( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है )
याद किसी की
याद किसी की लेकर जाने
मन क्यों भारी आज हो उठा ?
उलझ किन्हीं मीठी सुधियों में ,
खुद को ही मैं आज खो उठा !!
भूल गया मैं सब कुछ अपना ,
याद रहा बस केवल तपना ,
तप - तपकर साँसों का घुटना ,
बनकर वाष्प गगन में उठना ,
फिर ठंडी बदर्द कसक का ,
मिलकर चोट मर्म पर करना ,
सहन नहीं कर मेघों - जैसा ,
नयनों का झर - झर झर पड़ना ,
किन्तु सभी कह उठे - ' देखो ,
देखो , पागल आज रो उठा !
याद किसी की लेकर जाने
मन क्यों भारी आज हो उठा ? '
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867