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25.12.20
प्रसिद्ध लघुकथाकार पवन शर्मा की लघुकथा - " लोकतंत्र "
यह लघुकथा , पवन शर्मा की पुस्तक - " हम जहाँ हैं " से ली गई है -
लोकतंत्र
‘ ऐ , सवारियों को उतारकर
गाड़ी थाने में लगा | ’
‘ क्यों साहब ? ’
‘ मैं कह रहा हूँ | गाड़ी साइड में खड़ीं कर
सवारियाँ उतार दे | ’
‘ मेरी गाड़ी में परमिट से भी कम सीट
बैठी हैं हुजूर | ’
‘ चुप रह जुबान मत चला | ’
‘ क्या कारण है ? हम लोगों को बेवजह
परेशान कर रहे हैं | हमारे साथ छोटे – छोटे बच्चे हैं ’ एक यात्री ने कहा |
‘ हम आपकी परेशानी समझ रहे हैं , पर
क्या करें ... ऊपर का ऑर्डर है | ’
‘ कैसा ऊपर का ऑर्डर ? ’
कल मंत्री जी का दौरा है | ’
‘ उनके दौरे से गाड़ियों का क्या संबंध
? ’
‘ कल इन गाड़ियों को गाँव – गाँव भेजा
जाएगा | ’
‘ क्यों ? ’
‘ इन गाड़ियों से गाँव वालों को लाया
जाएगा | ’
‘ किस वजह से ? ’
‘ ताकि मंत्री जी के प्रोग्राम में
खासी भीड़ जुटा सकें ! ’ **
- पवन शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
22.12.20
कवि श्रीकृष्ण शर्मा की कविता - " अँधेरे की पहुँच "
यह कविता , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अक्षरों के सेतु " से ली गई है -
अँधेरे की पहुँच
बाँध दिया है
ले जाकर एक सिरा
उस पहाड़ी से किरनों का
सन्ध्या ने |
और
दिन भर पहना था
अब फाड़ कर फैंक दिया है
उस धूप को
दिन ने |
पड़े रह गये हैं
छोटे – बड़े टुकड़े उसके
इधर – उधर
चल रहा है अँधेरा ख़ामोशी से
|
पल – पल बढ़ते
इस अंधकार की गिरफ़्त से
बचने के लिए
पक्षी , ढोर , बालक , मेहनतकश
तेजी से लौट रहे हैं सभी
उजाले की ओर |
मैंने भी माचिस में
सुरक्षित रखी रोशनी
जलाली है लालटेन में
ताकि –
दूर रह सकूँ सुबह तक
अँधेरे की पहुँच से
मैं | **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
20.12.20
पवन शर्मा की लघुकथा - " जागृति "
जागृति
लालटेन हाथ में पकड़े बड़ी
मूँछ वाला उसके आगे चल रहा था | पीछे दो और व्यक्ति थे | लालटेन की पीली रोशनी में
उन चारों के पाँव के उठने और गिरने की छाया बन और बिगड़ रही थी | पथरीली ढलान वाले
रास्ते को पार कर वे एक मकान में घुस गए | पुनः बड़ी सी दालान पार कर वे हॉल में आ
गए | पेट्रोमेक्स की रोशनी में बेलजीभाई को देखकर वह विस्मित हो गया |
बेलजीभाई को घेरे तीन व्यक्ति और बैठे
थे |
‘ आओ बिसराम भाई ... बैठो ... बड़ी देर
से तुम्हारी राह देख रहे हैं हम | ’ बेलजीभाई ने कहा |
वह एक खाली कुर्सी पर बैठ गया और बोला ,
‘ क्यों याद किया हमको ? ’
बेलजीभाई मुस्कराए , ‘ चुनाव नजदीक हैं
... हम फिर इस बार चुनाव लड़ रहे हैं | ’ बेलजीभाई अपने गंजे सिर पर हाथ फिराते हैं
, ‘ आदिवासी – हरिजनों के सारे वोट हमें मिलने चाहिएँ | ’
बेलजीभाई की बात सुनकर वह चुप रहता है |
पैट्रोमेक्स की रोशनी लप – लप कर रही थी |
बेलजीभाई उसकी चुप्पी देख कहते हैं , ‘
हम जानते हैं कि तुम्हारे बाप का प्रभाव आस – पास के दस – बारह गाँवों पर है |
तुम्हारा बाप जिधर कहेगा , उधर ही बोट डलेंगे | हम हारना नहीं चाहते | दिल्ली जाकर
फिर से राज करना चाहते हैं | ’
वह फिर चुप रह गया | उसे चुप देख बेलजीभाई
अपनी गोटी बिठाने की कोशिश करते है , ‘ हम वायदा करते हैं बिसराम भाई कि ... | ’
बेलजीभाई की बात पूरी भी नहीं हो पाई
कि वह न जाने किस जुनून में चीख उठता है , ‘ मत करो हम आदिवासियों से झूठे वायदे ...
