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23.6.20

कवि रामचन्दर '' आजाद '' की कुंडलिया - '' नेता और अभिनेता ''






                                                  नेता और अभिनेता

नेता अभिनेता  बने , मंचन  करते  रोज 
आज यहाँ तो कल वहां ,नाटक रचते रोज |
नाटक रचते रोज , रोज  की माया शातिर ,
       जनता को गुमराह करें बस वोट के खातिर |
कहता है ‘आजाद’ लोभ  लालच  भी  देता ,
       हो  गया है  बेशर्म  आज  नेता अभिनेता ||

नहिं विकास नहिं काज कुछ पंचवर्ष का खेल ,
       इस दल से उस दल चले कर लेते हैं मेल |
कर लेते हैं मेल मात्र कुर्सी के खातिर ,
      जनता को बहकाते कह उस दल को शातिर |
कहता है ‘ आजाद ’ स्वार्थ के ये सरताज ,
      कुर्सी आगे दीखता नहिं विकास नहिं काज ||

किसको जनता वोट दे यह है कठिन सवाल ,
      खड़गसिंह सम है कोई तो कोई अंगुलिमाल |
कोई अंगुलिमाल बनी राह लेत है रोक ,
      कब कोई बुध आइ हैं ,उनको सके जो रोक |
कहता है ‘अजाद’ देश की फिकर हो जिसको ,
     चुन ले नेता भला आज यह जनता किसको ? **

  -  रामचन्दर  '' आजाद ''








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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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