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22.6.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा की कविता - '' सम्भावनाओं के नागपाश ''










सम्भावनाओं के नागपाश

दिन की देहरी पर बैठी
धूप के पास आये थे कभी
स्वर्ण – हंस |


और
क्रान्तिधर्मा चेहरे
चमकाये थे सूरज ने
रोशनी से |


लेकिन
भर दोपहर
बड़ी ही चालाकी से
खुदगर्ज सुविधा – भोगियों ने
काट दिये उनके डैने |


और जकड़ कर
रूपहली सम्भावनाओं के नागपाश में
छोड़ दिया है उन्हें
रात से घिरे
अन्धे यातना – शिवरों में
सिर्फ़ अंधकार बटोरने के लिए | **

 - श्रीकृष्ण शर्मा 






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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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