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29.10.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " खरीफ़ का गीत "

 यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " फागुन के हस्ताक्षर " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -











खरीफ़ का गीत 


सिर से ऊँचा खड़ा बाजरा , बाँध मुरैठा मका खड़ी ,

लगीं ज्वार के हाथों में हैं , हीरों की सात सौ लड़ी |


                पाँच सरपतों पर धर करके 

               हवा चल रही है सर - सर ,

               केतु फहरते हैं काँसों के 

               बाँस रहे हैं साँसें भर ;


पाँव गड़ाती दूब जा रही , किस प्रीतम के गाँव बढ़ी ,

लगीं ज्वार के हाथों में हैं , हीरों की सात सौ लड़ी |


               सींग उगा करके सिंघाड़ा 

               बिरा रह मुँह बैलों का 

               झाड़ और झंखाड़ खड़े हैं 

               राह रोक कर गैलों का ;


पोखर की काँपती सतह पर , बूँदों की सौ थाप पड़ीं |

लगीं ज्वार के हाथों में हैं , हीरों की सात सौ लड़ी |


               घुइयाँ बैठी छिपी भूमि में 

               पातों की ये ढाल लिये ,

               लेकिन अपनी आँखों में है 

               अरहर ढेर सवाल लिये;


फिर भी सत्यानाशी के मन मैं हैं अनगिन फाँस गड़ीं |

लगीं ज्वार के हाथों में हैं , हीरों की सात सौ लड़ी |


               पके हुए धानों की फैली 

               ये जरतारी साड़ी है |

               खँडहर की दीवारों पर ये 

               काईदार किनारी है ;


छोटे - बड़े कुकुरमुत्तों ने पहनी है सिर पर पगड़ी |

लगीं ज्वार के हाथों में हैं , हीरों की सात सौ लड़ी |


               ले करके आधार पेड़ का 

               खड़ी हुई  लँगड़ी बेलें ,

               निरबंसी बंजर के घर में 

               बेटे - ही - बेटे खेलें ;


बरखा क्या आयी , धरती पर वरदानों की लगी झड़ी |

लगीं ज्वार के हाथों में हैं , हीरों की सात सौ लड़ी |   **


                                                      - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

26.10.21

पवन शर्मा की कविता - " तन्दूर "

 











तन्दूर 


(1)

सचमुच 

तुम्हारे नाख़ून बहुत पैने हैं 

किसी के भी वक्षस्थल को 

चीर सकते हैं 

गर्म लहू पी सकते हैं 


मैं हवा में बात नहीं कर रहा हूँ 

तन्दूर को ,

बतौर पेश कर रहा हूँ !


(2)

तन्दूर से 

उठती है - आग 

तन्दूर से 

उठते हैं - सवाल 

तन्दूर से 

उठता है - तूफ़ान 


यह माया जाल है सत्ता का 

आग, सवाल, तूफ़ान 

उठाये जाते हैं 

दबाये जाते हैं 


(3)

ये सड़क सीधी 

सत्ता के गलियारे तक जाती है 

और अपने मोहपाश में कैद कर लेती है 

अरे ! क्या कहा तुमने 

तुम सूरज पाना चाहती हो ?


मैं सत्य कह रहा हूँ सखी 

लाख कोशिश कर लो 

तुम सूरज को पाना तो दूर 

छू भी नहीं सकोगी 

इतना भी नहीं जानती 

आखिर तन्दूर बने क्यों हैं ?


(4)

नहीं बहा था खून किसी का 

सड़क पर 

आज की रात 

भूना गया था गोश्त

तन्दूर की आँच में 


उड़ने लगी धूल 

रेतीले रेगिस्तान में 

अपनी संवेदनाएँ भुनातीं 

रैलियाँ / सभाएँ / भाषण / और 

संसद में गरमा - गरम बहसें 


इनसे 

होना क्या है मित्र ?

