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पवन शर्मा - '' बुजदिल ''


( प्रस्तुत लघुकथा – पवन शर्मा की पुस्तक – ‘’ हम जहाँ हैं ‘’ से ली गई है ) 





बुजदिल 

शुरू के एक हफ्ते में कितने लाड़ जताया था , ' बहू , जे मत कर ... बहू , वो मत कर ... पानी में ज्यादा हाथ पैर मत भिगोया कर ... सर्दी लग जाएगी |' अब मुँह दूसरी ओर किए रहती हैं | इसमें मेरा क्या कसूर ? क्या मेरे आने से ? नहीं - नहीं | किसी के आने - जाने से ऐसा सब होने लगा तो कौन किसके ऊपर विश्वास करेगा | इतना अंधविश्वास ठीक नहीं है |
वह सोचती जा रही है | अंत नहीं आता | बाहर वाले कमरे में अम्माजी को घेरे पड़ोस की औरतें फुसफुसा रहीं हैं | कोई तेज बोल देती है , तो किसी के मुँह पर रखी उँगली की शी - शी तक उसे सुनाई दे जाती है | सभी अम्माजी को सांत्वना दे रही हैं | उसे लगता है कि ये औरतें सांत्वना देने नहीं , बल्कि अमित की हँसी उड़ाने आती हैं | अम्माजी हैं कि उन्हीं के सामने आँसू बहाती रहती हैं | अब क्या ? ... जो होना था , हो चुका | ये सब उनकी अपनी करनी का फल है | उसे तो मालूम तक नहीं था कि अमित ऐसा है ... नहीं तो वह शादी क्यों करती ? बैंक से धोखाधड़ी की और पकड़ा गया | नौकरी से अलग हाथ धोना पड़ा |
' बहन , तुम्हारी बहू के पाँव ठीक नाएँ पड़े जा घर में ... नाएँ तो लल्ला की नौकरी थोड़े ही जाती | ' किसी ने कहा |
वह भीतर -ही- भीतर सुलग उठी | घर में कभी कोई ऐसी बात नहीं बोलता | ये बाहर वाले क्यों बोला करते हैं ? अम्माजी ने क्यों नहीं टोका उसे ? क्यों चुप रह गईं ? ... उसके जी में आया कि वह हर किसी को झंझोड़ दे , और अम्मा ... उनका तो टेंटुआ पकड़ के ... | अचानक अपनी बुजदिली पर उसकी रुलाई फूट पड़ी |

                                             - पवन शर्मा 
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पवन शर्मा
कवि एवं लघुकथाकार 
पता
श्री नंदलाल सूद शासकीय उत्कृष्ट  विद्यालय ,
जुन्नारदेव  , जिला - छिन्दवाड़ा ( म.प्र.) 480551
फो. नं. - 9425837079 .
ईमेल – pawansharma7079@gmail.com

संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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