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8.11.19

'' करुणा गप है ''


( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है )














'' करुणा गप है ''

पिघल रहा है 
दर्द ,
कौन रुमालों लेगा ?

चले गये
सारे हमदर्दी 
आँख चुराकर ,
सम्बन्धों पर 
प्रश्न - चिन्ह अनगिनत 
लगाकर ;

गैर कौन 
जो नेह - छोह को 
भाषा देगा ?

साँसत में है 
साँस 
और गूँगे आश्वासन ,
अन्धी - बधिर सभा है ,
कौन सुनेगा 
रोदन ?

करुणा गप है ,
सच कहना 
क्या चीर बढ़ेगा ?

                       - श्रीकृष्ण शर्मा 
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

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