जो कल हुआ 

वही आज होगा 

रैलियाँ / सभाओं / भाषण / और 

बहसों के बाद 

हँसी / ठहाके 

व्हिस्की / रम 

मटन / चिकन 


अरे ! अरे !

तन्दूर और गोश्त 

कहाँ ? कहाँ ?  **


                     - पवन शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.     

25.10.21

कवि नरेंद्र कुमार आचार्य की कविता - " पुकार कर तो देख "

 











पुकार कर तो देख 


भगवान भी दिखेंगे और एहसास भी होगा।

एक बार तू उसे पुकार कर तो देख।
पत्थर में भी भगवान मिलेंगे ।
एक बार तू आस्था रख कर तो देख।।

तेरे घर भी आएंगे भगवान ।
खाना भी खायेंगे एक दिन तेरे घर ।
तू एक बार विदुर बन कर तो देख ।
         भगवान भी मिलेंगे और एहसास भी होगा।
          एक बार तू उसे पुकार कर तो देख।।

खुद मिलने आएंगे भगवान तुझसे ।
इंतजार भी समापत होगा एक दिन ।
तू सबरी की तरह इंतजार कर के तो देख ।
         भगवान भी मिलेंगे और एहसास भी होगा।
          एक बार तू उसे पुकार कर तो देख।।

जीत भी होगी राज भी मिलेगा ।
इस जग में तेरा नाम भी होगा।
तू अर्जुन की तरह विश्वास तो करकर देख।
         भगवान भी मिलेंगे और एहसास भी।
          एक बार तू उसे पुकार कर तो देख।।

छोड़ दें सारी फिकर भगवान पर ।
सिर्फ तू अपने हिस्से के कर्म कर ।
 तू एक बार हनुमान बनकर तो देख।
          भगवान भी मिलेंगे और एहसास भी होगा।
          एक बार तू उसे पुकार कर तो देख ।।  **

                                               - नरेंद्र कुमार आचार्य 

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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


24.10.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " लग रहा है "

 यह गीत श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -












लग रहा है 


भोर आता जा रहा है ||


स्वप्न की प्रिय नाटिका का ,

ओर आता जा रहा है |

भोर आता जा रहा है ||


लग रहा है अब अँधेरी ,

और गहरी हो रही है ;

अब सितारों के ह्रदय की ,

धडकनें भी खो रही हैं ;


जग गई है वात सुधि - सी ,

जो अभी तक सो रही थी ;

रात अपना मुँह , विदा के ,

आँसुओं से धो रही है ;


चाँदनी के चीर का भी ,

छोर आता जा रहा है |

भोर आता जा रहा है !!


                   - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


20.10.21

कवि नरेंद्र कुमार आचार्य की कविता - " जागो ! देश के करण धार युवाओं "

 










जागो ! देश के करण धार युवाओं 


हे !आधुनिक शिक्षित युवाओं उठो जागो अब तो ।
क्या तुम अपनी शक्ति को भूल जाओगे ?
क्या तुम अपने संस्कार मिटा दोगे ?
क्या तुम अपने पूर्वजों की थाती नीलाम कर दोगे ?
क्या तहस - नहस कर दोगे अपने गौरव को ?
क्या भूला पाओगे अपने अभिमान को ?
जिस देश का अभिमान हिमालय है ।
जिस देश का पैर धोता सागर महान है।
जिस देश के उर पर गंगा का मैदान है ।
ऋषि मुनि जिस देश की शान है ।
यश और गाथाओं की देश में भरमार है ।
शौर्य और वीरता से भरी कहानियां हैं ।
वीरांगना झांसी की रानी ने अपने दम पर मुकाबला किया।
देश हित अपने प्राणों को दाव पर लगा दिया ।
याद करो गांधी को सत्य अहिंसा का पाठ सीखा गया ।
आजादी का उपहार हमको दे गया ।
याद करो प्रताप चंद्रसेन को ।
जिन्होंने मुगलों से लोहा लिया ।
सत्ता चली गई कांटो का मार्ग चुना ।
नहीं झुकाया सिर अपना देश का मन बढ़ाया ।
तुम ऐसे महान देश की संतान हो ।
क्या तुम अपनी आजादी का मूल्य ऐसे चुकाओगे ?
अपने ही देश को लूट - लूट कर खाओगे ।
क्या आज के बंधन इतने कठोर है जो तोड़े नहीं जाते ?
मिटा दो अपने भीतर के भ्रष्टाचारी राक्षस को ।
मिटा दो अपने भीतर के व्यभिचारी को।
अधिकार मिले तुमको तो देश हित में लगा देना ।
मिले सत्ता तुमको तो देश कल्याण में लगा देना ।
छोड़ दो घोटालों का मार्ग कुछ तो श्रम करो ।
हे !आज के शिक्षित युवाओं तुम स्वयं को शिक्षित बनाओ।
अगर देश का युवा वर्ग सुधर जाए ।
तो देश अपना बुलंदियों पर पहुंच जाए।
हे !आज के शिक्षित युवाओं पहचानो अपनी शक्ति को ।
तुम देश के कर्णधार तुम ही खेवन हार हो ।
तुम ही खेवनहार हो  **


