जाग    चुका 
द्वार   तुम्हारे  आ    जायेगा 
सब हेकरी तेरा खत्म    होगा 

चालबाज   तू    शैतान      है
विश्व का दुश्मन बना    हुआ
अब    तेरा   नहीं       चलेगा 
तू    नष्ट     हो        जायेगा 

बुद्ध    को    हमने        दिया 
शांति   पाठ      हमने   दिया 
तुम      हिंसा  पे   उतारु   हो 
ये   न    अब   बर्दाश्त   होगा

नीचता     को      त्याग    दो
श्रेष्ठता   को     अपना     लो
धूर्तता      तुम     छोड़     दो
कुपथ      को      त्याज    दो

बुद्ध को  तुम     मानते     हो
हिंसा     को      त्याग      दो
अभी     भी      सम्भल   जा 
युद्ध     को      विराम      दो **


  - संगीत कुमार बर्णवाल
            जबलपुर






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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई

 माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का मुक्तक - '' गिन्दगी फिर हँसेगी ''


  ( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक - संग्रह - '’ चाँद झील में '' से लिया गया है )




20.6.20

पवन शर्मा की लघुकथा - '' फाँस ''




( प्रस्तुत लघुकथा – पवन शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई है )  



                 फाँस

दिन भर फाइलों में नज़र गड़ाए – गड़ाए सिर में दर्द हो जाता है | फाइलों को क्या दोष दिया जाए ! अब उसकी उम्र ही अड़तालीस की हो चली है | दो बच्चों का बाप भी है | आज का समय ही ऐसा है कि बुढ़ापा जल्दी घेर लेता है | पुरानी बात अलग थी | तब उतनी चिंताएँ भी नहीं होती थीं , इतनी जिम्मेदारी भी नहीं होती थीं | आज बात अलग है |
          घर में घुसते ही उसे छम्म शांति महसूस हुई | लगा कि शायद अरविंद और उमा बच्चों सहित पिक्चर देखने या घूमने – फिरने निकल गए हैं | वह अपने कमरे में आ गया और शर्ट उतारकर बिस्तर पर पसर गया |
          एकाएक उसे लगा कि सचमुच घर में कोई नहीं है | नहीं तो उमा के बच्चे उसके आ जाने पर मामाजी – मामाजी कहकर पैरों में लिपट जाते | अब वह उठकर आँगन में आ गया | अम्मा बर्तन माँज रही थीं |
          ‘ वीनू और दिन्नु कहीं गए हैं ? ’  उसने अपने बच्चों के बारे में अम्मा से पूछा |
          ‘ हाँ , अपनी माँ के साथ बगल वालों के यहाँ पिक्चर देखने गए हैं | ’
          ‘ जब देखो , तब पिक्चर के पीछे दूसरों के घर में टी. वी. के सामने बैठे रहते हैं | ’  वह झल्लाता है ,  ‘ अरविंद और उमा ? '
          ‘ सागर चले गए | '
          ‘ चले गए ! ... कब ? '  बह बुरी तरह चौंका , ‘ सुबह तक तो जाने को कोई प्रोग्राम नहीं था उन लोगों का | '
          ‘ दोपहर में | ‘
          ‘ उन्हें आए तीन दिन ही तो हुए थे ...इतनी जल्दी ! '
          अम्मा कुछ नहीं कह्र्तीं |
          ‘ कुछ हुआ क्या ? ‘ वह पूछता है |
          अबकी बार अम्मा फट ही पड़ी हों जैसे , ‘ उमा बाल – बच्चों वाली हो गई है | वह क्यों सुनेगी मेरी ! बस , बस इतना भर ही कहा था कि दामाद को भी कुछ करना चाहिए | हाथ –पर – हाथ रखे नहीं बैठने चाहिए | यदि तू नौकरी नहीं कर रही होती तो कैसे काम चलता ! '  जिस प्रकार अम्मा एकदम से फटी थीं , उसी प्रकार शांत हो गईं ,  ‘ अपने पेट से जनी से इतना भी नहीं कह सकती क्या ? '
          वह ठगा – सा खड़ा रह गया | वह सोचता है – छोटी – सी बात भी ठीक एक फाँस की तरह होती है , जो बेहद चुभती है , दर्द देती है !
          एकाएक वह पत्नी को सामने पाकर बुरी तरह चीख़ उठा ,  ‘ तुम बच्चों को क्यों बिगाड़ रही हो ... | '  **


  - पवन शर्मा 
        श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट  विद्यालय ,

        जुन्नारदेव  , जिला - छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
        फो. नं. - 9425837079 .
        ईमेल – pawansharma7079@gmail.com



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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867