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6.3.20

शंख - ध्वनि दूर

















( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह - '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है )

शंख - ध्वनि दूर 

बुझा अभी ,
जलता अंगारा |

मद्धिम है रोशनी ,
हालत है सोचनी ;
दिन है अब ,
साँझ का उतारा |

बुझा अभी ,
अंगारा |

पका मोतियाबिन्द ,
धृतराष्ट्र हुआ हिन्द ;
शंख - ध्वनि दूर 
पार्थ द्वारा |

बुझा अभी ,
जलता अंगारा |

        - श्रीकृष्ण शर्मा 
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867


5.3.20

जिस पर हो प्रभु की कृपा - ( भाग - 6 )


( कवि श्रीकृष्ण शर्मा की ‘ मेरी छोटी आँजुरी ’ ( दोहा – सतसई ) - '' से लिया गया है )



4.3.20

ख़त













( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत - संग्रह - '' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है )


ख़त 

हर ख़त 
जैसे -
दुख का रथ |

आँसू 
हँसती आँखों में ,
पीड़ा लिये
ठहाकों में ,
कम्पित होंठ 
गीत की गत |
हर ख़त ...

लकवा मारा 
सपनों को ,
तेरहवीं क्या 
दफ्नों को ,
लेकिन 
इति ही 
अब तो अथ
हर ख़त ...

         - श्रीकृष्ण शर्मा 
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

3.3.20

इतनी आग कहाँ से लाये ?













( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह - '' एक नदी कोलाहल '' से लिया गया है )


इतनी आग कहाँ से लाये ?

इतनी आग 
कहाँ से लाये ?
जो सूरज - जैसे गरमाये !

पुरखे तो थे 
गाय - सरीखे ,
सीधे - सादे ,
जी के नीके ;
खेल भाग्य का 
समझ जिन्होंने ,
जुल्म सहे , अन्याय उठाये !

बीज वही ,
जड़ वही तुम्हारी 
मिली कहाँ से 
फिर अय्यारी ?
सुर्ख लौह बन ,
काले तम के 
परबत मोम - सरीखे ताये !

          - श्रीकृष्ण शर्मा 
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www.shrikrishnasharma.com





संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिला– सवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867

1.3.20

ओ गीतकार !
















( कवि श्रीकृष्ण शर्मा के गीत - संग्रह - '' बोल मेरे मौन '' से लिया गया है )


ओ गीतकार !

दुख - दर्द लिए ओ गीतकार ,
तू अपनी मस्ती में खोया !!

तुझ पर हँसते जाते अभाव ,
डंस रहे उपेक्षा के तक्षक ,
तिल - तिल कर जलता जाता तू ,
अपने गीतों में भोर तलक ;

पतझर दरवाजे खड़ा हुआ ,
खण्डहर पौली में अड़ा हुआ ,

पर अमृत औरों को देकर ,
तूने खुद विष का घट ढोया !

दुख - दर्द लिए ओ गीतकार ,
तू अपनी मस्ती में खोया !!

            - श्रीकृष्ण शर्मा 
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संकलन - सुनील कुमार शर्मा, पी.जी.टी.(इतिहास),जवाहर नवोदय विद्यालय,जाट बड़ोदा,जिलासवाई माधोपुर  ( राजस्थान ),फोन नम्बर– 09414771867