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30.9.21

कवि श्रीकृष्ण शर्मा का गीत - " वर्षान्त के बिन बरसे बादलों को देखकर "

 












वर्षान्त के बिन बरसे बादलों को देखकर


घिरे मेघ कल से , अभी तक न बरसे |


          ये ऐसे निढाल औ' थके पड़े हैं ,

          ज्यों आये हों चल करके लम्बे सफ़र से |


          ये निश्चिन्त थे , इसलिए सुर्खरू थे ,

          पड़े साँवले किन्तु अब किस फ़िकर से |


          नहीं बूंद तक गाँठ में स्यात् इनके ,

          दिखावा किये हैं मगर किस कदर से |


          गिरा थाल पूजा का कुंकुम , हरिन्द्रा ,

          अगरु , धूप , अक्षत - गये सब बिखर - से |


          ये सूखे हुए रेत पर साँप लहरे ,

          लकीरें बनी , पर हैं ओझल नज़र से |


          नहीं तृप्ति को दी है आशीष इनने ,

          प्रतीक्षित नयन देखकर ये न हरषे |


घिरे मेघ कल से , अभी तक न बरसे | **


                                                - श्रीकृष्ण शर्मा   


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संकलन – सुनील कुमार शर्मा , जवाहर नवोदय विद्यालय , जाट बड़ोदा , जिला – सवाई माधोपुर ( राजस्थान ) , फोन नम्बर – 9414771867.


2 comments:

  1. बहुत बहुत सुन्दर

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  2. धन्यवाद आदरणीय आलोक सिन्हा जी |

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