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12.6.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " पतझर " ( दो )

 यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अँधेरा बढ़ रहा है " ( नवगीत - संग्रह ) से लिया गया है -















पतझर    ( दो )


          तरु से उतर 

          धरा पर भागे ,

                    अनगिनती पत्ते |


अवसर पा 

सिर पर आ बैठे ,

हरियाली को 

रहे समेंटे 

          सुविधा पाने 

          में थे आगे ,

                    अनगिनती पत्ते |


जिधर हवा 

अस्तित्व उधर था ,

मुख में बसा 

शंख का स्वर था ,

          फिर भी रहे 

          किन्तु हतभागे ,

                    अनगिनती पत्ते |


          तरु से उतर 

          धरा पर भागे ,

                    अनगिनती पत्ते |   **


                                 - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

2 comments:

  1. बहुत बहुत सुन्दर रचना

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  2. आदरणीय आलोक सिन्हा जी , आप हमेशा प्रोत्साहित करते हैं | आपका बहुत - बहुत धन्यवाद |

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