यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -
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31.5.21
29.5.21
कवि नरेंद्र कुमार आचार्य की कविता - " मैं कली हूँ "
मैं कली हूँ
मैं कली हूँ
मैं कली हूँ बगिया की
मुझे फूल बन जाने दो |
अभी तो ली है अंगड़ाई
मुझे खिल जाने दो |
मत तोड़ो अभी मुझे
ऐ चमन वालों |
अभी तो खिली हूँ मैं
मुझे एक बार महक जाने दो | **
- नरेंद्र कुमार आचार्य
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
28.5.21
कवि संगीत कुमार वर्णबाल की कविता - " बच्चों का प्यारा आम "
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
25.5.21
लघुकथाकार पवन शर्मा की लघुकथा - " उनके बीच "
यह लघुकथा , पवन शर्मा की पुस्तक - " हम जहाँ हैं " ( लघुकथा - संग्रह ) से ली गई है -
उनके बीच
' गाँव क्यों छोड़ दिया था ? '
' क्या रखा था गाँव में ? ' अम्मा के गुजर जाने के बाद मकान ... खेत ... ट्यूबवेल सब - कुछ बैंक की नौकरी लगते ही बेच दिया | '
' अम्मा कब गुजरीं ? '
' तुम्हारे जाने के साल भर बाद ही | ' वह थोड़ी देर के लिए रुका , ' तुम्हें पत्र भी तो लिखा था | '
' मुझे नहीं मिला था ... सचमुच | '
थोड़ी देर दोनों चुपचाप चलते रहे |
' इतने बड़े शहर में तुम कैसे रह पाती हो ...पता नहीं , किसके सहारे | '
' प्रतीक के सहारे | '
' प्रतीक ? '
' मेरा बच्चा | '
कहाँ है ? '
' बोर्डिंग में डाल दिया है | वहाँ उसकी देखभाल अच्छी तरह होती है | सन्डे को देख आती हूँ | '
' कितना कठोर ह्रदय है तुम्हारा ! '
इतने व्यस्त मार्ग में उन्हें जैसे किसी दूसरे की ख़बर तक न थी | सड़क के किनारे खड़ी हाथ ठिलिया में भुने हुए चने देखकर वह बोला , ' चने खाओगी ? '
' ले लो | ' उसने कहा |
वह दो रूपये के चने खरीदता है |
' लो खाओ | ' उसकी ओर चने बढ़ाते हुए वह बोला |
' तुम्हारी आदत अभी तक नहीं बदली | ' कहने के बाद उसके चेहरे पर हल्की मुस्कराहट तिर आई , फिर चने लेकर एक - एक दाना खाने लगी |
दोनों चने खाते हुए धीरे - धीरे चलने लगे |
' यहाँ कब ट्रांसफर हुआ तुम्हारा ? '
' पिछले माह | '
' फिर शिफ्ट कहाँ हो गए ? '
' कल्याण में | '
' रोज अप - डाउन करते हो चर्चगेट तक ? '
' करना ही पड़ता है | '
थोड़ी दूर दोनों शांत चलते हैं |
' तुम्हें देखकर मैं हैरान हो गई थी | '
' भूत नज़र आया मैं | ' कहकर वह हँसता है |
' इतने वर्षों बाद , लगभग अठारह वर्ष बाद तुम्हें देखा है न ... इसलिए | ' थोड़ी देर रूककर उसने फिर कहा , ' तुम्हारे कनखियों के बाल भी सफ़ेद हो गये हैं - पहचानना जरा मुश्किल हो गया था | '
' चार वर्ष साथ रहने के बाद भी , मैं तुम्हें देखते ही पहचान गया था | '
' तुम्हारे साथ बिताए चार वर्ष ही बेहद कष्टप्रद हैं मेरे लिए - आज भी |'
' क्यों ? '
उन दिनों को भूल नहीं पा रही मैं | '
चने खाते और बातें करते दोनों पैदल चले जा रहे थे | सड़क के किनारे बिजली के खम्भों पर लगे हैलोजन लैम्प जल उठे थे |
' तुम्हारे भीतर का अहं मुझसे जीत गया था | तुम्हारी उच्चाकांक्षाऍ जीत गईं थीं |तभी तो तुम मुझसे सहजता के साथ अलग होकर सतीश के पास चली गईं थीं | '
' उलाहना दे रहे हो मुझे | '
' कुछ भी समझ लो | हम - तुम एक साथ नहीं रह पाए | हमारे बीच रोज - रोज की कलह ... उफ़ ! '
वह चुप रही | कुछ झेलती रही |
' अच्छा हुआ कि तुम मुझे छोड़कर चली आईं | मैं तो तुम्हें कुछ भी नहीं दे सका | उस वक्त एक प्राइमरी स्कूल का मास्टर तुम्हें दे भी क्या सकता था ? '
' प्लीज राकेश | '
' तुम्हारा जाना ही मेरे लिए दृढ़संकल्प जैसा था | तभी तो मैं बैंक में प्रोंबेशनरी ऑफिसर के लिए सिलेक्ट हो सका | '
दोनों चलते हुए रुक गए |
' एक बात पूछूँ ? '
' पूछो | '
' मैं यह नहीं पूछूँगा कि सतीश ने तुम्हें क्यों छोड़ दिया , किन्तु इतना अवश्य पूछूँगा कि आखिर तुम्हें मिला क्या ? अठारह वर्ष के एकाकी जीवन में मैं आज तक यह नहीं समझ पाया काँति , कि मेरा प्रेम तुम्हें बाँधकर क्यों नहीं रख पाया ! '
वह फफक कर रो पड़ी |
' अब चलूँगा ... तुम्हारे साथ बिताए आज के तीन - साढ़े तीन घंटे मेरे लिए कीमती हैं | '
वह अब भी फफक - फफक कर रो रही थी | ***
- पवन शर्मा
पता -
श्री नंदलाल सूद शासकीय
उत्कृष्ट विद्यालय
जुन्नारदेव , जिला –
छिंदवाड़ा ( मध्यप्रदेश )
फोन नम्बर –
9425837079
Email – pawansharma7079@gmail.com
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.
