यह दोहा , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है -
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30.6.21
27.6.21
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " सावन - घन "
यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " फागुन के हस्ताक्षर " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -
सावन - घन
गगनांगन सावन - घन |
झरते झर - झर जलधर ,
भरते सर - सरि - सागर ,
बरसे री , बरसे घन ,
घुमड़ - घहर उमड़ - अहर ,
लरज - तरज सहज गरज ,
सुन री सुन , वंशी - स्वप्न |
गगनांगन सावन - घन |
झकझोरे झंझा से ,
दुपहर में संझा - से ,
चंचल ये सुभग विहग ,
सजल - तरल - दृग ये मृग ,
विद्युत के बन्धन में ,
आकुल तन , व्याकुल मन |
गगनांगन सावन - घन |
तट पर के बाँसों पर ,
कोदों औ' काँसों पर ,
निर्मोही प्रियतम बिन ,
गुमसुम - सी साँसों पर ,
बरसे री , तरसे जी
पर जैसे - आँसू - कन |
गगनांगन सावन - घन | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
22.6.21
कवि श्रीकृष्ण शर्मा की कुण्डलिया - " बनी बाँसुरी आज़ादी " ( भाग - 1 )
यह कुण्डलिया , कवि श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अँधेरा बढ़ रहा है " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
20.6.21
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " वैशाख "
यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अँधेरा बढ़ रहा है " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
वैशाख
खो गया है सब कुछ ,
समय की अतल गहराइयों में |
टिकती नहीं है ताज़गी ,
निरर्थक अँगड़ाइयों में |
हवा के हमराह
तीतरपाँखी मेघ ,
आकाश की आँखें नहीं ढँकते |
प्रत्यंचा - सी तनी
गद्दर काया तलैया की ,
झुर्रियों के सरीसृप डंसते |
यहाँ - वहाँ
कहीं - नहीं
अता - पता वसन्त का |
मोहक गीत सरसों के
खेत नहीं रचता |
... और
ढाक तीन पात ,
जल - जल कर हुआ खाक |
अन्त नहीं
लेकिन वैशाख का ,
रात - दिन बजती
पीपल की शहनाइयों में | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
16.6.21
पवन शर्मा की लघुकथा - " मेरे बाद "
यह लघुकथा पवन शर्मा की पुस्तक - " हम जहाँ हैं " ( लघुकथा - संग्रह ) से ली गई है -
मेरे बाद
जब पिछली बार मिले , तब उन्होंने ऐसी कोई बात नहीं की , जिससे इस बात का अनुमान लगाया जा सके कि वे कोई मकान खरीदने के चक्कर में हैं |
' अब आपको मकान की क्या जरुरत ? ' मैंने पूछा |
' क्यों ? ' उन्होंने चश्मे को आँखों पर से उतारकर हाथों में ले लिया |
' क्यों क्या ? ... कौन रहेगा उसमें ? ... आप और आपकी धर्मपत्नी ... बस | '
' वे हँसे , कह तो ठीक रहे हो पर ... | '
' पर क्या ... ? बच्चे तो अलग - अलग जगहों पर नौकरी कर रहे हैं ... वे लोग तो मकान का सुख भोग नहीं पायेंगे | '
' जप भी हो , पर मुझे मकान तो खरीदना ही है | ' पैंट की जेब से रुमाल निकालकर उन्होंने चश्में के मोटे- मोटे लैंस को साफ किया और आँखों पर लगा लिया |
' कब खरीदना है ? '
' बात पक्की हो गई है ... आज रजिस्ट्री हो जाएगी | ' वे थोड़ी देर के लिए रुके और अपने आधे हो गए गंजे सिर पर हाथ फिराते हुए बोले , ' अच्छा और बड़ा मकान है ... एक ड्राइंग रूम , चार बैड - रूम , एक किचिन , एक स्टोर - रूम , लैट्रिन . बाथरूम ... खुला और हवादार ... साढ़े तीन लाख में बात पक्की हुई है | '
