( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है - )
कण्ठ मेरा
आँसुओं से आज बोझिल
कण्ठ मेरा रूंध गया है !!
बाँध टूटा आँसुओं का
स्रोत ज्यों फूटा कुँओं का ,
किन्तु मेरे प्राण में है -
ताप क्यों जलती लुओं का ?
युग - युगों के वास्ते अब ,
खुले दुख के रास्ते जब ,
इक तुम्हारा द्वार मुझको
तब सदा को मुंद गया है !
आँसुओं से आज बोझिल
कण्ठ मेरा रूँध गया है !!
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 0941477186
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