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कवि चमन' भारतीय की कविता - " चल अकेला चल "

 














चल अकेला चल

चल पड़ा हूँ यूँ ही अकेला उन अनजानी राहों पर,
सब कुछ पीछे छूट गया, साथ नहीं कुछ इन राहों पर।

ले जायेगा कहाँ मुक़द्दर, अब न पीछे हटने की ठानी है,
कुछ तो उजाला करेंगे, बरसों से पड़ी इन सुनी राहों पर।

सोचा था बहुत कुछ, पर कुछ भी न मिल पाया,
'चमन'  खाये हैं धोखे बहुत, उन जानी पहचानी राहों पर। **

                                     -  चमन' भारतीय

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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

2 comments:

  1. बढ़िया लिखा है...प्रभावित करता है.

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    1. आदरणीय पवन भाई , आपको इस ब्लॉग की यह रचना पसंद आई , इसके लिए आभार

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