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कवि श्रीकृष्ण शर्मा का नवगीत - " पतझर " ( एक )

 यह नवगीत , श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - " अँधेरा बढ़ रहा है " से लिया गया है -












पतझर ( एक )


झर रहे हैं पात पेड़ों से |

आह ,

चलना भी कठिन 

          हो गया मेड़ों से |

झर रहे हैं पात पेड़ों से |


ज़िन्दगी 

ठूँठों - सरीखी ,

ठौर और कुठौर दीखी ,

खण्डहरों में आ गये हम ,

          निकल खेड़ों से |

झर रहे हैं पात पेड़ों से |


रात औ' दिन 

जागते ये ,

खड़खड़ाते भागते ये ,

हम बहुत उकता गये 

          इनके बखेड़ों से |

झर रहे हैं पात पेड़ों से |  **


                            - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


2 comments:

  1. बहुत बहुत सुन्दर सराहनीय रचना

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  2. आदरणीय आलोक सिन्हा जी , आपका बहुत - बहुत धन्यवाद |

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