' पैसों का इंतजाम हो गया ? '
' रिटायरमेंट का पूरा पैसा लगा रहा हूँ मकान खरीदने में | ' वे बोले |
' पूरा पैसा नहीं लगाना चाहिए आपको ... कुछ बचाकर रखना चाहिए , बल्कि मेरे हिसाब से अब आपको मकान खरीदने की आवश्यकता ही नहीं ... सारी ज़िन्दगी किराये के मकान में ही गुज़ार ली , बची हुई भी किराये के मकान में गुज़ारनी थी | ' मैंने कहा |
' तुम सही कहते हो , पर बच्चों की ज़िद के आगे मुझे ये निर्णय लेना पड़ा | ' कहने के बाद वे बाद में अपनी हथेलियाँ रगड़ने लगे |
उनकी बात सुनकर मैं चुप रहा |
मैं जानता हूँ कि मैं लड़ाई - झगड़े , कलह - क्लेश की जड़ खरीद रहा हूँ | '
मैं आश्चर्य से उनकी ओर देखने लगा |
' मेरे और मेरी पत्नी के मरने के बाद इसी मकान के पीछे मेरे बच्चों में आपस में ही खींचा - तानी होगी | '
मैं फिर भी चुप रहा |
' अरे मैं भी कौन - सी बात ले बैठा ... अभी तो मैं ज़िन्दा हूँ ... मेरे मरने के बाद जो भी हो - मुझे क्या करना करना ! '
मैं अवाक् उनका मुँह ताकने लगा | **
- पवन शर्मा
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सम्पर्क सूत्र -
श्री नंदलाल सूद शासकीय
उत्कृष्ट विद्यालय
जुन्नारदेव , जिला –
छिंदवाड़ा ( मध्यप्रदेश )
फोन नम्बर –
9425837079
Email – pawansharma7079@gmail.com
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
12.6.21
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " पतझर " ( दो )
यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अँधेरा बढ़ रहा है " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -
पतझर ( दो )
तरु से उतर
धरा पर भागे ,
अनगिनती पत्ते |
अवसर पा
सिर पर आ बैठे ,
हरियाली को
रहे समेंटे
सुविधा पाने
में थे आगे ,
अनगिनती पत्ते |
जिधर हवा
अस्तित्व उधर था ,
मुख में बसा
शंख का स्वर था ,
फिर भी रहे
किन्तु हतभागे ,
अनगिनती पत्ते |
तरु से उतर
धरा पर भागे ,
अनगिनती पत्ते | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
9.6.21
कवि नरेंद्र आचार्य की कविता - " मैं आम आदमी बनकर जीना चाहता हूँ "
मैं आम आदमी बनकर जीना चाहता हूँ
मैं आम आदमी , आम आदमी ही रहना चाहता हूँ ।
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
7.6.21
6.6.21
कवि चमन' भारतीय की कविता - " चल अकेला चल "
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
5.6.21
कवि मुकेश गोगडे की कविता - " अदृश्य दुश्मन "
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
4.6.21
कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " पतझर " ( एक )
यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - " अँधेरा बढ़ रहा है " से लिया गया है -
पतझर ( एक )
झर रहे हैं पात पेड़ों से |
आह ,
चलना भी कठिन
हो गया मेड़ों से |
झर रहे हैं पात पेड़ों से |
ज़िन्दगी
ठूँठों - सरीखी ,
ठौर और कुठौर दीखी ,
खण्डहरों में आ गये हम ,
निकल खेड़ों से |
झर रहे हैं पात पेड़ों से |
रात औ' दिन
जागते ये ,
खड़खड़ाते भागते ये ,
हम बहुत उकता गये
इनके बखेड़ों से |
झर रहे हैं पात पेड़ों से | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
1.6.21
कवि नरेंद्र कुमार आचार्य की कविता - " अगर पिता ना होता तो क्या होता ? "
अगर पिता ना होता तो क्या होता ?
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.