                                                      - नरेंद्र कुमार आचार्य 

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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

17.10.21

पवन शर्मा की कविता - " खबरदार मालिक "

 यह कविता , पवन शर्मा की पुस्तक - " किसी भी वारदात के बाद " ( कविता - संग्रह ) से ली गई है -



 








खबरदार मालिक 


हमारे भैयाजी 

बहुत सीधे हैं गऊ हैं 

कैसे छोड़ दिया तुमने मालिक 

उनके ऊपर 

लात और घूँसे 


क्यों 

क्यों दे रहे सफाई 

अब तुम मालिक 


कुछ भी कह लो 

कितनी भी सफाई दे लो 

हम तुम्हारी 

नस - नस से वाफिक हैं मालिक 

वाफिक हैं 

तुम्हारे घड़ियाली आँसुओं से 


हम जानते हैं 

हमारे पुरखों ने 

तुम्हारे पुरखों के पैर दबाये 

की है जी हुजूरी 

जीवन भर 


कान खोल कर सुन लो मालिक !

नहीं दबाएँगे हम 

तुम्हारे पैर 

नहीं करेंगे हम 

जी हुजूरी  


अब वो दिन नहीं रहे 

उठा लेते थे जब तुम 

हमारे कमजोर बदन पर 

अपने हाथ 


खबरदार मालिक !

अब तुम 

हिम्मत नहीं करना 

हमारी तरफ 

आँख उठाने की भी !  **


                        -  पवन शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


16.10.21

कवि नरेंद्र कुमार आचार्य की कविता - " थोड़ा सा जीवन कर ले हर कर्म "

 











थोड़ा सा जीवन कर ले हर कर्म 



क्या लेकर आए थे और क्या लेकर हम जाएंगे।
सिर्फ अपनी यादों का एहसास छोड़  जाएंगे।।
 
खाली हाथ आए थे हम खाली हाथ ही जाएंगे।
बस  प्यार  के  दो  मीठे  बोल  ही  ले  जाएंगे।।

तुम एक हाथ पकड़ोगे तो सो हाथ  जुड़  जाएंगे ।
तुम औरों के लिए जिओ वो तुमसे जुड़ जाएगा ।।

समय   करवट   लेता  है  अच्छे  दिन  भी  आएंगे।
हर काम को आसान अपनी मेहनत से बनाएंगे।।

एक दूजे की मुस्किलो में काम हम आएंगे।
आस पड़ोस में प्रेम का  माहौल  बनाएंगे।।

प्रेम   भाई  चारा   समाज   को   हम   दे  जायेंगे।
अपने को तो अपना समझे औरो को अपनाएंगे।

