चुपके - चुपके
चुपके चुपके गाने वालों !
मंद -मंद मुस्काने वालों!
थोड़ा सा हँस गा लेने से,
जीवन सदा महक जाता है।।
कितनो को ऐसे देखा है !
आहें भर-भर के रोता है !
भला बताओ रो लेने से ,
क्या कोई दुःख कम होता है।।
रोकर नयन गँवाने वालों!
औरों को भी रुलाने वालों!
गम के आंसू पी लेने से,
जीवन पुनः चहक जाता है।।
रात भले कितनी काली हो।
फिर भी उजाला आता ही है।
खोया समय भले ना आये ,
फिर भी अवसर आता ही है।।
समय को लेकर रोने वालों!
समय-कदर न करने वालों!
अवसर को अपना लेने से,
बिगड़ा भाग्य चमक जाता है।।
हार-जीत है खेल जगत का,
जीता कभी कभी तो हारा।
हार जीत को एक सम जाने,
स्वागत होगा सदा तुम्हारा।।
हार पे अश्रु बहाने वालों !
जीत पे खुशी मनाने वालों!
दोनों को अपना लेने से ,
जीवन पुष्प महक जाता है।।
जीवन है अनमोल खजाना ।
क्योंकर इसको व्यर्थ गँवाते।
आने वाले कल की सोचो,
बीते कल पर क्यों पछताते।।
अपनी बात सुनाने वालों !
सुबह को शाम बनाने वालों!
सुख-दुख को अपना लेने से,
फिर प्रारब्ध गमक जाता है।। **
- रामचन्दर '' आजाद ''
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाटबड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
सादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार
(19-06-2020) को
"पल-पल रंग बदल रहा, चीन चल रहा चाल" (चर्चा अंक-3737) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।
…
"मीना भारद्वाज"
बहुत बहुत आभार।
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