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कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " फ़ेहरिस्त लम्बी अभावों की : आदमी "

 यह नवगीत, श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " एक नदी कोलाहल " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -












फ़ेहरिस्त लम्बी अभावों की : आदमी 


सिर्फ़ एक फ़ेहरिस्त लम्बी 

अब अभावों की ,

बन गया ज्यों बद्ददुआ है 

- आदमी |


अब पहाड़ों - सा खड़ा है 

दर्द सीने पर ,

कर्ज बढ़ता जा रहा 

हर दिन पसीने पर ;

जी रहा है ज़िन्दगी 

अब बस दबावों की ,

रखा काँधे पर जुआ है |

- आदमी |


जानता है 

किन्तु जो मजबूरियाँ ओढ़े ,

यदि न हो 

तो हर जरुरत को सहज छोड़े ;

किन्तु मन - बहलाव को

गाथा भुलावों की ,

सिर्फ दुहराता सुआ है 

- आदमी | **


                   - श्रीकृष्ण शर्मा 

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संकलन - सुनील कुमार शर्मा , फोन नम्बर - 9414771867