विस्थापितों को नौकरी दिलवायेंगे ... पानी का प्रबंध करेंगे ... सड़क बनवायेंगे ...
स्कूल खोलेंगे ... कहते – कहते वह हाँफने लगा ... ‘ पिछली बार भी वायदा किया था ...
क्या हुआ ... कुछ भी नहीं ... हम जहाँ थे ... वहीँ रहे ... हाँ , तुमको जरुर हमने
दिल्ली पहुँचा दिया था | ’
बेलजीभाई फटी – फटी आँखों से उस एम. ए. पास आदिवासी युवक को देख रहे थे | वह लम्बे – लम्बे डग भरता हॉल से बाहर निकल गया | **
- पवन शर्मा
श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय
जुन्नारदेव , जिला –
छिंदवाड़ा ( मध्यप्रदेश )
फोन नम्बर –
9425837079
Email – pawansharma7079@gmail.com
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
19.12.20
संगीत कुमार वर्णबाल की कविता - " तेरी याद "
तेरी याद
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
16.12.20
डॉ० अनिल चड्डा सम्पादक साहित्यसुधा - " साहित्यसुधा का दिसम्बर(द्वितीय),2020 अंक "
मान्यवर,
‘सहित्यसुधा’ के प्रेमियों को यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि ‘साहित्यसुधा’ का दिसम्बर(द्वितीय), 2020 अंक अब https://sahityasudha.com पर उपलब्ध हो गया है। कृपया साहित्यसुधा की वेबसाइट पर जा कर साहित्य का आनंद उठायें। आपसे अनुरोध है कि इसमें प्रकाशित सामग्री पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य भेजें जिससे रचनाकारों को प्रोत्साहन मिलेगा। आपसे यह भी अनुरोध है कि आने वाले अंकों में प्रकाशन हेतु अपनी मौलिक रचनायें* भेजते रहें। रचनायें वर्ड में यूनिकोड फॉण्ट में टंकित होनी चाहियें । यह सुनिश्चित करने के लिये कि आपकी रचनायें साहित्यसुधा के आने वाले अंक में प्रकाशित हो जायें, कृपया माह के द्वितीय अंक के लिये 25 तारीख तक और प्रथम अंक के लिये 10 तारिख अपनी रचनायें अवश्य भेज दें। इन तारीखों के बाद प्राप्त हुई रचनाओं पर समय और उपलब्ध स्थान के अनुसार ही विचार किया जायेगा।
यदि आप पहली बार रचना भेज रहे हैं और आपने अपना परिचय पहले नहीं भेजा हुआ है तो अपनी रचनाओं के साथ कृपया अपने चित्र के साथ अपना संक्षिप्त परिचय भी, जो वर्ड में यूनिकोड फॉण्ट में टंकित हो, भेजें।
कुछ रचनाकारों को साहित्यसुधा की पीडीएफ फ़ाइल की आवश्यकता होती है। तकनीकी कारणों से पीडीएफ फ़ाइल इस मेल के साथ नहीं भेजी जा सकती। अंत:, पीडीएफ फ़ाइल सेव करने का तरीका पत्रिका के मुख पृष्ठ पर दिया गया है जिसका लिंक है –https://sahityasudha.com/PDF_
महत्वपूर्ण : - ‘साहित्यसुधा’ का यूट्यूब चैनल लॉंच किया जा चुका है और अब यह आगे बढ़ रहा है। यदि आप चाहते हैं कि इसमें योगदान करें तो अपनी रचना की वीडियो अथवा आडिओ रिकॉर्डिंग भेज सकते हैं। कृपया अपनी कविता, कहानी, गीत, नज़्म इत्यादि रिकॉर्ड करके भेजें।
आपसे अनुरोध है कि इसे सफल बनाने के लिए सभी पाठकगण एवं रचनाकार कृपया साहित्यसुधा के यूट्यूब चैनल को अवश्य सब्सक्राइब करें।
धन्यवाद!
