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14.6.20

कवि रामचन्दर की कविता - '' भ्रूण की आवाज़ ''












भ्रूण की आवाज़

मम्मी !  पापा  से  बोलो  ना  ।
थोड़ा-सा तुम भी रो  लो  ना ।।

बाहर   की  दुनियाँ  कैसी  है ?
दिखने   में  लगती  कैसी  है ?
मेरी नहीं तो  अपने  दिल  की,
थोड़ी-सी धड़कन सुन लो ना।।

मम्मी ! पापा  से  बोलो  ना ।।
थोड़ा-सा तुम भी  रो  लो ना ।।

तू   ममता   से  भरी  कहानी ।
मैं   हूँगी   तेरी   गुड़िया रानी ।
इस  गुड़िया  के खातिर मम्मी
थोड़ा पापा  से  लड़  लो  ना ।।

मम्मी !  पापा  से  बोलो  ना ।
थोड़ा-सा तुम भी रो लो  ना ।।

बदनसीब मैं हूँ  इतनी  क्या ?
थोड़ी दया न पा सकती क्या?
यदि कोई अपराध   हुआ   तो, 
आकर मुझे भुगतने दो  ना ।।

मम्मी ! पापा से  बोलो  ना ।।
थोड़ा-सा तुम भी रो लो  ना ।।

तेरे  आँचल  की  महिमा  माँ ,
जान   सकूँगी  मैं   कैसे  माँ ।
तेरी   गोदी   में  रह  कर  के ,
लोरी कुछ सुन लेने  दो  ना ।।

मम्मी ! पापा से  बोलो  ना ।।
थोड़ा-सा तुम भी रो लो  ना ।।

मम्मी तुम्हीं बचा सकती हो ,
पापा को समझा  सकती  हो ।
तुम अपनी नारी  शक्ति  का ,
कोई नमूना दिखला दो  ना ।।

मम्मी ! पापा से  बोलो  ना ।।
थोड़ा-सा तुम भी रो लो  ना ।।

मैं    तेरी   साँसों   में  बसती ,
मैं   आहों  में  तेरी  मचलती ।
साँसों,  आहों   के  बिन  कैसे ,
जीओगी   मुझसे  बोलो  ना ।।

मम्मी ! पापा  से  बोलो  ना ।।
थोड़ा-सा तुम भी रो  लो  ना ।।

तुम अन्याय नहीं कर  सकती,
क्यों अन्याय की भागी बनती।
कब तक तुम अन्याय  सहोगी,
अपनी बंद  जुबां  खोलो  ना |।

मम्मी ! पापा  से  बोलो ना ।।
थोड़ा-सा तुम भी रो लो  ना ।।

मैं कमजोर अब नहीं  पड़ूँगी ।
तेरी खातिर  सब  से  लड़ूँगी ।
आँसू पोंछ न डर  अब  आजा,
मेरे  संग  जरा  हँस लो ना ।।

मम्मी ! पापा  से  बोलो ना |I
थोड़ा-सा तुम भी रो लो ना ।। ** 


       - रामचन्दर 







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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई
 माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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