Followers

21.11.21

कवि नरेंद्र कुमार आचार्य की कविता - " देश का भविष्य चौराहे पर भीख मांग रहे हैं "

 










देश का भविष्य चौराहे पर भीख मांग रहे हैं



मैं भी गया था शहर 
चौराहे पर चक्कर काट रहा था।
नजर पड़ी मासूम से बच्चों पर।
आज भी बच्चे चौराहे पर भीख मांग रहे है।

कहाँ गया इनका भोलाभालापन ।
क्या नहीं है माता - पिता का जीवन ।
अपने जीवन को चलाने में बच्चे ।
आज भी बच्चे चौराहे पर भीख मांग रहे हैं।

कुछ माता - पिता की करनी रही होगी ।
कुछ नेताओं ने शिक्षा में कमी रखी होगी ।
इन सब की करनी को पूरा करने के लिए ।
आज भी बच्चे चौराहे पर भीख मांग रहे हैं।

क्या कमी छोड़ दी सरकार ने ।
क्या परवरिश नहीं की माता - पिता ने ।
पढ़ना लिखना छोड़कर इस उम्र में ।
आज भी बच्चे चौराहे पर भीख मांग रहे हैं।

खेल समाप्त हो गए हैं इनके लिए।
शिक्षा ही नहीं बनाई है इनके लिए ।
पढ़ना खेलना छोड़कर इस उम्र में।
आज भी बच्चे चौराहे पर भीख मांग रहे हैं।

कहानी सुनाने वाले दादा - दादी नहीं ।
क्या ये मोहब्बत के काबिल नहीं ।
प्यार मोहब्बत से अनजान ये ।
बच्चे चौराहे पर भीख मांग रहे हैं।

भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार हो रहा है।
व्यभिचार ही व्यभिचार फैल रहा है।
कैसे शिक्षित होगा हमारा समाज ।
क्योंकि बच्चे चौराहे पर भीख मांग रहे हैं।

नेता कहते विकास नहीं हो रहा हैं।
देश दिन पर दिन पिछड़ रहा है ।
ए नरेंद्र कैसे बढ़ेगा देश बुलंदियों पर ।
क्योंकि देश का भविष्य तो भीख मांग रहा है।

बच्चे तो बच्चे होते हैं पर दिल के सच्चे होते हैं।
बच्चों का बचपन यूँ  बर्बाद मत कीजिए ।
है आधुनिक युग के शिक्षित दानव ।
एक बार इनको शिक्षित करके तो देखिए । **

                                 - नरेंद्र कुमार आचार्य 

----------------------------------------------------------

संकलन – सुनील कुमार शर्मा , फोन नम्बर – 9414771867.

17.11.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " साथ किसका दूँ ? "

 यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन "  ( गीत - संग्रह )  से लिया गया है -











साथ किसका दूँ ?


... और अब मेरे नयन पथरा रहे हैं ||


आँख के आकाश में बस आज केवल ,

मृत्यु के बादल सघन गहरा रहे हैं |

... और अब मेरे नयन पथरा रहे हैं !!


हँस रही मेरे अधर पर रेख नीली ,

आज अंतिम बार मेरी आँख गीली ,

मैं झरूँगा आज पतझर - पात - जैसा ,

इसलिए ही स्यात् मेरी देह पीली ,


रो रहे दुख साथ थे जो एक युग से ,

अब निराश्रित और बेघरबार हो कर ,

अब व्यथा ही रो रही है आठ आँसू ,

मैं जिसे लाता रहा दिन - रात ढो कर ,


साथ किसका दूँ , कहो जब आज मेरे ,

प्राण ही मुझको स्वयं बिसरा रहे हैं ?

... और अब मेरे नयन पथरा रहे हैं ||  **


                                       - श्रीकृष्ण शर्मा 

-------------------------------------------------------------------------

 संकलन – सुनील कुमार शर्मा , फोन नम्बर – 9414771867

5.11.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा की कविता - " औरत " ( 2 )

 यह कविता , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अक्षरों के सेतु " ( काव्य - संकलन )  से ली गई है -











औरत ( 2 )


धरती 

जब वनस्पति बनी 

और उसकी सुगन्ध

फूल ,

- जंगल उसे लील गया |


किन्तु 

फैलती रहीं उसकी जड़ें 

आर - पार 

जंगल के ,

और अब -

वह एक औरत है |


पर जंगल 

आज भी नहीं हट रहा ,

... उसे घेरे हुए -

जंगल कट रहा है |

जंगल बढ़ रहा है | **

            - श्रीकृष्ण शर्मा 

-----------------------


संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


4.11.21

सुनील कुमार शर्मा - " दीपावली शुभकामनाएँ संदेश "

सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


2.11.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " क्या करूँ मैं ? "

 यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -











क्या करूँ मैं 


मत करो अब आज तो उपहास !


वेदना के सिंधु में जब डूब ,

आज गीली हो गई हर साँस !

मत करो अब आज तो उपहास !!


मौन ने बंदी किये हैं होंठ ,

नीड़ आँखों को बनाए ओस ,

दृष्टि में बैठी हुई है धुंध ,

भाग्य का मुझ पर बड़ा आक्रोश ,


और अपनों की परिधि से दूर ,

मैं बहिष्कृत औ' बहुत मजबूर ,

मिल न पाया आस का भी स्पर्श , 

तोड़ मुझको हँस रहे संघर्ष ,


क्या करूँ मैं , क्या करूँ मैं आज ?

जब तुम्हारे भी ह्रदय से बंधु ,

ले चुकी संवेदना सँन्यास !

मत करो अब आज तो उपहास !!  **


                              - श्रीकृष्ण शर्मा 


---------------------------------------

 

संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.