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31.7.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - '' फटी किनार लिये ''


( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है )





फटी किनार लिये


आया यहाँ झला पानी का ,
लेकिन डरे – डरे |


नहा रही गौरैया
- खेतों ,
लोट रहा है गदहा
- रेतों ,


मुरझे हैं चेहरे पातों के ,
जंगल धूल भरे |


फटी किनार लिये हैं
- हाथों ,
नदी अभागिन है
- बरसातों ;


उफ़ , किस जालिम ने हड़का कर ,
जलधर किये परे ? **


  - श्रीकृष्ण शर्मा 




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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867










30.7.20

लघुकथाकार पवन शर्मा की लघुकथा - '' चेहरे ''

                ( प्रस्तुत लघुकथा – पवन शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई है )  





                                     चेहरे


एक रुल पेट में पड़ा कि वह जानवर की तरह डकारने लगा | रात्रि का तीसरा पहर काँप उठा | थोड़ी देर बाद दर्द कम होने पर वह शाँत हो गया | इंस्पेक्टर के चेहरे पर उभरा बहशीपन धीरे – धीरे कम होने लगा , ‘ पानी पीना है ? ’
          ‘ हाँ | ’
          एक सिपाही गिलास में पानी लाता है | वह पानी पीता है |
          ‘ एक बात बता – इतनी रात गए तू वहाँ पर क्या कर रहा था ? ’  इंस्पेक्टर ने पूछा |
          ‘ प्रेस जा रहा था | ’
          ‘ क्यों ? ’
          ‘ अखबार में छपने के लिए मैटर देने | ’
          ‘ कौन – से अखबार में ? ’
          ‘ साप्ताहिक जन – चेतना में | ’
          ‘ अब समझा साले ... ’ , इंस्पेक्टर के चेहरे पर फिर से बहशीपन उभरने लगा , ‘ लेकिन साले तू उधर से क्यों जा रहा था ... चौराहे वाले रास्ते से क्यों नहीं जा रहा था ? ’
          ‘ चौराहे वाला रास्ता लम्बा पड़ता है ... सुबह अंक निकलना था , इसलिए शार्टकट ... ’
          ‘ चुप साले ... फिर से एक बार और सुन ले कि तूने कुछ नहीं देखा ... समझा ! ’
          ‘ क्यों नहीं देखा – सब कुछ देखा है ... तुम्हें देखा है ... तुम्हारी बाहों से मुक्त होने की कोशिश करती उस लड़की को देखा है ... तुम्हें उस लड़की के साथ कुकर्म करते देखा है ... हैवानियत देखी है... और ....| ’  वह हाँफने लगा |
          ‘ चुप साले ... | ’  इंस्पेक्टर चीखा |
          ‘ अब सुबह के अंक में यही ख़बर छपेगी ...लोगों को पता चले खाकी वर्दी वालों के चेहरे ! ’
          एकाएक इंस्पेक्टर के चेहरे पर वहशीपन पुनः उभर आया और उसने उसके सिर पर रुल दे मारा | वह बेहोश होकर लुढ़क गया |
          ‘ रामसिंह इस साले को उस लड़की के साथ रेप केस बनाओ और साले को ... | ’
          ‘ लेकिन साब ... वो लड़की ... | ’  रामसिंह ने दबे स्वर में कहा |
          ‘ उस साली ने कौन – सा हमारा चेहरा देख लिया है ... | रही मेडिकल की बात , तो उससे भी निपट लेंगे | ’  कहते हुए इंस्पेक्टर ने सिगरेट सुलगाई ,  ‘ इस साले को तो हमने रात में गश्त लगाते हुए रंगे हाथ पकड़ा है ... | हा ... हा ... हा ... | ’ ***

   
     - पवन शर्मा 
       पता
श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट  विद्यालय ,
जुन्नारदेव  , जिला - छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com




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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
      
           
         




28.7.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का दोहा - '' ओ हिन्दी के सूर्य ! ''


    ( कवि श्रीकृष्ण शर्मा की दोहा – सतसई - ‘ मेरी छोटी आँजुरी ’ से लिया गया है )




