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15.8.20

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - '' स्वतंत्रता का सूर्य ''


( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक अक्षर और '' से लिया गया है )











स्वतंत्रता का सूर्य


फिर पन्द्रह अगस्त आया है |


राख चढ़े अंगारों को फिर हवा लगी है ,
मन के कोने में सोयी फिर ख़ुशी जगी है ,
फिर सपनों से गोद भरी है आज नींद की ,
रमजानों के बाद ख़ुशी है आज ईद की ,
तम पर उजियारे का सागर लहराया है |
फिर पन्द्रह अगस्त आया है |


हरियाली के इस बादल वाले महीने में ,
इस बूँदों वाले फूलों वाले महीने में ,
तीज सनूने राखी और भुजरियों वाले ,
मलहारों के इस झूले वाले महीने में
स्वतंत्रता का जज्बा अब फिर अंगड़ाया है |
फिर पन्द्रह अगस्त आया है |


सत्तावन की वह चिनगारी संघर्षों में ,
यह वह सपना है जो सत्य हुआ अब जाकर ,
आग बनी आरती शहीदों की बलि पाकर ,
उसी रक्त से यह प्रभात भी अरुणाया है |
फिर पन्द्रह अगस्त आया है | **


 - श्रीकृष्ण शर्मा 








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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन 

नम्बर– 09414771867



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