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24.5.20

पवन शर्मा की लघुकथा - '' बड़े बाबू और साहब ''







                    ( प्रस्तुत लघुकथा – पवन शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई है )  



                         बड़े बाबू और साहब 


आते ही साहब ने सारे बाबुओं पर अफसरी रुआब झाड़ दिया | पहले तो बाबू सहमे , झिझके , डरे – लेकिन बाद में पता चला कि शाम होते ही साहब  ‘ टुन्न ‘  हो जाते हैं , तो बाबुओं का डर जाता रहा |
          एक दिन साहब ने बड़े बाबू से दो सौ रुपए लिए और कहा ,  ‘ ऑफिस के लिए स्टेशनरी खरीदेंगे , उसमे  ‘ एडजेस्ट ‘  कर लेगें | '
          शाम को साहब  ‘ टुन्न '  हो गए |
          कुछ दिन बाद साहब ने बड़े बाबू से दो सौ रुपए लिए | रुपये देते समय बड़े बाबू ने याद दिलाई ,  ‘ साब चार सौ हो गए हैं | '
          ‘ ऑफिस से  ‘ एडजस्ट ‘  कर लेंगे | '  साहब ने कहा |
          शाम को साहब फिर  ‘ टुन्न '  हो गए |
          एक दिन बड़े बाबू बोले ,  ‘ साहब आठ सौ हो गए हैं | ‘
          ‘ किस बात के ? '  साहब अकड़ गए ,  ‘ ऑफिस अकाउन्ट्स से आठ सौ निकाल लिए ! यह तो गबन का केस है , रिकवरी करवा लूँगा ! '
          बड़े बाबू भौंचक्के रह गए | इधर – उधर कर अपनी जेब से आठ सौ रूपये भर दिए |
          एक दिन कुछ बिलों पर साइन कराते वक्त बड़े बाबू ने कुछ ब्लैंक पेपर पर साहब के साइन ले लिए |
          शाम को ऑफिस के सारे बाबू  ‘ टुन्न '  थे |
          साहब हजारों में फँस गए थे !

                                - पवन शर्मा 





पवन शर्मा
कवि , लघुकथाकार , कहानीकार 

















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पता
श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट  विद्यालय ,
जुन्नारदेव  , जिला - छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com


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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई 

माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867


2 comments:

  1. धन्यवाद भाई सुनील जी. मेरी लघुकथाओं को अपने ब्लॉग पर देने के लिए.

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