यह गीत , कवि श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत - संग्रह ) से लिया गया है -
कहाँ खुशबू - सी गयी वह ?
अब न बाकी भरम कोई !!
बन्धु , यह स्वीकारने में ,
है न मुझको शरम कोई !
अब न बाकी भरम कोई !!
थी घटा या थी झड़ी वह ?
या कि थी बरखा खड़ी वह ?
फूल - सी सुंदर - सुकोमल ,
मधुऋतों ने थी गढ़ी वह ?
किन्तु विद्युत् - सी जगाकर
स्वप्न जागृति में दिखाकर
और मुझको जड़ बनाकर
कहाँ खुशबू - सी गयी वह ,
जानता क्या मरम कोई ?
अब न बाकी भरम कोई !! **
- श्रीकृष्ण शर्मा
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
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