22.5.21
कवि नरेंद्र कुमार आचार्य की कविता - " किताबें हमेशा रहेगी "
किताबें हमेशा रहेगी
इन्टरनेट का ज्ञान आज है कल नहीं रहेगा ।
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
20.5.21
कवि नरेन्द्र कुमार आचार्य की कविता - " एक नई सुबह "
कोरोना तू आया और चला भी जाएगा ।
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
18.5.21
कवि नरेंद्र कुमार आचार्य की कविता - " लड़कियों को बचाना है "
लड़कियों को बचाना हैसंकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867. |
कवि मुकेश गोगडे की कविता - " आँख की गुस्ताख़ी "
आँख की गुस्ताख़ी
सच कहा,
आँख रुलाती है।
पर आँख रोती नही,
रोता मन है।
आँख सिर्फ ,
प्रतीक दिखाती है।
उद्गार मन में ,
उमड़ जाता है।
आँख देखती अच्छा तो,
मन विलाप क्यों करता।
मधुर बिम्ब दिखाती अगर
तो,
मन जाप क्यों करता।
आँख के पर्दे पर,
जो अभिनय होता है ।
उसका ही किरदार,
मन ग्रहण करता है।
प्रेम,घृणा,खुशी,गम,नृत्य,विलाप,
बिम्ब के अनुरूप उभरता है।
कोई हँसता - हँसता रोने लगता है।
कोई रोते - रोते हँसने लगता है।। **
- मुकेश गोगडे
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला - सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) फोन नम्बर - 9414771867.
17.5.21
पवन शर्मा की कविता - " अब नहीं रहा वो समय "
यह कविता , पवन शर्मा की पुस्तक - " किसी भी वारदात के बाद " ( कविता - संग्रह ) से लिया गया है -
अब नहीं रहा वो समय
अब नहीं रहा वो समय
कि किराने की दुकान तक
आटा - नोन - तेल लेने
दरवाजे पर सांकल चढ़ा कर ही
निकल जायें
कोई घात लगा कर देख रहा है
अब नहीं रहा
वो समय
जब हँसकर प्रेम से
सुख - दुःख के दो बोल
अपनी पड़ोसन से
बोल लें
किसी की आँखों में सवाल उग रहे हैं
अब नहीं रहा
वो समय
जब नाइट शो देखकर
उसी पिक्चर के गीत गुनगुनाते
रिक्शे पर बैठे
घर लौट आये
रिक्शे वाले की जेब में
चाकू हो सकता है
समय नहीं रहा अब ऐसा कि
किसी स्कूटर से चोट खाये
सड़क पर पड़े
रक्त - रंजित वृद्ध को
अस्पताल पहुँचा दें
और कुछ उर्वर बना लें
मृत होती अपनी संवेदना को
और ऐसा भी नहीं कि
पहली तारीख को
पैंट की जेब में
महीने की तनख्वाह रख
दफ्तर से घर तक
सुरक्षित लौट आयें
यह समय
समय को कैसे जीता जाए
यह सोचने का है | **
-पवन शर्मा
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पता -
श्री नंदलाल सूद शासकीय
उत्कृष्ट विद्यालय
जुन्नारदेव , जिला –
छिंदवाड़ा ( मध्यप्रदेश )
फोन नम्बर –
9425837079
Email – pawansharma7079@gmail.com
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
14.5.21
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " मेरी ग़लती थी ! "
यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -
मेरी ग़लती थी !
