वीरों का बलिदान
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
वीरों का बलिदान
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
यह लघुकथा , पवन शर्मा की पुस्तक - " हम जहाँ हैं " ( लघुकथा - संग्रह ) से ली गई है -
गंध
‘ अरे , आप यहाँ पधारे
महाराज ... हमारे गाँव ... हमारे घर ! ’
कहता हुआ बुधना उनके पैरों में बिछ गया |
उन्होंने खादी के कुर्ते की आस्तीनें
ऊपर चढ़ाई | पीछे मुड़कर भीड़ की ओर देखा और होठों पर मुस्कान लाकर बुधना को उठाते
हुए बोले , ‘ हाँ भई ... हम आए हैं
तुम्हारे गाँव ... तुम्हारे दुःख – दर्द को सुनने के लिए | ’
बुधना के साथ खड़े गाँव के आदिवासी कभी
उन्हें देखते , तो कभी उनके पीछे खड़ी भीड़ को | भीड़ में उनके चहेते और बड़े – छोटे
अधिकारी थे | हर पाँच वर्ष में बुधना के ‘
महाराज ’ गाँव के आदिवासियों से मिलने आते
और उनके दुःख – दर्द को पूछते | बाकी के दिनों में अक्सर गाँव के ये आदिवासी अपने
दुःख – दर्द को उन तक अपने पत्रों या आवेदन – पत्रों के द्वारा पहुँचाते |
बुधना ने एक तरफ खड़े होकर अपने अठारह
वर्षीय लडके बिसना से कहा , ‘ देख रेबिसना
, जे ही अपने करतार हैं ... अन्नदाता हैं ... पाँव लाग ... पाँव ! ’
बिसना भी उनके पैरों में बिछ गया |
उन्होंने फिर खादी के कुर्ते की आस्तीनें ऊँपर चढ़ाई और बिसना को उठाया |
‘ देख बब्बा ... महाराज को कुरता कैसे
झक्क – झक्क कर रओ है!’ उन्हें दूसरों
से बातें करते देख बिसना धीरे से बुधना से कहता है |
‘ महाराज जमीन पर चलत हैं का जो अपन की
बंडी जईसे उनको कुरता मैलो – चीकट हो जाए ... महाराज बड़ी – बड़ी कार में चलत हैं और
आसमान में उड़त हैं | ’ बुधना ने कहा |
‘ तबई तो उनके पैरों में धूल तक नईं
लगी | ’ बिसना उनके पैरों को देखता हुआ
बोला |
अचानक भीतर से बुधना की घरवाली निकलकर
आई और महाराज के सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो गई |
‘ आप ठीक हैं ना ! कोई तकलीफ तो नहीं
है ? ’ उन्होंने पूछा |
‘ सबई ठीक – ठाक है ... आपकी किरपा है |
’ बुधना की घरवाली ने कहा |
अचानक उन्होंने अपने नाक पर रुमाल रखा , ‘ ये कैसी स्मेल आ रही है ? ’
उनके पीछे खड़े चहेते और बड़े – छोटे अधिकारी
चौंके , ‘ लगता है सर ! कोई चीज सड़ रही है
अथवा कोई चूहा , कुत्ता या जानवर मर गया है ... सर ... ये उसकी स्मेल है ! ’
‘ हाय दैया ! ... मैं रोटी बना रही थी ... तवे पर छोड़
आई ... सगरी जल गई ! ’ कहती हुई बुधना की घरवाली भीतर
की ओर तेजी से चली गई | **
- पवन शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर (
राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
यह हायकू , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अँधेरा बढ़ रहा है " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
( 16 )
खुबसूरत
है बया का घोंसला ,
पर हॉल में |
( 17 )
ज्योति – पर्व है
मावस के तम का ,
गर्व खर्व है |
( 18 )
मावस काली
ओढ़ कर उजाली ,
बनी दिवाली |
( 19 )
होगा क्या राम ?
