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12.4.20

बाजों की दहशत में


















( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है )



बाजों की दहशत में 

हाथों में 
नोकीले पत्थर लिये हुए ,
अंधी - तंग सुरंग 
होठों सब सियें हुए |

साँसों विष हैं 
विषधर पाले जैसे - जी ,
लाक्षाग्रह की 
आग रही है मन में जी ,
शापग्रस्त घाटी में 
सब पग दिए हुए |

आग , खून ,
चीखें हैं औ ' चिल्लाहट है ,
गूंज रही 
आदमखोरी गुर्राहट है ,
बाजों की दहशत में 
चिड़िया जिए हुए | 
****

             - श्रीकृष्ण शर्मा 
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867



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