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18.5.21

कवि नरेंद्र कुमार आचार्य की कविता - " लड़कियों को बचाना है "

 










लड़कियों को बचाना है


पहले चिंकी हुई फिर पिंकी हुई ।
फिर जिंकी और अंत मे सिंकी हुई ।
मैंने कहा भाई ये तुमने क्या किया ।
उसने कहा लड़के के चक्कर मे ये सब हुआ ।

मैंने कहा क्या करेगा लड़के का ।
उसने कहा कोई पानी देने वाला तो हो ।
कोई सेवा करने वाला तो हो।
मैंने कहा लडकियाँ भी कर देती है सेवा ।
लडकियाँ भी दे देती है कंधा ।

इतने में उसने कहा लडकियाँ परायी होती है ।
पिता के लिए दुखदायी होती है ।
इनको तो एक दिन ससुराल जाना है ।
इसलिए एक लड़का जरुर पैदा करना है ।

मैंने कहा लडका भी एक दिन यही करने वाला है ।
जैसे ही शादी हुई अलग घर बसाने वाला है ।
तुम एक दिन भी साथ नहीं रह पाओगे ।
उसके साथ रहे तो घुट कर मर जाओगे ।

जब बेटी पैदा नहीं करोगे 
तो बहू कहा से लाओगे ।
किसके आगे हाथ फैलाओगे ।
क्या अपने लड़के को कँवारा रखोगे ।

बेटी कभी-कभी तो मिलने आएगी ।
पर बेटा कभी मिलने नहीं आएगा 
बेटे से ये जन्म सुधरेगा ।
पर बेटी सात जन्म सुधारेगी ।

बेटियाँ तो नसीब वालों के होती है ।
ये जहाँ होती है वहा जन्नत होती है ।
ये जहाँ जाएगी सबको अपना बनाएगी ।
दिल में बसी दूरियों को हटाएगी ।

बेटा बहू का बनकर रह जाएगा ।
पत्नी को सब कुछ माँ - बाप को भूल जाएगा ।
एक दिन तुमको ताना मारेगा ।
जीते जी तुम को मार डालेगा ।

लड़की देश को आगे बढ़ाएगी ।
माँ बनकर बच्चों को अच्छे संस्कार देगी ।
हर बेटी के नसीब में पिता होता है ।
पर पिता के नसीब में बेटी नहीं होती ।

आज से हमें ये संकल्प लेना है ।
हमें बेटियों को बचाना है ।
तभी हमारा देश सुधरेगा ।
वरना लिंगानुपात गिर जाएगा ।  **


                     - नरेंद्र कुमार आचार्य 
                           साखना , टोंक ( राजस्थान ) 

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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.



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