यह कहानी पवन शर्मा की पुस्तक - " ये शहर है , साहब ! " से ली गई है -
सर्वेक्षण
ईँट के भट्टे पर काम करते
मजदूरों में मुझे कुछ छोटे – छोटे बच्चे भी दिखाई दिए | तेज धूप के बावजूद वे ईँट
के भट्टे पर अपना पसीना बहा रहे हैं |
अब मेरी ‘ बाल - श्रमिक सर्वेक्षण ’ की रिपोर्ट पूरी हो जाएगी –
सोचकर मैं ईँट के भट्टे की ओर बढ़ गया |
“ आपको इधर किससे मिलने माँगता ? ”
काला चश्मा लगाये , मैला हो गया कुर्ता – पाजामा पहने ... गले में सफेद गमछा डाले ...
एक आदमी ने पूछा | मैं समझ गया कि ये ईँट भट्टे का ढेकेदार है |
“ मुझे बाल – श्रमिक सर्वेक्षण करना है
| आपके भट्टे पर मुझे काम करते हुए बच्चे दिखाई दिए , सो आ गया | ” मैंने अपना
प्रयोजन बताया |
“ आप सरकारी आदमी हैं ? ” ठेकेदार की
आँखों में प्रश्न उभरा |
“ हाँ ... मैं ... ”
मेरी बात पूरी नहीं हो पाई कि वह बीच
में बोला , “ इधर कोई बच्चा – वच्चा नहीं , सब बड़ा लोग काम करता है | ”
“ आप घबराए नहीं | मुझे तो अपनी
रिपोर्ट तैयार करनी है कि इस नगर में कितने बच्चे बाल – श्रमिक हैं ... बस | ”
मैंने उसे समझाते हुए कहा |
ठेकेदार थोड़ी देर चुप बैठा रहा , फिर
सिर घुमाकर जोर से चिल्लाया , “ ओ जेकी दादा , इधर को आ , तेरे कूँ साब बुलाते | ”
फिर मेरी ओर देखकर हँसते हुए बोला , “ उसका अस्सल नाम गणेश ... जैकी श्रॉफ की
एक्टिंग मारता , तो इधर सब लोग उस कूँ जैकी दादा बोलता | ”
सुनकर मैं मुस्करा पड़ा |
थोड़ी देर बाद तेरह – चौदह साल का एक छोकरा
आया और आते ही हाथ की उँगलियाँ नचाते हुए बोला , “ क्या बोलता ... जल्दी बोल ...
जादै टैम नहीं अपन के पास | ”
“ ये साब कुछ पूछना माँगता | ” ठेकेदार
ने मेरी ओर इशारा करके कहा , फिर बीड़ी सुलगाई और धुआँ उगलता हुआ ईँट भट्टे की ओर
चला दिया |
दूर काम करते हुए मजदूर मुझे और कथित
जैकी दादा को देख रहे थे |
छोकरे के चेहरे पर धूल जमी होने के
बावजूद एक चमक उभरी हुई थी |
पास से जाते हुए अपनी उम्र के एक छोटे
छोकरे को अपनी ओर ताकते पाकर उसने टोका , “ चल – चल ... रास्ता नाप ... देखता नई
क्या ... अपुन का इंटरव्यू होता इधर | ” फिर मेरी ओर हाथ की उँगलियाँ नचाते हुए
बोला , “ बोलो साब ... क्या बोलता ... अपन के पास टैम नई | ”
मैं मुस्करा पड़ा |
“ देखो मैं जो भी पूछूँगा ... तुम सही
– सही बताना | ” मैंने उससे कहा |
“ बताएँगा ... कस्सम से | ”
मैंने बैग में से बाल – श्रमिक
सर्वेक्षण का प्रपत्र और जेब से पेन निकालकर प्रश्न पूछना प्रारम्भ किया |
“ तुम्हारा नाम ? ”
“ जैकी दादा | ”
“ घर का नाम ? ”
“ गनेश | ”
“ पिता का नाम ? ”
“ मंगलू | ”
“ कहाँ रहते हो ? ”
“ टेसन के बाजूवाला झोपड़पट्टी में | ”
“ तुम्हारी उम्र ? ”
“ अपन की उमर क्या ... अपन दस साल का
छोकरा भी और साठ साल का बुड्डा भी | ”
उसके इस उत्तर पर मुझे हँसी आ गई |
उसके उत्तरों को मैं प्रपत्र में लिखता जा रहा था |
“ कौन – सी कक्षा तक पढ़े हो ? ”
“ बिल्कुल नईं | ”
“ क्यों ? ” **
( शेष , भाग - 2 में )
- पवन शर्मा
जुन्नारदेव , जिला –
छिंदवाड़ा ( मध्यप्रदेश )
फोन नम्बर –
9425837079
Email – pawansharma7079@gmail.com
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा ,
जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
बढ़िया.. धन्यवाद सुनील जी 🙏
ReplyDeleteबढ़िया.. धन्यवाद सुनील जी 🙏
ReplyDeleteबहुत बहुत स्वागत है
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