Followers

27.3.20

पवन शर्मा की लघुकथा - '' मज़बूरी ''



                        ( प्रस्तुत लघुकथा – पवन शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई है ) 


                           मज़बूरी 


वे दोनों बहुत देर से इस चट्टान पर बैठे थे | मौन ... दोनों में से कोई कुछ नहीं कह रहा था | साँझ ढल रही थी | ढलती धूप जरा हल्की हो गई थी | चट्टान के नाले में घास और वृक्ष के साये अपेक्षाकृत धुँधले होने लगे थे |
          ' यहाँ पर तुम्हें अच्छा लग रहा है ? '  बहुत देर बाद उसने पूछा |
          ' बहुत ... तुम्हारे न रहने पर मैं अपना अकेलापन यहीं गुजरता हूँ | '
          ' कब से ? ... मेरे जाने के पहले से या ... ? '
          उसके इस प्रश्न का उत्तर वह नहीं दे पाया | एक क्षण उसकी ओर घूरने के बाद कंकड़ उठा - उठाकर वह नाले में फेंकने लगा |
          चुब्ब ! - चुब्ब ! चुब्ब ! ...
          ' रज्जन ! ' उसने कहा |
          वह उसके पास सरक आई और उसके कंधे पर हाथ रख दिया,' कई दिन से मैं एक बात पूछना चाहती हूँ | ''
          वह बिल्कुल चुप था | बस , नाले में कंकड़ फेंकते रहा |
          चुब्ब ! चुब्ब ! चुब्ब ! ...
          ' डू यू लव मी ? '
          वह चौंक उठा , उसकी ओर देखा और बोला ,  ' कोई शक है ! '
          ' नहीं ... फिर तुम अपने घर ... मेरे घर पर अपन दोनों की शादी की चर्चा क्यों नहीं करते ? ... कब तक ऐसे ही रहेंगे ? '
          सूरज और भी ढल चुका था |
          ' जब तक मैं बेरोजगार रहूँगा ... तब तक तो नहीं ! '  वह नाले में ककड़ फेंकता रहा | 
          चुब्ब ! चुब्ब ! चुब्ब ! ...

                                                                **** 

                                  - पवन शर्मा 
-------------------------------------------------------------------------------



पता
श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट  विद्यालय ,
जुन्नारदेव  , जिला - छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com




संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

No comments:

Post a Comment

आपको यह पढ़ कर कैसा लगा | कृपया अपने विचार नीचे दिए हुए Enter your Comment में लिख कर प्रोत्साहित करने की कृपा करें | धन्यवाद |