चल अकेला चल
चल पड़ा हूँ यूँ ही अकेला उन अनजानी राहों पर,
सब कुछ पीछे छूट गया, साथ नहीं कुछ इन राहों पर।
ले जायेगा कहाँ मुक़द्दर, अब न पीछे हटने की ठानी है,
कुछ तो उजाला करेंगे, बरसों से पड़ी इन सुनी राहों पर।
सोचा था बहुत कुछ, पर कुछ भी न मिल पाया,
'चमन' खाये हैं धोखे बहुत, उन जानी पहचानी राहों पर। **
- चमन' भारतीय
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
बढ़िया लिखा है...प्रभावित करता है.
ReplyDeleteआदरणीय पवन भाई , आपको इस ब्लॉग की यह रचना पसंद आई , इसके लिए आभार
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