शायद मेरी ही ग़लती थी ||
घिरी हुई थी जब कि यामिनी ,
सोच रहा था मैं विहान की ,
आज शिशिर का प्रात आ गया ,
पर ख़ामोशी सूनसान थी ;
इससे तो वह रात भली थी ,
रजत चाँदनी जब बहती थी ,
जब पखवाड़े बाद चाँद से ,
मिलने की आशा रहती थी ;
थे जब मन के पास सितारे ,
सपने थे आँखों के द्वारे ,
आज तरसता हूँ मैं जिसको ,
वही मुझे पहले खलती थी |
शायद मेरी ही ग़लती थी || **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
10.5.21
पवन शर्मा की लघुकथा - " स्थायी तल्खी "
यह लघुकथा , पवन शर्मा की पुस्तक - " मेरी चुनिन्दा लघुकथाएँ " ( लघुकथा - संग्रह ) से लिया गया है -
स्थाई तल्खी
“ आज मि.बर्मन आनेवाले हैं | तुम और दफे की तरह बाहर नहीं निकल जाना|” घर में घुसती हुई रमा कहती है |
मि. पाण्डेय कुछ नहीं कहते | रमा की तरफ देखने के बाद मुँह दूसरी ओर कर लेते हैं – सड़क की ओरवाली खिड़की की तरफ , “ तुम्हीं ने कहा होगा उससे आने के लिए | ”
“ वो मेरे बाँस हैं | इधर किसी के यहाँ
आनेवाले हैं , सो कह दिया कि घर आना | ”
“ बाँस हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि
... | ”
“ तुम्हें क्या मालूम | काम तो मैं ही करती हूँ उनके अण्डर | ”
मि. पाण्डेय खिड़की की सलाखों पर हाथ
टिकाकर बाहर देखने लगते हैं | एक अजीब – सी बेचैनी मन में होने लगती है उनके | रमा
की कमाई पर पलते हुए मि. पाण्डेय की स्थिति दयनीय है |
अचानक बाहरवाले कमरे से चीखने–चिल्लाने की आवाजें आने लगती हैं | रमा आवेश में बाहर निकलती है |
राकेश ने छुटकी के बाल हाथों में पकड़
रखे हैं |
रमा चीखती है , “ ये सब क्या हो रहा है ? ”
“ सबसे पहले इससे ये पूछो कि आज कॉलेज
के बहाने ये कहाँ घूम रही थी ? ” राकेश
तेज आवाज में बोला , “ दो बार देख चुका
हूँ उस लड़के के साथ – आज टॉकीज में | ”
“ तुझे क्या करना ...| ” छुटकी भी तेज आवाज में बोली |
“ जा मर ! ” चीखते हुए राकेश ने हाथ में पकड़े छुटकी के बाल झटके
से छोड़ दिए | छुटकी भीतरवाले कमरे में भाग जाती है |
मि. पाण्डेय खिड़की की सलाखों को छोड़
कमरे की दीवारों को ध्यान से देखने लगते हैं | यह बैठने का कमरा है – जिसमें सोफे ,
कुर्सियाँ , मेज , अलमारी , किताबें हैं | यह कमरा एक समय साफ – सुथरा था , पर कई
वर्षों की आर्थिक कठिनाइयों से अब सब पर धूल की तरह जम गई है | दीवारें मटमैली हो
गई हैं |
मि. पाण्डेय सोचते हैं – पत्नी कमाती है ... वे उसके ऑफिस के पुरुष मित्रों को भी जानते हैं ... सब जानते हैं ... कह नहीं पाते ... | रमा की ही तर्ज पर अब छुटकी चलने लगी है ... राकेश छुटकी को रोकना चाहता है ... पर राकेश की एक नहीं चलती ... क्योंकि पूरे दिन बेकार बैठा वह फिल्मी पत्रिकाओं से हीरोइनों के चित्र काटता रहता है ... सभी एक – दूसरे से कटे हुए हैं ... एक – दूसरे से बात करना पसन्द नहीं करते ... घर की हवा तक में उस स्थायी तल्खी की गन्ध है , जो चारों के मन में भरी हुई है | वे महसूस करते हैं कि ऊब , घुटन , आक्रोश , विद्रूपता , दम घोंटनेवाली मनहूसियत – जो मरघट में होती है , इस घर में है | **
- पवन शर्मा
श्री नंदलाल सूद शासकीय
उत्कृष्ट विद्यालय
जुन्नारदेव , जिला –
छिंदवाड़ा ( मध्यप्रदेश )
फोन नम्बर –
9425837079
Email – pawansharma7079@gmail.com
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
8.5.21
कवि संगीत कुमार वर्णबाल की कविता - " तम का बादल "
तम का बादल
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.