सब मिलकर साथ चले ऐसा पाठ पढ़ाएंगे।
हारे  हुए  का  हम  ऐसे  मनोबल  बढ़ाएंगे।

सारी पृथ्वी को हम कुटुंब अपना समझेंगे।
सब भाईचारे से मिलकर साथ हम  रहेंगे ।

ना होगा कोई छोटा बड़ा सबको दिखाएंगे।
ना होगी ऊंच नीच  इसका  भेद  मिटाएंगे ।

समाज   को   एक   नई  राह  हम  दिखाएंगे ।
राम राज्य से भी बडकर समाज हम बनाएंगे।

ऐसा  समाज  देखकर  राम  भी  हरसएंगे।
कलयुग में भी आदर्श समाज हम बनाएंगे।

अपने जीवन   में  भी  एक  आदर्श  अपनाएंगे ।
लोग याद करे या न करे एक मिसाल दे जाएंगे।

बहुत जीने में क्या रखा है   अच्छे  कर्म  हम  करेंगे ।
अपने सुखों को दूसरे के दुखो पर अर्पण हम करेंगे।

सबको अपना  मान  कर  ही  अपना  समझेंगे।
इससे बडकर और न कोई धर्म अपना बनाएंगे।

क्या लेकर आए थे और क्या लेकर हम जाएंगे।।  **

                                              - नरेंद्र कुमार आचार्य 

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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


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15.10.21

सुनील कुमार शर्मा - " दशहरा शुभकामनाएँ "


 

कवि मुकेश गोगडे की कविता - " परीक्षा की परीक्षा "

 










परीक्षा की परीक्षा 


मेहनत   मेरी  व्यर्थ  हुई,
सपना भी अब टूट गया।
सिद्दत से जो पाला मैंने ,
वक्त कहाँ वो छूट गया?

मूरत से दिन  भांपा  गया,
माप बुद्धि का मापा गया।
कुछ शाही ने खेल  खेला,
परचा सील से छूट गया।।

कुछ    दौलत  ने  पा   लिया,
कुछ   रिश्तों  ने  खा  लिया।
कुछ   शाला  में  गाँठ  जुड़ी,
कुछ वीक्षक से जान लिया।।

परख ना उसको परख सका।
बेरोजगारी से     हारा  गया।।
गठजोड़ों   की  व्यवस्था    में,
संघर्ष    जीव    मारा     गया।

कुछ  के  कदम सम्हल   गये,
कुछ ने मन  से त्याग   दिया।
बेगारी   से   सागर   भर   दे,
व्यवस्था ने क्या काम किया?

बेच रहा है सब कुछ अपना,
हमको  भी  वो  बेच   गया ।
सबको    उसने  चूसा  खूब,
बचे  हुए  को  फेंक  दिया।।

                -  मुकेश गोगडे

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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

14.10.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " उठ रही हैं लपटें "

 यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - "एक अक्षर और " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -











उठ रही हैं लपटें 


उठ रहीं लपटें !

निहत्थे हम 

चक्रव्यूहों में घिरे हैं ,

उचित क्षण में 

हो गये हम बेसुरे हैं 

          किस तरह 

          खुल कर खिलें ?

जब तान कर 

हम पर दुनाली 

क्रूर आखेटक - सरीखे 

लोग लपटें !


उठ रहीं लपटें !

देखते हम 

जा रहे आँखें बचा सब ,

हैं सुरक्षित 

सुलह - समझौते रचा सब ,

          भीड़ है 

          पर फ़िक्र किसको ?

ओफ़ , बर्बर रक्तसागर में 

मरें या कटें हम ,

डूबें कि रपटें !

