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11.8.20

कवि अयाज़ खान की कविता - '' कवितांकुर ''














कवितांकुर


मन अंकित
तन पुलकित
पत्ता-पत्ता, चप्पा-चप्पा आनन्दित
दिल का हर कोना प्रफुल्लित।

सृजन के धरातल पर
कविता का बीज हुआ अंकुरित
तिमिर हरण को देखो क्षितिज पर
सूर्य हुआ उदित।

कण-कण गर्वित
तृण-तृण हर्षित
प्रकाश निर्झरित
हृदय मुदित
शब्द-शब्द सुरभित
कविताएँ विकसित।

मन झंकृत
तन पुलकित
अब कवितांकुर होगा पल्लवित
पुष्पित ! **


   -  अयाज़ खान 
           अयाज़ ख़ान
            114 सग्गम
            एमपी वार्ड 11
            जुन्नारदेव 480551
           ज़िला- छिन्दवाड़ा
           मध्य प्रदेश






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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन 

नम्बर– 09414771867

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