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31.7.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - '' फटी किनार लिये ''


( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है )





फटी किनार लिये


आया यहाँ झला पानी का ,
लेकिन डरे – डरे |


नहा रही गौरैया
- खेतों ,
लोट रहा है गदहा
- रेतों ,


मुरझे हैं चेहरे पातों के ,
जंगल धूल भरे |


फटी किनार लिये हैं
- हाथों ,
नदी अभागिन है
- बरसातों ;


उफ़ , किस जालिम ने हड़का कर ,
जलधर किये परे ? **


  - श्रीकृष्ण शर्मा 




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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867










7 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (02-08-2020) को     "मन्दिर का निर्माण"    (चर्चा अंक-3781)    पर भी होगी। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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  2. धन्यवाद मयंक जी |

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  3. सुन्दर कविता

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  4. आप सभी को नवगीत पसंद आने के लिए धन्यवाद |

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  5. सुन्दर काव्य

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  6. वाह! बहुत खूब,उम्दा सृजन।

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