ग़ज़ल ( भाग - 1 )
उसके
उजले नक़ाब का जादू
हाय
रे! आफ़ताब का जादू
हो
गया इश्क़ का असर मुझपे
चल
गया माहताब का जादू
बेवफ़ाई
के ज़ख़्म भरने में
काम
आया किताब का जादू
मयक़दा
झूम झूम उठता है
देख
अहले- शराब का जादू
घुट गया
तिश्नगी का दम आख़िर
कर
गया काम आब का जादू
एक उम्मीद सी बंधाता है
सूनी
आँखों में ख़्वाब का जादू
आखिरी
सांस पर खुला मुझ पे
ज़िन्दगी
के हिसाब का जादू **
- अजय विश्वकर्मा
जिला -विदिशा,
मध्यप्रदेश
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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर (
राजस्थान ) , फोन नम्बर
– 9414771867.
आदरणीय आलोक सिन्हा जी को बहुत - बहुत धन्यवाद |
ReplyDeleteजी बहुत शुक्रिया
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