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14.5.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " मेरी ग़लती थी ! "

 यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -















मेरी ग़लती थी ! 


शायद मेरी ही ग़लती थी ||


घिरी हुई थी जब कि यामिनी ,

सोच रहा था मैं विहान की ,

आज शिशिर का प्रात आ गया ,

पर ख़ामोशी सूनसान थी ;


इससे तो वह रात भली थी ,

रजत चाँदनी जब बहती थी ,

जब पखवाड़े बाद चाँद से ,

मिलने की आशा रहती थी ;


थे जब मन के पास सितारे ,

सपने थे आँखों के द्वारे ,


आज तरसता हूँ मैं जिसको ,

वही मुझे पहले खलती थी |


शायद मेरी ही ग़लती थी ||  **


                          - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

2 comments:

  1. Replies
    1. आपका बहुत - बहुत आभार आदरणीय आलोक सिन्हा जी |

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