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8.3.21

कवि , कहानीकार , लघुकथाकार , पवन शर्मा की लघुकथा - " लाचारी "

यह लघुकथा , पवन शर्मा की पुस्तक - " मेरी चुनिन्दा लघुकथाएँ " में से  ली गई है -




                      लाचारी

 

मुझे ऐसी बातों से कोफ्त है | फिजूल बातें ... जो हो चुका , उसको दुहराने से क्या लाभ ? लेकिन अम्मा हैं कि हमेशा गढ़े मुर्दे उखाड़ती रहती हैं | कई बार मामाजी को पत्र में लिखवा भी चुकी हैं ... मेरे द्वारा ... कुसुम के द्वारा ... और आज जब से मामाजी आए हैं , तब से अम्मा का मुँह फूला हुआ है | घर में कोई मेहमान आ  जाए , तब तो खुश रहना चाहिए |

          मामाजी नीची नजरें करके खाना खाते जा रहे हैं | बाबू भी पास बैठे खा रहे हैं | कुसुम अम्मा के पास बैठी है | मैं दरवाजे के बाहर चटाई पर बैठा हूँ|

          “ तोए कम – से – कम आ तो जानो थो | ”  अम्मा बोलीं |

          मामाजी कुछ नहीं कहते | चुपचाप खाना खाते रहे |

          “ जानत है ... मामा होवे के बावजूद हमने दूसरे के हाथ से मामा का नेग करवाओ थो ... अरे , आ तो जातो कम – से – कम ... कुछ करतो चाहे नईं करतो | शादी में हमारी इज्जत तो बच जाती | सभी के मुँह पे जेई बात थी कि भान्जी की शादी हो रही है ... मामा का कहीं पता नई है | ”  अम्मा फिर से पुरानी आदत पर आती जा रही हैं | जिसके ऊपर बिगड़ जाएँ ... जो भी सुनाना होता है ... सुना देती हैं |

          “ भौत इच्छा थी आवे की ... आ नईं पाओ जिज्जी | सारी जिन्दगी तोए बोलवे कूँ हो गयो | ”  मामाजी बोले |

          “ काए के लाने नईं आ पाओ ? ”

          “ ... ”  मामाजी खाना खाते रहे |

          “ बता न , काए के लाने नईं आ पाओ ”  अम्मा फिर पूछती हैं |

          “ बस्स , जेई मत पूछ जिज्जी ! ”  एकदम मामाजी के चेहरे पर लाचारी उमड़ आई | मैनें स्पष्ट रूप से देखी उनके चेहरे की लाचारी ... अम्मा ने देखी या नहीं ... पता नहीं ! **   


                                          - पवन शर्मा 

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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


2 comments:

  1. बहुत बहुत आभार और धन्यवाद सुनील जी.

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    1. आपकी शानदार लघुकथा के लिए आपको भी ह्रदय से बहुत - बहुत शुभकामनाएँ | यह जीवन का सत्य है |

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