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6.12.19

नहीं किये हैं हस्ताक्षर मैंने !

( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के काव्य - संग्रह - '' अक्षरों के सेतु '' से ली गई 1966 में लिखित कविता )
















नहीं किये हैं हस्ताक्षर मैंने 

मैं प्रस्थापित नहीं हुआ 
झूठे विश्वासों पर ,
गवाह है -
यह सन्नाटा ,
घुलता चला जा रहा है जो 
धुँए - सा उत्सवों में |

धुँधलाया नहीं 
मेरा जाग्रत आत्म - बोध 
षड्यंत्रों के संदिग्ध परिवेश में भी ,
मेरी चेतना ने 
कोशिश की है
विभिन्न आयामों और कोणों से 
सुघर - सुडौल चेहरे उकेरने की 
विसंगतियों की पृष्ठभूमि में |

मैं रात से हारा नहीं ,
गवाह हैं -
मुक्त होती दिशाएँ 
धुंध और कुहासे की बाँहों से ,
जो झेल रही हैं अब 
दिन की पहली किरन 
अपने माथे पर |

मैंने 
गला नहीं घोंटा सत्य का 
किसी अवैध संतान की भाँति ,
असमर्थित प्रतिभाओं का 
अनौपचारिक समर्थन किया है मैने ,
ह्रदय के समस्त ममत्व से 
उनके अपेक्षित और तिरस्कृत व्यक्तित्व को 
मैने जलाया है मोमबत्ती जैसा 
और प्रकाशमान बनाया है |
सामाजिकता की 
अनेक प्रताड़नाओं
और लांछनों की भीड़ में 
असमाप्त रही है मेरी एकांतिकता ,
गवाह हैं -
मेरी वे उदात्त आकांक्षाएँ ,
जो जन्मने के पूर्व ही मर गयीं ,
मेरी वे उदास प्रार्थनाएँ
जो अनुत्तरित रह गयीं ,
मेरी वे अकल्पनीय शाश्वत यंत्रणाएँ 
जो जीवित रहेंगी 
अगले क्षण भी |

मैं जानता हूँ -
दुलरायी नहीं जावेंगी मेरी पीड़ाएँ ,
सुरक्षित रखा जायेगा मेरा इतिहास 
संभावना नहीं है मुझे ,

लेकिन 
छटपटा रही है 
मुक्ति पाने को मेरी जो घुटन ,
क्या करूँ में उसके लिए ?
मैं जानता हूँ -
मेरी अभिव्यक्ति की नियति है 
अपरिचय की मृत्यु |

फिर भी 
समर्पित नहीं हुआ मैं 
अस्वाभाविकताओं को ,
मैं विसर्जित नहीं हुआ विफलताओं में ,
गवाह हैं -
मेरे समक्ष रखे 
पश्चातापों के कोरे संधि - पत्र ,
जिन पर 
आज भी नहीं किये हैं हस्ताक्षर मैने !

                     - श्रीकृष्ण शर्मा 
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

 
   

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