27.7.20

कवि संगीत कुमार की कविता - '' कारगिल दिवस पर वीर जवानों को नमन ''

















वीर जवानों को नमन



नमन  है   वीर  जवानों   का
जो हुए देश  के  लिए  कुर्बान 
न   किये   जान   का  परवाह 
माँ के ख़ातिर दिये  बलिदान 
नमन है  उन वीर जवानों का

माँ       के       इज्जत       के       ख़ातिर
खूनों       की       होली       खेल        बैठे
लड़ते लड़ते  दुश्मन  के  छक्के   छुड़ा   बैठे
माँ के आँचल में अपना बलिदान  कर  बैठे
नमन     है     उन    वीर     जवानों    का 

माँ के दूध का कर्ज निभाने को
देश    का    लाज   बचाने   को
कारगिल  युद्ध   में    लड़   बैठे 
दुश्मन   से   संघर्ष   कर   बैठे
नमन है उन वीर  जवानों  का

याद     करेगा     सारा      सरहद 
तेरे     इस       बलिदानों       को
जब तक सूरज दीप्तिमान रहेगा
नाम तेरा हर हिन्दुस्तानी जपेगा 
नमन   है  उन   वीर  जवानों  का  **


  - संगीत कुमार 
     जबलपुर 









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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

कवि संगीत कुमार की कविता - '' सावन ''















सावन 

पहनी   हो   चूड़ी   हरी  हरी
बिंदी    शोभे     हरी     हरी
पहनी   हो   साड़ी  हरी  हरी
आ गया अब सावन की घड़ी 
खिल    उठी   है  फूल  कली

खिलती है  हाथों की मेंहदी 
क्या   लगती   हो  रूपवती 
अधरों  पे  मुस्कान  खिली 
उर में प्रेम की  ज्वार  फूटी
अंतस्थ भावना जाग  उठी

सजनी   मैं   तो    आऊँगा 
साज   समान   ले  आऊँगा 
सावन में संग झूला झूलूँगा 
प्रेम   संगीत  गुनगुनाऊँगा  
नयन से  नयन  मिलाऊँगा 

उर   से    तुझे     लगाऊँगा 
अपने  हाथों   से  सजाऊंगा 
गले    से    लिपट   जाऊँगा 
तुझे   आँखों    से निहारूँगा 
दिल   में    तुझे    बैठाऊँगा

सावन में वाटिका घुमाऊँगा 
नौका    विहार     कराऊँगा 
संग  शिवालय  ले  जाऊँगा 
प्रेम   से   पूजन   कराऊँगा  
हृदर   से   तुझे   लगाऊँगा 
पहनी हो   चूड़ी   हरी   हरी  **



    - संगीत कुमार 
      जबलपुर 











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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867










26.7.20

यों मत दौड़ो !


( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है )














यों मत दौड़ो !

यों मत दौड़ो 
गिर जाओगे ,
गिरे अगर तो पीछे आते 
पावों - तले कुचले जाओगे |


कीचड़ में 
धरती लथपथ है ,
पता न फँसे
कहाँ पर रथ है ;


सँभले अगर न ,
कर्ण सरीखे 
समर - मध्य मारे जाओगे !


सडयंत्रों  में 
चक्रव्यूह है ,
कृत्या 
अभिशापिता रूह हैं ;


चेतो ,
इस महफूज तख़्त को 
' तख्ता ' तुम्हीं बना पाओगे !  **


  - श्रीकृष्ण शर्मा 









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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

25.7.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का मुक्तक - '' जाने क्यों ? ''


         ( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के मुक्तक - संग्रह - '’ चाँद झील में '' से लिया गया है )




24.7.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - '' निर्वसन संस्कृति खड़ी ''

( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है )















निर्वसन संस्कृति खड़ी

छलावों के 
और धोखों के पड़ावों में ,
रह रहे हैं हम तनावों में |


लौह 
औ ' सीमेंट की काया ,
राक्षसी विज्ञापनी माया ;


