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18.6.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - ''छेड़ो मत ''

( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है )



















छेड़ो मत

छेड़ो मत , अपनी ही पीड़ा में खोया जो ,
फूट पड़ेगा , चुप है , अभी – अभी सोया जो ||


क्षत – विक्षत जो की हुआ
सुबह के लिए लड़कर ,
उसकी ही काया पर
लिपटे सौ – सौ विषधर ,


जिनको काँधे लेकर
शाही सम्मान दिया ,
पीते हैं वही रक्त
अब पिशाच सिर चढ़कर ;


पर उनको एक दिवस चखना ही होगा वो ,
उनने इस धरती में कालकूट बोया जो |


छेड़ो मत , अपनी ही पीड़ा में खोया जो ,
फूट पड़ेगा , चुप है , अभी – अभी सोया जो || **




 - श्रीकृष्ण शर्मा 







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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867


1 comment:

  1. शास्त्री जी आपको बहुत - बहुत धन्यवाद |

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