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डॉ0 योगेन्द्र गोस्वामी - " आस्थाओं का हिमवान " ( भाग - 4 )

 इस लेख को कवि श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई } से लिया गया है -


मेरी छोटी आँजुरी 


आस्थाओं का हिमवान 

( भाग - 4 )

( भूमिका )



( भाग - 3 का अंश )

जिस समाज में साहित्य और संस्कृति का चिन्तन मौलिक स्वकीय और सहज होगा , आरोपित नहीं , वहाँ साहित्य और समाज दोनों का स्वस्थ विकास होना अवश्यंभावी है |

          कविवर शर्मा जी का परम्परा को नमन करने का अपना तरीका है , जो अधिक मुखर है | 


( क्रमशः - भाग - 4 )


कविवर शर्मा जी का परम्परा को नमन करने का अपना तरीका है ,

 जो अधिक मुखर है | इसमें उन्होंने किसी प्रकार का भेदभाव नहीं

 किया , एक समन्वयकर्ता की भांति स्वयं को अन्य सभी के साथ

 जोड़ने का उपक्रम किया है | लोकनायक तुलसीदास और रससिद्ध

 कवि सूरदास और निराला के प्रति उन्होंने भावभीनी श्रद्धांजलि दोहों

 में विस्तार से प्रस्तुत की है | देखिये –


          संस्कृति का लघु संस्करण , और धर्म का सार |

          रामचरितमानस मणि , हिन्दी का श्रृंगार ||

          मानस क्या है ? अनुभवों का है सत्य निचोड़ |

          जीवन के हर प्रश्न का , जिसमें मिलता तोड़ ||

          वचन , व्यंग , वक्रोक्ति कटु या कि हास – परिहास |

          लग जाती है बात जब , बनते तुलसीदास ||

     अष्टछापी कवि सूरदास पर दो दोहे देखें –

          अष्टछाप में मुकुटमणि , ओ हिन्दी के सूर्य |

          अनुपमेय है विश्व में सूर तुम्हारा तूर्य ||

          सूर मीठे गायन निपुण , काव्य कला निष्णात |

          रचते पद गौघाट पर विनय दीनता स्नात ||

     इसी प्रकार मुक्तछन्द के जनक निराला का विस्तृत

 परिचय दिया गया है |उनके प्रति कवि ने श्रद्धा व्यक्त करते हुए

 महत्व की बातें की हैं –

          मुक्त छन्द के ओ जनक , ओ शोषण के काल |

          कालजयी युग प्रवर्तक , सांस्कृतिक वैताल ||

          बंकिम , शरद , रविन्द्र त्रय , हैं तुम में जीवंत |

          अधुनातन कविकुल गुरु चरणों नमन अनंत |

          विद्रोही तेवर रहे रुढ़ि सभी दीं तोड़ |

          छन्द भाव भाषा सभी के मुँह डाले मोड़ ||

          महाप्राण को बाँधकर नहीं रह सके वाद |

          सच तो यह है वाद भी है सब उनके बाद ||

          फूलों सा नवनीत मन , वज्र सरीखी देह |

          अग्नि ह्रदय आँसू नयन स्वाभिमान के गेह ||

     उपर्युक्त महान पुरोधा कवियों के अतिरिक्त शर्मा जी ने

 प्रायः विभिन्न विधाओं के प्रतिष्ठा प्राप्त हिन्दी साहित्य के पुरानी

 और नई पीढ़ी के शताधिक / साहित्यकारों के वन्दन – अभिनन्दन

 में अनेक दोहे लिखे हैं | उनकी यशस्वी रचनाओं को भी वे भूले

 नहीं हैं | साथ ही ‘ होरी ’ जैसे अमर नायक का उल्लेख कर उसके

 निर्माता प्रेमचन्द के प्रति श्रद्धा व्यक्त की है | क्या ऐसी उदारता

 आज के लेखकों और कवियों के स्वाभाव में देखी जा सकती है |

 खेद है कि श्रद्धा प्रकट करने में लोग अपनी हटी समझते हैं | आज

 का साहित्यकार केवल अपनी सोचता है , अपने कैरियर और

 पुरस्कारों के बैचेन रहता है और सारी दुनियाँ की शिकायत करता है

 | यह मनोरोग है , जो आज के साहित्यकारों में व्यापक रूप से

 पाया जाता है | इससे हिन्दी को उबारने की आवश्यकता है | शर्मा

 जी अकुंठ भाव से अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं | एक दोहा प्रस्तुत

 है –

          शिखर निराला गीत के , बच्चन’ , सुमन’ , नरेन्द्र’ |

          ठाकुर’ , त्यागी’ , रंग’ , शिशु’ , नीरज’ , औ’ वीरेन्द्र’ ||

     ‘ होरी ’ की व्यथा – कथा में कवि श्रीकृष्ण शर्मा को अपने

 जीवन के अभावों से सतत जूझते रहने का आभास मिलता है | ‘

 होरी सा जीवन गया ’ शीर्षक प्रकरण में शर्मा जी ने अपने

 अन्तर्मन के तूफ़ान को ही वाणी दे डाली है | यह एक ऐसा यथार्थ

 आत्मनिवेदन है , जिसमें करुण चीत्कार की प्रतिध्वनियाँ गूँजती हैं

 | कहीं मूक हाहाकार है , तो कहीं मुखर रोदन | आत्माभिव्यक्ति

 का इतना मार्मिक चित्रण दे पाने में कवि अन्य प्रकरणों की तुलना

 में कहीं आगे है और सर्वाधिक सटीक और सार्थक भी | इस प्रसंग

 के सभी दोहे एक से बढ़कर एक हैं , परन्तु उद्धरण प्रस्तुत करने

 की सीमा है | अतः एक दो नमूने देखिए और बताइए कि समूचे

 दोहा – संसार में इस जोड़ के दोहे और कितने हैं –

          आँखों में सागर भरे , मन पर धरे पहाड़ |

          देह हुई मरुथल मगर , फिर भी फोड़ें हाड़ || **

 

                                                 ( आगे का भाग , भाग – 5 में )    


                - डॉ0 योगेन्द्र गोस्वामी 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867. 

5 comments:

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  2. आस्थाओं का हिमवान

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  3. अभी तक चारों भाग आस्थाओं का हिमवान पढ़ने को मिले हैं. कवि ने गंभीरता के साथ लेखन किया है..आगे के भाग भी रूचिकर और पठनीय होंगे. बधाई.

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  4. This comment has been removed by the author.

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  5. धन्यवाद परम आदरणीय पवन शर्मा जी | आपकी टिपण्णी साहित्य के क्षेत्र में विशेष महत्व रखती है | यह हमारे लिए बहुत उत्साहवर्धक है |

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