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3.12.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " चन्द्रमा दोपहर का "

 यह गीत , श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " फागुन के हस्ताक्षर " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -









चन्द्रमा दोपहर का

           

दुपहर है

और अभी ताजा है गुलमोहर ,

किन्तु रात देख उठी एक आँख खोल कर |

 

धूप अभी चिलक रही ,

किलक रहा दिवस अभी ,

असम्पृक्त हैं अब तक

भिन्न – भिन्न आकृतियाँ ,

पानी पर काँप रहीं

विहगों की आवृतियाँ ;

 

रंग – रूप सब सच है ,

रेखाएँ जीवित हैं |

 

किरनों का महल

अभी हुआ नहीं खण्डहर ,

किन्तु एक चमगादड़ उड़ रहा कंगूरों पर |

 

दुपहर है

और अभी ताज़ा है गुलमोहर ,

किन्तु रात देख उठी एक आँख खोल कर | **


                               - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


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