किताबें हमेशा रहेगी
इन्टरनेट का ज्ञान आज है कल नहीं रहेगा ।
अन्तरिक्ष का ज्ञान आज है कल नहीं रहेगा ।
लौटकर आना पड़ेगा एक बार फिर सोचकर देखो ।
किताबों का ज्ञान आज है कल भी रहेगा ।
हवा का ज्ञान हवा में समाप्त हो जाएगा ।
भविष्य में किसी के काम नहीं आएगा ।
कल आज और कल भी रहेगा ज्ञान ।
लिखावट का ज्ञान हमेशा अमर रहेगा ।
ना इन्टरनेट की ना मोबाइल की जरुरत है ।
ना लाईट ना ही तार की जरूरत है ।
देखो पलटकर इतिहास के पन्नों को ।
सिर्फ कागज और कलम की जरूरत है ।
एक दिन तकनीकी युग समाप्त हो जाएगा ।
फिर हवा का ज्ञान तू कहाँ से लाएगा ।
सनातन व शाश्वत सत्य है दुनियाँ में ।
किताबों का लिखा हमेशा रहेगा ।
ना गुगल होगा ना ही यूट्यूब होगा ।
ना वाट्सएप ना ही फेसबुक होगा ।
सब समाप्त हो जाएगा एक दिन ।
सिर्फ किताबें और उसका ज्ञान होगा । **
- नरेंद्र कुमार आचार्य
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
अच्छी कविता है,,बधाई.
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