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कवि नंदन मिश्रा की कविता - '' दाग ''





  








दाग

अजब   के   लोग   यहां  और  गजब  का  जमाना  है ।
ये    दाग   नई     तो    नहीं   बड़ा    ही   पुराना   है ।।
तेरे  हर   वो  पल  को अपना  समझने  वाली  हरदम ।
तेरे  हर   वो  गहरे  दाग  को  छुपाने   वाली  हरदम ।।
उनके    जीवन   में  एक  दाग  आई  तुम  छोड़  गए ।
जिनकी  सारे  अरमान  तुम  थे जो पल में तोड़ गए ।।
क्या    खता  होती   है  उनकी   क्या  तेरी   खता ना ।
जरा  हम   भी   तो  सुने   अपनी  मुंह  से  बता  ना ।।
दाग    तो  चांद   में  भी   है  ये   जमाना  कहता   है ।
प्यार की प्रशंसा चांद से करते हैं ये दीवाना कहता है ।।
जिनमें   दाग  हो   वो ग़लत  हों  ये  कोई  जरूरत ना ।
जिन  पर   दाग   लगा   हो  क्या  वो  खूबसूरत  ना ।।
खुद  पर ही दाग  लगाऐं ये  तो तमन्ना ना किसी की ।
कैसे  निकल जाऊं बेनकाब ये जमाना ना किसी की ।। **



                    - कवि नंदन मिश्रा 



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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई

 माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
                      

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