देशी घोड़ी पहने ,
लाल लगाम |
( 20 )
अपना देश
नेताई करतूतों ,
का ज़िन्दा वेश |
( 21 )
अँग्रेजी रानी
अपने ही घर में ,
हिन्दी बेगानी |
( 22 )
साड़ी है चिन्दी ,
माथे पर है बिन्दी ,
बेचारी हिन्दी | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
यह हायकू , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अँधेरा बढ़ रहा है " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
हायकू
( 11 )
जन्मा करते
दर्दीली सीपी में ही ,
गीतों के मोती |
( 12 )
अन्धे तम में
दिखते सचमुच ,
स्वप्न सलोने |
( 13 )
आँख खोल के
किसने अब तक ,
देखे सपने |
( 14 )
झूठ बोलता
कहीं अगर वह ,
सजा न होती |
( 15 )
मनुज अभी
पशु तक से पीछे ,
स्वामिभक्ति में | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
यह हायकू , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अँधेरा बढ़ रहा है " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
हायकू
( 6 )
रहा न कोई
सुदृढ़ व्यूह तक ,
बचा नाश से |
( 7 )
इस धरती
पर जो जन्मा वह ,
अमर नहीं |
( 8 )
बरसा मेह
चमकती बिजली ,
गेह अँधेरा |
( 9 )
स्याह बदरा
सतरंग चुनरी ,
ऊजर कौंधा |
( 10 )
घन गरजे
वह कौंधा लपका ,
पानी बरसा | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
यह हायकू , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अँधेरा बढ़ रहा है ... " से लिया गया है -
हायकू
होगा क्या राम ?
( 1 )
कैद किये है
ये जल – दरपन ,
आसमान को |
( 2 )
सिन्धु सम्मुख
उफनता है दर्द ,
मन में दर्द |
( 3 )
काँस खड़े हैं
पहन मोरछल ,
दूल्हा बन के |
( 4 )
रँग साँवरे
के रंग में ही सिन्धु
और आकाश |
( 5 )
तट पर आ
बार – बार लहरें ,
खातीं पछाड़ | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
विषय- साहित्यसुधा का जनवरी(द्वितीय), 2021 अंक
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
यह कहानी , पवन शर्मा की पुस्तक - " ये शहर है , साहब ! " से लिया गया है -
“ अपन की उमर क्या ... अपन दस साल का छोकरा भी और साठ साल का बुड्डा भी | ”
उसके इस उत्तर पर मुझे हँसी आ गई | उसके उत्तरों को मैं प्रपत्र में लिखता जा रहा था |
“ कौन – सी कक्षा तक पढ़े हो ? ”
“ बिल्कुल नईं | ”
“ क्यों ? ”
( भाग - 2 )
“ हा ... हा ... हा ... ” वह जोर से
हँसा | हँसी थमने के बाद बोला , “ भूखे पेट भी कब्भी पढ़ाई होती क्या ... बताओ ...
तुमिच बताओ ! ”
मैं कुछ नहीं बोल पाया |
मैंने विषय बदलते हुए ईँट के भट्टे की
ओर इशारा कर पूछा , “ तुम यहाँ कब से काम कर रहे हो ? ”
“ इधर कूँ पिछले बरस काम पे आया ...
पैले दूसरे भट्टे पर काम करता | ”
“ इसका मतलब की बहुत पहले से काम कर
रहे हो ? ”
“ बरोब्बर | ”
“ लगभग कब से ? ”
“ अन्दाजन ... ” वह थोड़ी देर के लिए
रुका | उँगलियों पर गिनती की , फिर बोला , “ अन्दाजन पाँच – छः बरस से | ”
“ ईँट के भट्टे के मालिक का व्यवहार
तुम्हारे साथ तथा दूसरों के साथ कैसे है ? ”
ठीकइच ... पेल के काम करवाता है | ”
“ पगार समय पर देता है ? ”
“ बरोब्बर | ”
“ पहलेवाला ईँट के भट्टे का मालिक ?
... उसका व्यवहार ? ”
“ वो साला खड्डूस ... एक लम्बर हर्रामी
... कोई टिकताइच नई उसके पास | ”
“ क्यों ? ”
“ छोकरियों ... छोकरों ... साला खड्डूस
... इसी के वास्ते छोड़ दिया उधर | ”
“ तुम्हारे साथ भी ऐसी हरकत की उसने ...कभी भी ? ”
अबकी बार वह चुप रहा |
मैं उसके छोटे से जीवन के अनछुए पहलुओं
को कुरेदने लगा | अब मैं सर्वेक्षण – प्रपत्र में कुछ नहीं लिख पा रहा हूँ ... बस ,
मैं पुच रहा हूँ , वह जवाब दे रहा है |
हम दोनों के मध्य खामोशी उग आई |
“ घर में कौन – कौन है ? ” मैंने
खामोशी तोड़ते हुए बातचीत को दूसरी तरफ मोड़ा |
“ माँ , बाप और बहन लोग | ”
“ घर का खर्चा कैसे चलता है ? ” कहने
का मतलब कि घर के दूसरे लोग क्या करते हैं ? ”
“ ऐइच ... मजदूरी ... बाप कप छोड़कर ...
