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डॉ रमेश कटारिया ‘’ पारस ‘ |
सोच रहा था
सोच रहा था इस जीवन में
क्या खोया क्या पाया है
खुशियाँ सबको मिली अच्छा है
ग़म मेरे हिस्से आया है
हमने सोचा अपने जैसे लोग यहाँ पर होंगे सब
जिस पर भी विश्वास किया है उससे ही धोखा खाया है
रँजोगम दर्द अलम औऱ आँखो में आँसू है
अन्त समय में देखो यारो यही मेरा सरमाया है
पत्नी बच्चे यार दोस्त औऱ मात पिता
इक दिन सारे छूट जाएँगे छूट जाएँगी काया है **
- डॉ रमेश कटारिया ‘’ पारस ‘’
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय
विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई
माधोपुर ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867
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