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21.2.22

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " स्वर्ग की खातिर "

 यह गीत, श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " बोल मेरे मौन " ( गीत-संग्रह ) से लिया गया है -











स्वर्ग की खातिर 


इस ऊँचे आसमाँ की बुलंदी को क्या करूँ ?

मैं हूँ पखेरू, गर न उडूँ भी तो क्या करूँ ?


सूरज की आग मुझको राख तो न कर सकी,

पर मेरे इन परों को नई आब दे गई,

मेरा वजूद भी है कुछ इस दौरे वक्त में,

धरती को ये तहरीर मेरी छाँव दे गई,


ताउम्र मैं हवा के इर्द-गिर्द ही रहा,

झिंझोड़ा बगूलों ने, कहर मौत का सहा,


ये ज़िन्दगी  * अजीयतों *  का नर्क ही सही,

पर स्वर्ग की ख़ातिर न लडूँ भी तो क्या करूँ ?


इस ऊँचे आसमाँ की बुलंदी को क्या करूँ ?

मैं हूँ पखेरू, गर न  उडूँ भी तो क्या करूँ ? **


                                            - श्रीकृष्ण शर्मा


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संकलन :   सुनील कुमार शर्मा 

फोन नम्बर -   9414771867

4 comments:

  1. बहुत खूबसूरत विचार

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  2. धन्यवाद rups जी |

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  3. बहुत- बहुत धन्यवाद आदरणीय आलोक सिन्हा जी |

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