अक्खा घर मजदूरिच करता | ”
“ बाप को छोड़कर ! क्यों ? ”
“ वो सारा दिन बिस्तरे परिच पड़ा रहता ...
बक – कब करता रहता | ”
“ बिस्तर पर क्यों ? ”
“ हाथ – पाँव में लकवा लग गया उसकूँ
... उसी के वास्ते | ”
“ तुम्हारी माँ और बहन भी मजदूरी करती
हैं ? ”
“ करता साब ... करेंगा नई तो चलेंगा
कैसे ... तुमिच बताओ | ” थोड़ी देर चुप रहने के बाद वह बोला , “ अब बहन लोग काम पर
नहीं जाता ... मैंने मना कर दिया | ”
“ क्यों ? ” चार पैसे तो कमाकर ला रही
थी | ”
“ खाक कमा के लाता ! ” कहते – कहते
उसके चेहरे पर तनाव आ गया , रात – रात भर गायब रहने लगा बहन लोग ... बस , मना कर
दिया | आखिर साब , इज्जत भी तो कोई चीज होता न ! ”
“ फिर ? ”
“ फिर क्या साब ... कुछ दिन तक तो बहन
लोग घर से नई निकला ... बाद में वोइच रोल चालू कर दिया ... हम भी बोला – मरो – सड़ो
... अपन का क्या ... बहन लोगो का अपना लाइफ ... जैकी दादा का अपना लाइफ | ” कहते –
कहते वह हँस दिया , “ बाद में बहन लोग भाग गया | ”
“ कहाँ ? ”
“ मालूम नई किधर | ”
“ फिर ? ” अब मैं उसके निजी जीवन में
झाँकने लगा |
“ क्या होइंगा साब ... अक्खा झोपड़पट्टी
में भद्द पिटा ... ” वह थोड़ी देर के लिए रुका , फिर बोला , “ कुछ दिन बाद बहन लोग
लौट के वापस आ गया ... माँ लोग खुश हुआ ... लेकिन साब ... उसके बाद ... ” उसने
अपनी बात अधूरी छोड़ दी |
“ उसके बाद क्या हुआ ? ” मैंने पूछा |
“ गोली मारो साब ... अपन की फटी क्या
बताएँ | ” उसने टालना चाहा |
“ नहीं ... नहीं ... बताओ | ” मेरे मन
में सब – कुछ जानने की इच्छा प्रबल हो उठी |
वह चुपचाप बैठा रहा |
“ बताओ, उसके बाद क्या हुआ ? ” मैंने
आग्रह किया |
“ होइंगा क्या साब ... घर की हालत पतली
... एक टैम भरपेट तो दूसरे टैम खाली ! ”
“ क्यों ? ... तुम्हारे माँ – बाप तो
कमाते होंगे ? ”
“ अकेले माँईच कमाता ... तब बाप को
लकवा लग गया था और वो बिस्तरे पर ... दवा – दारु ... इकल्ला माँ ... तब बहन लोग का
निकलनाइच बन्द था | ”
अबकी बार मैं चुप रहा | चुप होकर सोच
रहा था कि जीवन के रंग भी कैसे – कैसे होते हैं !
मुझे चुप देख वह बोला , “ बड़ा मुसीबत आ
पड़ा वो टैम | ”
“ तुम कुछ नहीं करते थे तब ? ” मैंने
पूछा |
“ तब यार – दोस्तों के साथ मौज – मस्ती
... बस्स | ”
“ फिर ? ”
“ फिर क्या साब ... माँ और बहन लोग
हमेशाइच गरियाने लगा मेरे कूँ | ”
“ क्यों ? ”
“ माँ और बहन लोग कहता कि तू निठल्ला
है और निठल्लाइच रहेंगा ... कोई काम नईं करता | ”
“ फिर ? ”
“ मेरे कूँ गुस्सा आ गया ... इधरइच काम
पे लग गया ... माँ और बहन लोगों के हाथ पे डेली बीस का पत्ता रखता ... अब तुमिच
बताओ मेरे कूँ कि मैं तुमको निठल्ला लगता !” उसने कहा |
मैं भौंचक रह गया |
बाल – श्रमिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट
मेरे हाथों में फड़फड़ाने लगी | इच्छा हुई कि इसे फाड़कर फेंक दूँ , लेकिन परसों जमा
करनी है , अन्यथा मेरे ऊपर कार्यवाही हो सकती है |
मैं वहाँ से निकलने की सोचने लगा | **
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पता -
श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय
जुन्नारदेव , जिला – छिंदवाड़ा ( मध्यप्रदेश )
फोन नम्बर – 9425837079
Email – pawansharma7079@gmail.com
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.