भोगवादी उत्सवों के शामियाने ,
कोलतारों से भरे 
ख़ूनी तालाबों में |


चेहरे 
खोये मुखौटों में ,
निर्वसन संस्कृति खड़ी
घर और कोठों में ;


ज़िन्दगी कुछ के लिए 
आस्वाद जिस्मों का ,
और ढोते साँस कुछ 
जलते अभावों में | ** 



  - श्रीकृष्ण शर्मा 








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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

23.7.20

कवि संगीत कुमार - '' हे शिव शंकर ओढरदानी ''














हे शिव शंकर ओढरदानी 

हे शिव शंकर ओढरदानी 
पार्वती पति हरे हरे
गले में पहने सर्प माला 
गंगा जल जटा विराजे 
त्रिशूल धारी हर हर भोले
हे शिव शंकर ओढरदानी 
पार्वती पति हरे हरे

बसहा वाले भोले बाबा 
कृपालु जग के पालनकर्ता 
कष्ट रोग दोष को हरने वाले 
जटाधारी त्रि नेत्र वाले बाबा
देवों के देव महादेव बाबा 
हे शिव शंकर भोले बाबा
पार्वती पति हरे हरे

सबके दुःख को सुनने वाले 
रोग दोष को हरने वाले 
तांडव नृत्य दिखाने वाले 
पर्वत पर विराजने वाले 
भांग धतुर को खाने वाले 
हे शिव शंकर भोले बाबा 
पार्वती पति हरे हरे **


  - संगीत कुमार
  
           जबलपुर









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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

डॉ० अनिल चड्डा - सम्पादक - '' साहित्यसुधा ''



मान्यवर,

यदि आप प्रकाशन के लिए अपनी रचना भेजना चाहते हैं तो मंगल यूनिकोड फॉन्ट में वर्ड में टाइप करके अपने परिचय और चित्र के साथ sahityasudha2016@gmail.com पर भेज सकते हैं। 

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धन्यवाद,


--

डॉ० अनिल चड्डा 
सम्पादक 
साहित्यसुधा


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सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

डॉ० अनिल चड्डा ( सम्पादक साहित्यसुधा ) - '' साहित्यसुधा का जुलाई(द्वितीय), 2020 अंक ''



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धन्यवाद!
 
डॉ० अनिल चड्डा
सम्पादक
साहित्यसुधा


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अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन - 22 जुलाई 2020





