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कवि योगेन्द्र जाट की कविता - '' दस्तूर ''




   






दस्तूर 


जब तोते से बोली मैंना
कभी ना किसी और का होना
तुम बस मेरा मैं बस तेरी
प्यार है अपना समन्दर जैसा गहरा

तोते ने सब दिल से निभाया
ना नाम किसी का जहन में लाया
मैंना को संसार बना कर
उसको अपनी तकदीर बनाया 

पर मैंना ने कैसा तडपाया
किसी और को अपने दिल में बसाय़ा 
कुछ तोते को समझ ना आया
फिर भी उसको बड़ा समझाया 

एक तूफान अनोखा आया
मैंना को कुछ  तरस ना आया
दूजे के संग उड़ चली गगन में 
लेकर तोते के ख्वावों का साया

तोता रोया बहुत बेचारा 
उसको रुसवाई ने तड़पाया 
क्या करता ज़ख्मों का मारा
दिल के महल को आंसुओं ने ढहाया 

फिर कलम य़ादों को बनाकर
सारे दर्द  को स्याही बनाया  
दस्तूर के पन्ने पर चमकाया 
फिर गम को आज पंक्ती में सजाया  **


     -  योगेन्द्र जाट
                 jnv swm 2019 


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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई 

माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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