Followers

21.2.20

Jawahar Navodaya Vidyalaya , jat baroda - मातृभाषा दिवस एवं महाशिवरात्रि का आयोजन |










                

प्राचार्य - हरीश कुमार खंडवाल                          उप प्राचार्य - श्री चोब सिंह


जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला - सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) में मातृभाषा दिवस एवं महाशिवरात्रि का कार्यक्रम |
दिनाँक 11 /02 / 2020 को जवाहर नवोदय विद्यालय, जाट बड़ोदा,जिला - सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) में मातृभाषा दिवस एवं महाशिवरात्रि का आयोजन  किया गया|
मंच संचालन श्रीमती हेमलता शर्मा , पी.जी.टी.( हिन्दी ) ने बहुत ही प्रभावशाली  तरीके से किया -

श्रीमती हेमलता शर्मा 

विद्यार्थी कार्यक्रम का  अनुशासन में रहते हुए आनन्द उठा रहे हैं -




                                     





राजस्थानी छात्राओं द्वारा अपनी  मातृभाषा के लोकगीत पर शानदार लोक नृत्य किया | इसकी सभी ने स्काउट क्लिपिंग करके सराहना की | इस नृत्य के कुछ फोटो  नीचे देखिए -






इस अवसर पर कक्षा - 12 वीं की छात्रा - कु. अक्षिता ने देश भक्ति पर अपनी  मातृभाषा हिन्दी में कविता पाठ किया गया | इस अवसर पर लिया गया चित्र -



अंत में श्री बी.एस.जाट -  टी.जी.टी. ( हिन्दी ) ने बहुत ही प्रभावशाली ढंग से मातृभाषा के महत्व के साथ दूसरी भाषा के सामंजस्य पर अपने विचार रखे | इस अवसर पर जाट जी - 


श्री जाट जी के विचारों के बाद इस कार्यक्रम का समापन हुआ |

*******

द्वारा -

सुनील कुमार शर्मा 
पी.जी.टी.( इतिहास ),
जवाहर नवोदय विद्यालय ,
जाट बड़ोदा , जिला - सवाई माधोपुर ( राजस्थान ).

-----------------------------------------------------------------------------------------------------------------------








20.2.20

नरक जगा आँखों














( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है )


नरक जगा आँखों 

सम्मुख चली है नदी नेह की ,
सम्मुख है अब सदी देह की |

करुणा है कीचड़ में लथपथ ,
संवेदन की टूटी है गत ,
है लंगड़ों के सम्मुख परबत ,
दीवारें गिर रही गेह की ,
हुई तेजाबी बूंद मेह  की |

भावुकता को लकवा मारा ,
अपनेपन पर चला दुधारा ,
चेतन अब जड़ता से हारा ,
मिटी उर्वरा शक्ति ' लेह ' की ,
माटी तक हो गयी रेह की |

छल - बल के हाथों विजय - ध्वज ,
लिखा खा रहा काला कगज ,
क्या पागलपन , क्या अब पद - रज ?
नरक जगा आँखों अदेह की ,
सम्मुख है अब सदी देह की |

- श्रीकृष्ण शर्मा 
------------------------------------

www.shrikrishnasharma.com


संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

19.2.20

दुर्गन्धों डूबी सुगंधियाँ















( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है )


दुर्गन्धों डूबी सुगंधियाँ 

शीश तगाड़ी ,
बिना दिहाड़ी ,
सम्मुख ऊँची खड़ी पहाड़ी !

पस्त हौसले ,
त्रस्त धौंस ले ,
बिखर रहे हैं 
बने घौंसले ;

किसको कोसें ,
किसको पोसें ,
अपनी मूंछें, अपनी दाढ़ी !

सबने चाहा ,
सागर थाहा ,
पर मंसूबा 
था अनब्याहा ;

जैसे इंजन 
छोड़ बढ़ गया ,
पीछे खड़ी रह गई गाड़ी !

मुकुट जरी के ,
माथे टीके ,
कुर्सी बैठे 
लाट - सरीखे ;

सुविधाएँ 
द्वारे दासी - सी ,
नंगे - भूखे - रुग्ण पिछाड़ी !
दुरभिसंधियाँ ,
कुहदबंदियाँ ,
दुर्गन्धों
डूबीं सुगंधियाँ ;

ये वहशी 
दरिन्दगी उफ़ - उफ़ ,
साधो कत्तल , मारो - फाड़ी !

        - श्रीकृष्ण शर्मा 

------------------------------------------------------

  www.shrikrishnasharma.com

 संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

18.2.20

मेरी हत्या

















( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के काव्य - संग्रह - '' अक्षरों के सेतु '' से सन 1975 में लिखी गई रचना )


मेरी हत्या 

मैं 
बचने के लिए 
गिरने से पाँव जमाये था 
धरती में और हवा को पकड़कर 
धँस रहा था आकाश में 
खिलखिलाता !

मुझे 
हँसता देख 
सभी खिल - खिला ऊठे ,
तुम भी खिले ,
पर मुझे तोड़कर !

अब -
केवल तुम खुश थे ,
लेकिन और सब स्तब्ध 
देखकर मेरी हत्या !

- श्रीकृष्ण शर्मा 
------------------------------------------


संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

17.2.20

समय
















( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के काव्य - संग्रह - '' अक्षरों के सेतु '' से सन,1968 में रची कविता )


समय 

पता नहीं चलता 
समय की मौजूदगी का 
जब मौजूद होते हैं अपने सब ,
- बतियाते हैं या 
किन्हीं भीतर 
या बाहरी
सुगंधों में खोते हैं |

लेकिन भावुक नहीं होता समय |

पूरी मुस्तैदी से -
खोलता रहता है वह हर गाँठ 
- तोड़ता रहता है हर कण |

... और 
अचानक 
कितना स्थिर हो जाता है ,
- हर पल 
- ह र क्ष ण ?

        - श्रीकृष्ण शर्मा
----------------------------------------------

संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867