उठ रही लपटें !  **


                    - श्रीकृष्ण शर्मा 


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 संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

  

12.10.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा की कविता - " औरत " ( 1 )

 यह कविता , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अक्षरों के सेतु " ( काव्य - संग्रह ) से लिया गया है -











औरत ( 1 )


फड़फड़ा रही है 

कँटीले तारों में फँसी 

घायल चिड़िया 

बार - बार 

उड़ने के लिए 

चंद फूलों की खातिर |


उसके 

रक्त - रंजित टूटे पंख 

उड़ रहे हैं इधर - उधर |


फिर भी -

ताक में हैं ,

- कुछ गिद्ध |  **


            - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


8.10.21

कवि योगेन्द्र सिंह की कविता - " बहकती शाम "

 










बहकती शाम
          

बहकती शामों में यू मदहोश हूँ मैं. 
ज़रा होश में आने का कोई बहाना तो दे. 
सदगो पे धड़कता हर दिल ज़िसकी . 
उसकी पनाह में कोई एक शाम तो दे. 

आर्जुओं को समेटे हूए हैं अपनी 
बहका कर ही सही कोई वफ़ा का नाम तो दे 
कोई गाथा य़ा कोई अफसाना ना लिखना . 
बस पल दो पल का कोई साथ तो दे.. 

सारे गिले सिकवे भुला कर हम  आयेगें .. 
धोका ही सही कोई छलकता जांम तो दे 
शिफारिसे अटकी हुई हैं हमारी उनके दरबार में  
रिश्वत से ही सही कोई उन तक पैगाम तो दे 

बहाना हम भी कर लेगे दिल्लगी का.. 
अरमानो को कोई जुल्फों की छाव तो दे 
मुनासिब है आपका यू शर्माना भी.. 
पर कोई हमारी ईबादत का नाम तो दे.. 

कर चुके हैं गुमशुदा खुद को इस कसमकस में  
तकल्लूफ ए - बेताबी का करार तो दे.. 
भटके हुए हैं राह में तुमारी.. 
कोई मिलने का फरमान तो दे. **

                                                -  योगेन्द्र सिंह 

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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर            ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

5.10.21

कवि योगेन्द्र सिह की कविता - " एक चिड़िया "

 










एक चिड़िया 


एक चिडिया थी मानमानी सी.. 
छोटी सी मगर _ थी प्यारी सी.. 
अब कही नजर नहीं आती न मंडराती .. 
कभी सवेरा मेरा उसी की चहचाहट से हुआ करता था. 
घर के आंगन के पेड पर डेरा उसका था.. 

उसकी एक आवाज से लगता माँनो सावन आया हो. 
बादलो का आना उसकी चहचाने  का संकेत था. 
अगर रेत मे नहाती तो बरसात का होना तय था 
सफेद रंग काले धब्बे उसकी बात निराली .. 
मगर अब वो कही नजर नहीं आती न मंडराती.. 

पता नहीं इतना आगे क्यो आगये हम.. 
ज़हा अपना ही बचपन ओर य़ादे साथ ना रह पाये. 
आखिर क्या बिगाडा था उसने हमारा.. 
बस चहचाकर हमारा ध्यान ही तो खीचती .. 
पर अब वो कही नजर नहीं आती ना मंडराती .. 

उसका नहीं कसूर तो हमारा है. 
पता नही एसे कितने ही जीवो को खो दिया. 
अपनी एक _आध तरक्की के लिए 
हमे अब भी लज्जा जाने क्यो ना आती.. 
वो चिडिया अब कही नजर नहीं आती ना मंडराती.. 

                                                  - योगेन्द्र सिह 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

2.10.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " कुछ क्षण के पश्चात "

 यह गीत , कवि श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " से लिया गया है -



 









कुछ क्षण के पश्चात


दो क्षण बरसा मेह रे !!


किन्तु तरसता रह गया ,

जीवन भर को नेह रे !

दो क्षण बरसा मेह रे !


सजल - सजल - सी चाँदनी ,

उन्मद - उन्मद रागिनी ,

दाग - दगीला चन्द्रमा ,

मेघिल - तन्द्रित यामिनी ,


कुछ क्षण के पश्चात् ये ,

ढल जायेगी रात ये ,

रह जायेंगे कसकते ,

मन में बस ज़ज्बात ये ,


मिट जायेगा फिर सभी ,

जब सुलगेगी देह रे !

दो क्षण बरसा मेह रे !!    **


                      - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.