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डॉ0 योगेन्द्र गोस्वामी - " आस्थाओं का हिमवान " ( भाग - 8 )

 इसे कवि श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " मेरी छोटी आँजुरी " ( दोहा - सतसई ) से लिया गया है | यह इस पुस्तक की भूमिका है -


मेरी छोटी आँजुरी 


आस्थाओं का हिमवान 

भूमिका ( भाग - 8 )


भाग - 7 का अंश -

...चिथड़े – चिथड़े हो चुका , बदलो सभी प्रबन्ध |

  संविधान में हैं लगे , जगह – जगह पैबन्द || ... 


भाग - 8 


               कागज पर जंगल खड़े , कितना बड़ा कमाल |

               स्याही में लहरा रहे खेत खींचते ताल ||

अन्त में एक उदाहरण और –

               घर में बैठी मुश्किलें , दुख अभाव औ’ भूख |

               आजादी की राह में , हुई कहाँ पर चूक ||

          ‘ मेरी छोटी आँजुरी ’ का एक – एक दोहा देश की एक – एक नयी से नयी समस्या की ओर हमारा ध्यान खींचता है | अतः एक भी पक्ष उपेक्षणीय नहीं है , यहाँ उन सब को मूल पाठ में पढ़ने के लिए ही प्रकाशित किया गया है | यदपि ये सभी प्रश्न ऐसे हैं , जो विवेकशील व्यक्तियों के सामने प्रतिदिन उपस्थित होते हैं , उन्हें साहित्य में सामने लाकर कविवर शर्मा जी ने युग का इतिहास रच दिया है | बुराई बुराई है , अच्छाई अच्छाई | इतिहासकार को कोई हक़ नहीं कि वह उसके साथ मनमानी और छेड़छाड़ करे जैसा कि हम आजकल देख पाते हैं | इतिहास के प्रश्नों को लेकर जिस प्रकार की राजनितिक उठा – पटक आज हो रही है , उससे श्रीकृष्ण शर्मा आहत हैं | पढ़े – लिखे लोगों के बुद्धि – विवेक पर भी प्रश्न उठाये गये हैं | हम शिक्षा देकर नयी पीढ़ी को गुमराह करने पर आमादा हैं –

               अच्छा हो या हो बुरा , राजनीति का रास |

               घटित हुआ जो कुछ उसी का लेखा इतिहास ||

               इस मुर्दा इतिहास को , कुछ कहते हैं झूठ |

               आपस में फैला रहा , घृणा द्वेष औ’ फूट ||

               मन में घोले हैं जहर , होठों मगर मिठास |

               ऐसे लोगों ने किया , दूषित सब इतिहास ||

               दो कौमों के बीच में , सुलगाता है आग |

               भूलो इस इतिहास को , छिड़ा हुआ है राग ||

          कविवर शर्मा जी सफलता और असफलता के प्रति सार्थक दृष्टिपात करते हए अनुभव का निचोड़ कहते हैं –

               मत तू मन में गर्व कर , मत कर व्यर्थ विषाद |

               तू तो पथ की धूल है , कौन रखेगा याद ||

               असफलता पर क्यों भला , मचता है यों शोर |

               मोती लेकर क्या सभी , आते गोताखोर ||

          कवि की इन पंक्तियों को पढ़कर अंग्रेज कवि मिल्टन का स्मरण हो आना स्वाभाविक है | वह महत्वाकांक्षी था किन्तु यह निर्णय नहीं कर पाता था कि क्या रचूँ , जो मेरी कृति अमर हो जाये | वह सफल न हो सका किन्तु एक हादसे ने उसके जीवन को नयी दिशा प्रदान की | वह अपनी आँखें खो बैठा | अंधेपन ने उसमें ‘ पैराडाईज लॉस्ट ’ लिखने की प्रेरणा जगाई और वह काव्य जगत में अमर कृति देने में सफल हुआ | उसकी काव्य पंक्ति प्रसिद्ध है कि जो प्रतीक्षा करता है , वह भी सेवा करता है | महत्व सफलता या असफलता का न होकर कर्मनिष्ठा का होता है |

          ‘ मेरी छोटी आँजुरी ’ दोहों की नयी श्रृंखला की एक महत्वपूर्ण कड़ी सिद्ध होगी | आगरा की वैष्णव संस्कृति की छाप कवि और उसकी कविता पर पूरी तरह विद्यमान है | एक ओर शौर्य और दूसरी ओर दैन्य इस भूमि की मिट्टी की विशेषताएँ हैं | कविवर शर्मा जी उत्तराखण्ड की शस्यश्यामलता और सौम्य शांतता के सच्चे उत्तराधिकारी हैं | भाषा के तेवर ग्रंथ के गहन अध्ययन , नेकनीयती और स्वच्छ जीवन मूल्यों को वहन करने में सक्षम है | शब्द संपदा शर्मा जी के गंगा – यमुनी संस्कारों से स्नात है , अतः उल्लास , उमंग और लालित्य का वरण करने वाला उनका यह काव्य रसिकों के मन को रस में सराबोर कर जीवन को सुखों से भर देगा | आने वाली पीढ़ियाँ हिन्दी को समझें , पढ़ें और यदि उसके गौरव को आज की पीढ़ी सहेज कर रख सकी तो भविष्य निश्चित ही उज्जवल होगा , ऐसा विश्वास है | परमात्मा के विश्वासी कवि अपनी इस कृति से अपार यश प्राप्त करेगा , इसमें संदेह नहीं है | सार्थक सामजिक ललित व्यंजनापूर्ण आदर्श और यथार्थ का परिपाक प्रस्तुत करने के लिये कवि को बधाई देना हमारा परम कर्तव्य है |

इत्यलम | **

                               

                        - डॉ0 योगेन्द्र गोस्वामी

                             ‘ आनन्द वृन्दावन ’

                          बी – 166 , सूर्यनगर ,

                             गाजियाबाद – 201011  


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.

                      

1 comment:

  1. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय

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