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28.12.19

दुपहर सर्द खड़ी


( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह - '' एक अक्षर और '' से लिया गया है )


दुपहर सर्द खड़ी 

          बेहद ठण्डा मौसम |

          सुबह शबनमी ,
          दिन है कुहरिल 
          सन्ध्या की चौपालों बैठी 
          रातों की महफ़िल ,
लेकिन रात ,
पुरानी इमली पर भूत का वहम |
          बेहद ठण्डा मौसम  

          धूप पोर भर ,
          तरुण सियाही ,
          दुपहर सर्द खड़ी 
          सूरज की देती नहीं गवाही ,
किरनें भरती
ध्रुव प्रदेश के रिक्त पड़े कौलम |
          बेहद ठण्डा मौसम |

          हवा सुई हो गयी 
          ठिठुर कर ,
          फैल गये हाशिये शीत के 
          सारी काया पर ,
लगता जैसे 
किसी फ्रीज में बन्द रह गये हम |
          बेहद ठण्डा मौसम |

                                 - श्रीकृष्ण शर्मा 
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867



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