डॉ० अनिल चड्डा
सम्पादक
साहित्यसुधा
संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
15.12.20
कवि देवेन्द्र शर्मा ' इन्द्र ' - “ ते हि नो दिवसाः गताः ” और “ फागुन के हस्ताक्षर ” - ( भाग - 8 )
यह प्रस्तुति , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " फागुन के हस्ताक्षर " ( गीत - संग्रह ) से ली गई है -
“ ते हि नो दिवसाः गताः ” और “ फागुन के हस्ताक्षर ”
… पिछले दिनों जिस प्रकार छ्न्दोमुक्त नयी कविता
लिखने की बाढ़ आयी थी , …
( भाग – 8 )
उसी प्रकार अज जिसे देखो वह
छन्द की कविता , विशेषकर गीत लिखने की वकालत करने पर बद्धपरिकर है , चाहे उसे छन्द
की सही जानकारी हो अथवा नहीं हो | छन्द से सम्यक परिचय न आज सम्पादकों का है , न
अध्यापकों या समीक्षकों का ही ; अनेक गीतकार इन दिनों सदोष और भग्न छन्दों में
लेखन कर रहे हैं , किन्तु शुद्ध छन्द की कसौटी पर श्रीकृष्ण के गीत सोलहों आने खरे
उतरने वाले हैं | इन गीतों के बीचों – बीच एक कविता है ‘ अम्मा ’ शीर्षक , जिसका
उल्लेख किये बिना यह आलेख अधूरा ही कहा जायेगा | ‘ अम्मा ’ का उपरी कलेवर निराला
कृत ‘ सरोज – स्मृति ’ की भाँती वृत्तात्मक होकर भी अपने आन्तरिक आत्मीय रूप में
नितान्त गीतात्मक है | ‘ सरोज – स्मृति ’ जैसा कवि का आत्मीय स्पर्श और आद्योपांत
ह्रदय – द्रावक कारुण्य – भाव इस कविता में भी देखते ही बनता है |
कि बहुना , अभी भाई श्रीकृष्ण द्वारा
रचित अधिकांश गीत – साहित्य अप्रकाशित है , उस पर कोई निर्णय दे पाना कदाचित
शीघ्रता होगी | वे हमारी पीढ़ी के एक सर्वगुण सम्पन्न गीतकार हैं , जिनमें आसानी से
कोई कमी अथवा त्रुटि खोज पाना बड़े – से बड़े आलोचक के लिए एक चुनौती भरा कार्य होगा
|
मैं इन शब्दों के साथ पं. श्रीकृष्ण
शर्मा के प्रस्तुत गीत – संग्रह ‘ फागुन के हस्ताक्षर ’ का अभिनन्दन करता हूँ | **
- देवेन्द्र शर्मा ‘ इन्द्र ’
10/61 सेक्टर – 3 ,
राजेन्द्र नगर , साहिबाबाद ,
गाजियाबाद – 201005 ( उ0 प्र0 )
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
14.12.20
कवि देवेन्द्र शर्मा ' इन्द्र ' - “ ते हि नो दिवसाः गताः ” और “ फागुन के हस्ताक्षर ” ( भाग - 7 )
इसे श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " फागुन के हस्ताक्षर " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -
“ते हि नो दिवसाः गताः” और “फागुन के हस्ताक्षर”
अवशता और दुर्व्यवस्था के
चौराहे पर खड़ा आम आदमी लुटता रहा , कहाँ जाये , किससे गुहार करे अपने बचाव के लिए |
देखिए इस विडम्बना को श्रीकृष्ण किस तरह वाणी देते हैं –
( भाग – 7 )
भोर का पीकर जहर अब चाँदनी
की
देह नीली पड़ रही है |
00
रात के अपराध पर अब तारिकाएँ
आत्महत्या कर रही हैं | ( चाँदनी की देह )
अथवा –
उजियारा गिरा
थका – हारा |
चलता दिन थमा ,
हवा सुट्ट खड़ी ,
भुच्च अँधेरे की
वह धौल पड़ी ,
टूट गया ,
हाथों से पारा |
उजियारा गिरा
किरचों – किरचों