'' अपनों ने अपने घर को लूटा '' - कवि महेंद्र भट्ट

शिवपुरी /    / दिनाँक - 22 जुलाई 2020 को भारतीय साहित्य सृजन संस्थान शिवपुरी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार,  राजस्थान,पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और मध्यप्रदेश के 21 कवियों ने भागीदारी कर 245 रचनाकारों की उपस्थिति में अपनी उत्कृष्ट रचनाओं की प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया । संस्थान के अध्यक्ष शिवपुरी के वरिष्ठ साहित्यकार इंजी.अवधेश सक्सेना ने माँ शारदा को नमन कर सरस्वती वंदना की -  " माँ शारदे देवी सुनो ये, वंदना जो गा रहे, हे ज्ञान की देवी तुम्हीं  से, ज्ञान को हम पा रहे "   उन्होंने सभी रचनाकारों का स्वागत किया । कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए ग्वालियर के महेंद्र भट्ट ने अपनी कविता सुनाई  -  " अपनों ने अपने घर को लूटा, शहर वालों ने शहर को लूटा "  जयपुर के वरिष्ठ कवि राम किशोर वर्मा की प्रस्तुति -  " भारत माँ भी माँ होती है, जो हमको सब कुछ देती  है "  भवानी मंडी राजस्थान के डॉ राजेश कुमार शर्मा  '' पुरोहित '' ने अपना प्यार बाँटते हुए सुनाया - " मैं दीप हूँ जलता रहूँगा, प्यार बाँटता आया हूँ, प्यार बाँटता रहूँगा " |  इंदौर की श्रीमती अलका जैन ने सुनाया -" अंकित होंगे मेरे लहू से बर्वादी के अफसाने "  | पटियाला की सरिता नोहरिया ने तन्हाई के बारे में कहा - " मैं तन्हा भी होती हूँ तो तन्हा नहीं होती, मेरे साथ साथ होती हैं तुम्हारी आँखें "  | करेरा के डॉ. ओम प्रकाश दुबे ने मन की बात की - " मन ही शैतान बन जाता है, मन ही हैवान बन जाता है, मन को बदल दो तो इंसान बन जाता है " | जबलपुर की कु. चंदा देवी स्वर्णकार ने माँ के ऊपर बहुत सुंदर कविता सुनाई | रामनगर एटा उत्तर प्रदेश से कृष्ण मुरारी लाल '' मानव ''  ने अपना दर्द कुछ यूं बयाँ किया - " एक प्यासी नदी की तरह दर बदर मैं भटकता रहा, मुझको पग पग मिलीं ठोकरें, बंधनों में लटकता रहा " | मिर्जापुर से डॉ उषा कनक पाठक ने शाम का वर्णन करते हुए सुनाया - " सभी जीव निज नीड़ को जाते, कृषक खेत से घर को आते, वसुधा क्षितिज एक हो जाते " | हरदोई उत्तर प्रदेश के एडव्होकेट उदय राज सिंह ने अपना गीत सुनाया - " सभी दूरियों को मिटाके चलेंगे, तुम्हें तो गले से लगा के रहेंगे " | हिसार हरियाणा से श्री राजेश पुनिया '' विश्वबंधु ''  ने अपना परिचय कुछ इस प्रकार से दिया - " मानव हूँ मानवता के गीत सुनाया करता हूँ, नफरत दूर भगाकर दिल में प्रेम जगाया करता हूँ "  | अंबेडकर नगर उत्तर प्रदेश से सर्वेश उपाध्याय की रचना देखें -  " अज्ञान के अभिशाप को जग से मिटाना है हमें, ज्ञान का नव पुंज इस जग को दिखाना है हमें " | प्रतापगढ़ राजस्थान के कमलेश शर्मा '' कमल '' ने बेटियों की चिंता करते हुए रचना प्रस्तुत की - " इस देश में बेटी जनना अभिशाप समझा जाता है, जो माँ बेटी जनती है उसको पापी समझा जाता है " | विदिशा के घरम सिंह मालवीय देश भक्ति की कविता सुनाते हुए फ़रमाते हैं - " भारत देश है वीरों का और वीर प्रसूता भूमि है " | सीतापुर से नितिन मिश्रा '' निश्छल '' ने भी देश भक्ति की रचना सुनाई - " एकता से भरा इक चमन चाहिए, मुझको भारत ही अपना वतन चाहिए " | जहानाबाद बिहार की कविता देखें  - " जिंदगी चार दिन की है, इसे यूँ न जाया कर, मुहब्बत कर गुज़र तू भी, नफ़रत न लाया कर " | कवि सम्मेलन में रुद्रपुर उत्तराखंड के 15 वर्षीय कक्षा 10 के छात्र बाल कवि सिब्बू सरकार ने अपनी कविता सुनाई - " मेरा भारत जगत में सबसे अलग है, यहाँ पर सब कुछ अलग है, अलग है ।"
 कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि  महेंद्र भट्ट ने भारतीय साहित्य सृजन संस्थान शिवपुरी के इस आयोजन को साहित्य के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए इसके उत्कृष्ट स्तर के आयोजन पर संस्थान के अध्यक्ष इंजी. अवधेश सक्सेना को बधाई दी । कवि सम्मेलन का सफलतम मंच  संचालन दिल्ली की कवयित्री श्रीमती रुचिका सक्सेना ने अत्यंत खूबसूरत अंदाज़ और मधुर आवाज़ में करते हुए कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिये, सभी ने मुक्त कंठ से उनकी प्रशंसा की । अंत में संस्थान की ओर से बैराड़ शिवपुरी के वरिष्ठ कवि सतीश दीक्षित '' किंकर ''  ने उत्कृष्टतापूर्वक आभार प्रदर्शन किया । **

                 
     
- कमल शर्मा  '' कमल ''








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सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867