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16.8.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा की कविता - " धूप "

 यह कविता श्रीकृष्ण शर्मा की पुस्तक - " अक्षरों के सेतु " ( कहानी - संग्रह ) से लिया गया है -











धूप 


गिर पड़ी 

सहसा फिसल कर 

उतरती हुई धूप |


और 

फैल गयी 

नयी - नयी सम्भावनाओं की तरह |


गिरा हुआ आदमी 

धूप क्यों नहीं बन पाता भला ?  **


                               - श्रीकृष्ण शर्मा 


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


1 comment:

  1. धन्यवाद आदरणीय आलोक सिन्हा जी |

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