चुप्पी बिखरी ,
शातिर सन्नाटे की
ठकुराइस पसरी ,
पर ढिबरी धुंधलाती ,
आँखों ले भिनसारा |
उजियारा गिरा
( चलता दिन थमा )
श्रीकृष्ण शर्मा ने इन गीतों को लिखते
समय ज़िन्दगी को ऋतुओं के माध्यम से देखा है | वर्षा उन्हें विशेष रूप से आकर्षित
करती है | ‘ सावन – धन ’ , ‘ ये बदरा ’ , ‘ झिनपिन – झिनपिन ’ , ‘ कालिदास की
आर्द्रव्यथा ’ , ‘ गीले क्षण ’ , ‘ धारासार बरसते बादलों को देखकर ’ और ‘ टप – टप
– टप ’ शीर्षक गीत इस तथ्य को प्रमाणित करते हैं | नवगीत में आमतौर से वर्षा की
अपेक्षा ग्रीष्म ऋतु ने रचनाकारों को अधिक आकृष्ट किया है क्योंकि धूप जीवन संघर्ष
का सर्वाधिक ज्वलन्त प्रतीक होती है | ‘ वर्षान्त के बिन बरसे बादलों को देखकर ’ ,
‘ तार – तार छाया की चुनरी ’ , ‘ टेसुई बादल पड़े काले ’ , ‘ कहाँ अब वह गुलाबी भौर
’ , ‘ ग्रीष्म की दोपहर ’ शीर्षक गीतों में कवि ने हार न मानने वाली जिजीविषा को
बड़े सहज स्वाभाविक ढंग से रेखांकित किया है | उन्हें केवल ऋतु वर्णन के गीत कह कर
नहीं टाला जा सकता | प्राकृतिक परिवेश के साथ शर्माजी का लगाव प्रारम्भ से ही रहा
है | यथार्थ की भांति इनकी सर्जनात्मक कल्पना भी प्रकृति से ही सह्जोत्थित कही जा
सकती है | एक उदाहरण यहाँ द्रष्टव्य है –
“ इसी झील के तट पर पेड़ गगन
है वट का ,
काला बादल चमगादड़ – सा उल्टा
लटका ;
शंख – सीप नक्षत्र रेत में –
हैं पारे से –
साँझ – सुबह के मध्य अवस्थित
झील रात की ,
भरी हुई है अँधियारे से | ”
( झील रात
की )
श्रीकृष्ण शर्मा के गीतों की भाषा उनके
सरल – सहज व्यक्तित्व की भांति आम बोलचाल की है | उसमें यदि एक ओर ‘ सुट्ट ’ , ‘
भुच्च ’ , ‘ धौल ’ , ‘ ढिबरी ’ , ‘ बखेड़े ’ , ‘ ठकुराइस ’ , ‘ गैले ’ , और ‘ भिनसारा
’ जैसे देशज शब्दों की बहुलता है तो ‘ ब्लैक होल ‘ , ‘ बाथरूम ’ , जैसे अंग्रेजी
और ‘ जहर ’ , ‘ शातिर ’ , ‘ इबारत ’ , ‘ खुशहाली ’ , ‘ काफ़िल ’ , ‘ मजबूरी ’ , ‘
किस्मत ’ , ‘ तकलीफ ’ , ‘ हिम्मत ’ , ‘ आदम ’ , ‘ गिला ’ , ‘ गुजरान ’ , और ‘
तन्हाईयाँ ’ जैसे ढेरों उर्दू – फ़ारसी के शब्द रिल – मिल गये हैं | इसका यह अर्थ
भी नहीं है कि श्रीकृष्ण के काव्य – शिल्प का झुकाव अभिधा की ओर उन्मुख है | बिम्ब
– योजना की दृष्टि से उनके गीत अत्यन्त समृद्ध हैं | इन गीतों में ‘ अँधियारे में
भटके हुए दिन के पाँव ’ , ‘ ठंडे पड़ते स्पर्श ’ , ‘ मरी हुई ध्वनियाँ ’ , कुण्ठाओं
के सपने जैसे खिले कमल ’ , रात के अपराध पर आत्महत्या करती हुई तारिकाएँ ’ और ‘
चमगादड़ की तरह उल्टा लटका हुआ बादल ’ जैसे राशि – राशि बहुविध बिम्बों की योजना
विद्यमान है |
पिछले दिनों जिस प्रकार छ्न्दोमुक्त
नयी कविता लिखने की बाढ़ आयी थी , ***
( इससे आगे , भाग – 8 में पढ़िए )
- देवेन्द्र शर्मा ' इन्द्र '
--------------------------------------------------------------------------------------------------संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.